निदा फ़ज़ली का एक मशहूर शेर है, “कोशिश कर उम्मीद भी रख रास्ता भी चुन, फिर इसके बाद थोड़ा-सा मुक्द्दर की तलाश कर।” कहते हैं, हुनर सबके अंदर होता है। जज्बा और जूनून सब रखते हैं।

लेकिन कुछ कर गुजरने वालों के हौसल बुलंद होते हैं। परिस्थितियां कैसी भी हों, चाहतें रखने वाला हमेशा अपना रास्ता निकाल लेता है। कुछ ऐसे ही बुलंद हौसलों के इंसान हैं दादा साहेब भगत, जिन्होंने विषम से विषम परिस्थितियों में अपने लिए सही राह को निकाल लिया।

क्योंकि “कुछ नया सीखने की कोई उम्र नहीं होती” आप चाहे जैसी परिस्थिति में हों, यदि आप कुछ नया सीखना चाहते हैं, तो अपनी लगन से सीख सकते हैं। यह साबित किया है महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले दादा साहेब भगत ने।

दादा साहेब कभी Infosys जैसी बड़ी कंपनी में ऑफिस बॉय का काम करते थे। लेकिन उनके अंदर कुछ सीखने का जज्बा था। अपने इसी मिजाज़ के कारण उन्होंने कुछ नया सीखा और कुछ ही सालों में एक ऑफिस बॉय से अपने सफर की शुरुआत करते हुए आज वे एक एंटरप्रेन्योर बन चुके हैं। जानिये एक कंपनी के ऑफिस बॉय से दो कम्पनियों के मालिक बनने तक की दादा साहेब की सफलता की कहानी

कभी महीने में कमाते थे नौ हजार रुपए, आज करोड़ों की है संपत्ति

भगत का जन्म 1994 में महाराष्ट्र के बीड में हुआ था। भगत ने हाई स्कूल की पढ़ाई करने के बाद जीवन में आगे बढ़ने के लिए पुणे का रुख किया। पुणे में आईटीआई डिप्लोमा किया। इसके बाद वो चाहते तो इंडस्ट्रियल वर्क कर सकते थे। लेकिन भगत ने Infosys को जॉइन किया और Infosys के गेस्ट हाउस में 9 हजार रुपये में ऑफिस बॉय की नौकरी की।


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चाय-पानी पिलाते-पिलाते सीख ली C++ और Python लैंग्वेज

भगत को Infosys का कॉर्पोरेट कल्चर बहुत पसंद आया। इसलिए उन्होंने भी ऐसा ही कुछ करने का ठान लिया और इसके लिए कड़ी मेहनत करने लगे। भगत ने एक एनीमेशन कोर्स में दाखिला ले लिया। वे दिन में Infosys में नौकरी करते थे और रात में एनीमेशन की पढ़ाई और प्रैक्टिस करते थे। जब उनका कोर्स पूरा हो गया, तब उन्होंने मुंबई में जाकर नौकरी की। वे धीरे धीरे अपनी नई स्किल के दम पर लगातार तरक्की करते जा रहे थे।

इसके बाद उन्होंने हैदराबाद में नौकरी जॉइन की। यहाँ भी उनकी सीखने की चाहत ख़त्म नहीं हुई और नौकरी करते हुए उन्होंने कंप्यूटर लैंग्वेज C++ और Python सीखी।

ऐसे शुरू की Ninth Motion

लगातार काम करते हुए उन्हें यह समझ आया कि डिज़ाइन टेम्पलेट्स की लाइब्रेरी के लिए काम करना सही रहेगा। इसके बाद उन्होंने कई सारे डिज़ाइन टेम्पलेट्स तैयार किये और उसे ऑनलाइन बेचना शुरू किया।

वे लगातार काम करते जा रहे थे, तभी उनके साथ एक दुर्घटना घटी, जिसके कारण उन्हें पूरी तरह से बेडरेस्ट दिया गया, वे तब भी अपना काम करते रहे। इसके बाद 2015 में उन्होंने अपनी पहली कंपनी Ninth Motion शुरू की। इनके काम को देखते हुए कुछ ही सालों में इनके पास 6 हजार ग्राहक थे, जिनमें बीबीसी स्टूडियो और 9XM जैसे बड़े क्लाइंट्स भी थे।

लेकिन इसके बाद Covid - 19 में लॉकडाउन लगने के कारण भगत को फिर से अपने गाँव जाना पड़ा। उन्होंने अपने गाँव में एक पशु शेड के नीचे अस्थायी व्यवस्था कर अपने कुछ दोस्तों को एनीमेशन और डिज़ाइन का काम सीखाना शुरू किया। कुछ ही समय में उनके गाँव के कई युवा इनकी कंपनी से जुड़ गए।

2020 में शुरू की दूसरी कंपनी

अब भगत एक सरल डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर बनाना चाहते थे। अपनी महीनों की रिसर्च के बाद 2020 में उन्होंने अपनी दूसरी कंपनी DooGraphics की शुरुआत की। इसके द्वारा कोई भी डिज़ाइनर आसान ड्रैग एंड ड्रॉप इंटरफ़ेस के द्वारा डिज़ाइन और टेम्पलेट क्रिएट कर सकता है।

अगर हमारे मन में कुछ नया सीखने की चाह हो, तो हम ज़िन्दगी में कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं, यह दादा साहेब भगत ने साबित कर दिया। 26 सितम्बर 2020 को mann ki baat ट्विटर हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें भगत की तारीफ़ भी की गयी थी।