फिल्म थ्री-इडियट्स का एक फेमस डायलॉग है कि ‘सफलता के पीछे मत भागो, काबिल बनों, सफलता ज़रूर मिलेगी’ और इस बात को सच कर दिखाया है श्रीधर वेम्बू ने। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी जोहो कॉर्प (Zoho Corp) के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने अमेरिका में अपनी कंपनी चलाने के बाद भी तमिलनाडु के एक गांव में स्कूल खोला।

श्रीधर वेम्बू ने पीएचडी करने के बाद सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की लगभग 2 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपने बिजऩेस की शुरुआत एक सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट से की। अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत पहले ही साल में इन्होंने 500 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू प्राप्त किया। आज 18 मिलियन से भी ज्यादा लोग इस सॉप्टेवेयर का उपयोग करते हैं। लेकिन श्रीधर के लिए यह सफर आसान नहीं था। तो आइए जानते हैं उनके जीवन के प्रेरक सफर के बारे में।

कौन हैं श्रीधर वेम्बू?

1968 में चेन्नई के एक साधारण परिवार में जन्में श्रीधर वेम्बू को शुरू से ही पढ़ाई में रूचि थी। उन्होंने तमिल भाषा में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। वे पढ़ाई में शुरू से ही तेज थे जिसकी वजह से IIT मद्रास में उनका एडमिशन हो गया। यहां से अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वे इलेक्ट्रॉनिक फील्ड में करियर बनाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने कंप्यूटर साइंस में करियर बनाया। श्रीधर ने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश का रुख किया। वर्ष 1989 में श्रीधर वेम्बू ने Princeton University से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की।

ऐसे मिला समाज सेवा करने का उद्देश्य

पीएचडी की पढ़ाई के दौरान ही श्रीधर ने पॉलिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स पर काफी ज्यादा ध्यान दिया। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें एहसास हुआ कि भारत में अभी भी सोशलिज्म सबसे बड़ी समस्या है और इसे सही करने की ज़रूरत है। बस फिर क्या था वे इस काम को करने में जुट गए।

नौकरी छोड़ शुरू किया बिज़नेस

श्रीधर वेम्बू ने पीएचडी करने के बाद सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की। लगभग 2 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया। इसके बाद वे भारत लौट आए और उन्होंने अपने एंटरप्रेनरशिप की शुरुआत एक सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट से की। उनके नौकरी छोड़ने के फैसले से कई लोग हैरान थे। लेकिन उन्होंने अपना बिज़नेस करने की ठानी थी। इसी के तहत कड़ी मेहनत के बाद उनके 100 से अधिक ग्राहक बन गए। लेकिन साल 2000 में उन्होंने कुछ नया करने का सोचा।

ऐसे हुई जोहो (Zoho) की शुरूआत

कुछ नया करने की चाह में श्रीधर वेम्बु ने जोहो (Zoho) को लांच किया। श्रीधर ने अपने पहले ही साल में इससे 500 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू प्राप्त किया। जोहो सुईट से हर महीने मात्र 10 डॉलर के खर्च में ही कंपनियां अपने कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट को अच्छे से मैनेज कर सकती हैं। आज इसका उपयोग 18 मिलियन से भी ज्यादा लोग करते हैं।

गांव के बच्चों को कर रहे हैं शिक्षित

करोड़ों की कंपनी स्थापित करने के बाद भी श्रीधर वेम्बु ने अपने गांव के बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी। आज वे अपने गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने में लगे हैं। वे बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं, ताकि वे अपने जीवन में कुछ अच्छा कर सकें। उनका सपना गांव के स्कूलों में पढ़ाई के लिए स्टार्टअप खोलने का है ताकि लोग काबिल बनें। इतने पैसे कमाने के बाद भी वे एक सामान्य शिक्षक की तरह बच्चों को शिक्षित करने में जुटे हुए हैं।

आज श्रीधर वेम्बू लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने अपनी मेहनत से सफलता की कहानी लिखी है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर आपके अंदर काबिलियत है तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है।