अमेरिकी बिज़नेसमैन बिल गेट्स कहते हैं कि, “आप गरीब घर में पैदा हुए हैं, इसमें आपकी गलती नहीं है। लेकिन अगर आप गरीब मर जाते हैं, तो ये आपकी की ही गलती है।” य़ानी इंसान कड़ी मेहनत की बदौलत अपने भाग्य का विधाता खुद बनकर अपना भविष्य तय कर सकता है।

कुछ ऐसे ही संघर्षों की राह पर चलकर अपना भाग्य और भविष्य लिखने वालों में से हैं पॉलीगोन के संस्थापक जयंती कनानी। जिनका बचपन गरीबी की दहलीज से शुरू हुआ और जवानी संघर्षों में गुजर गई।

पिता अहमदाबाद में एक कारखाने में कर्मचारी थे, जिसके चलते घर की आर्थिक स्थिति काम चलाऊ ही थी। जैसे-तैसे परिवार का गुजारा हो पाता था।

जयंती के पिता का वेतन इतना भी नहीं था कि वे अपने बच्चों की फीस भर सके। इसके लिए उन्होंने कर्ज तक लिया। हालांकि, जयंती कनानी ने कभी भी गरीबी और बुरे हालातों को अपने बड़े सपनों के आड़े नहीं आने दिया, कड़ी मेहनत कर 55 हजार करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी और भारत के पहले क्रिप्टो अरबपति बने।

आईए जानते हैं जयंती कनानी के संघर्षों से लेकर सफलता तक की पूरी कहानी –

कौन है जयंती कनानी

जयंती कनानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। उनके पिता हीरे के कारखाने में काम करते थे, जिसके कारण जयंती का लालन-पालन बेहद अभाव में हुआ। उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके पास स्कूल फीस भरने के भी पैसे नहीं थे। उनके पिता ने बच्चों की फीस भरने और जयंती की बहन की शादी के लिए कर्जा लिया था। यह कर्ज इतना हो गया था कि उनके पिता की कमाई एक हिस्सा उसे कर्ज को वापस करने में चला जाता था। इन अभावों के बाद भी जयंती ने अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त की। इसके बाद वे नडियाद चले गए और वहां से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की।

छ: हजार से की थी नौकरी की शुरुआत.

अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें नौकरी तो मिली, लेकिन नौकरी में वेतन मिला महज छ: हजार रुपए प्रति माह। इतने पैसों में तो केवल खुद का ही खर्च निकल सकता था परिवार का नहीं। हालांकि, इस नौकरी के मिलने के बाद उन्हें लग रहा था कि थोड़ी राहत मिलेगी। लेकिन, इसी दौरान आँखों की परेशानी के चलते उनके पिता की नौकरी चली गयी।

अब जयंती के कंधों का भार दोगुना हो चुका था। इस हादसे के बाद उनकी पारिवारिक स्थिति बेहद खराब हो गयी। जयंती अपने लिए लगातार एक अच्छी नौकरी की तलाश कर रहे थे और परिवार की मदद करने के लिए फ्रीलांसिंग के द्वारा मल्टीपल प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।

3 लोगों ने 6 साल में बना दी 55 हजार करोड़ की कंपनी.

अपने संघर्षों के दिनों में जयंती भाई एक नई कंपनी में काम करने के लिए जगह-जगह भटक रहे थे। काफी जद्दोजहद के बाद उन्होंने एक कंपनी में डाटा एनालिस्ट के तौर पर काम शुरू किया। वहीं, उनकी मुलाकात संदीप नेलवाल और अनुराग अर्जुन से हुई। इन तीनों युवाओं के मन में कुछ बड़ा करने का जज़्बा था।

साल 2017 में जयंती ने संदीप और अनुराग के साथ मिलकर पॉलीगोन की शुरुआत की, जिसके बाद कंपनी ने देखते ही देखते महज 6 साल में अपार सफलता हासिल की। आज इस कंपनी की वैल्यू लगभग 55 हजार करोड़ रुपए है।

आपको बता दें कि जयंती क्रिप्टो करेंसी से जुड़े स्टार्टअप के भारत के पहले अरबपति सह संस्थापकों में से एक हैं। जयंती ने यह साबित कर दिया है कि यदि इंसान चाहे तो अपनी कड़ी मेहनत के दम पर अपना भविष्य खुद बना सकता है।


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