मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों मे जान होती है। इस बात को सही साबित किया है 3 बार फेल होकर भी हार न मानने वाले IRS ऑफिसर बनें चंद्रशेखर मीणा ने। जिन्होंने अपने जीवन में कभी भी मुश्किलों के आगे सिर नहीं झुकाया और हर विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना किया।

फुल टाइम जॉब के साथ उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने न सिर्फ मेहनत की, बल्कि कई सालों तक इंतजार भी किया और आज वे सफलता की नई कहानी लिख कहे हैं।

चंद्रशेखर मीणा के बचपन से IRS बनने तक का सफर

31 अक्टूबर 1991 को राजस्थान के दौसा के एक साधारण परिवार में जन्में चंद्रशेखर मीणा को शुरूआत से ही घूमने-फिरने का बहुत शौक था। IRS चंद्रशेखर मीणा के लिए यह सफर इतना भी आसान नहीं था।

तो आइए जानते हैं उनके जीवन के इस प्रेरक सफर के बारे में।

सरकारी स्कूल से की शुरूआती पढ़ाई

चंद्रशेखर मीणा ने हनुमानगढ़ के एक सरकारी स्कूल से अपनी शुरूआती शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने आईआईटी आईएसएम धनबाद से ग्रेजुएशन किया था। ग्रेजएशन की पढ़ाई पूरी होते ही शेखर ने सेल्फ स्टडी के जरिए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।

यूपीएससी की परिक्षा पास करना था लक्ष्य

आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बैंक में नौकरी की और उसके साथ ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी करते रहे। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एक साल तक गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन में नौकरी की थी। फिर एक साल तक वे कोटा के एसबीआई बैंक में बतौर पीओ की नौकरी करते रहे। इसके बाद नवी मुंबई में 4 साल तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर के तौर पर काम किया। लेकिन इन सबके बाद भी उनके मन में एक टीस थी कि वे यूपीएससी की परीक्षा पास करना चाहते थे। इसलिए नौकरी के साथ-साथ वे पढ़ाई करने लगे। फुल टाइम जॉब की वजह से शेखर यूपीएससी कोचिंग जॉइन नहीं कर पाए थे। वह ऑनलाइन स्टडी मटीरियल, यूट्यूब वीडियो आदि के जरिए अपनी तैयारी करते थे। उन्होंने डिस्कशन के लिए 2-3 लोगों का एक ग्रुप बनाया था। परीक्षा से पहले सभी छुट्टी लेकर एक ही जगह पर इकट्ठा हो जाते थे। मेंस के लिए उन्होंने ऑनलाइन टेस्ट सीरीज जॉइन कर ली थी और वे मोबाइल पर अपने नोट्स सेव करते रहते थे।

तीन बार असफल होने के बाद पाई सफलता

यूपीएससी क्लियर करना चंद्रशेखर मीणा के लिए आसान नहीं था। अपने शुरुआती तीन प्रयासों में उन्होंने ऑप्शनल सब्जेक्ट पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन रखा था। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। तीन बार लगातार मिली असफलता के बावजूद वे टूटे नहीं और पूरे जी-जान से परीक्षा की तैयारी करने में जुट गए। फिर 1 साल का ब्रेक लेकर यह विषय हिंदी साहित्य कर लिया। आखिरकार अपने चौथे प्रयास में उन्होंने 655वीं रैंक हासिल की और उनका सेलेक्शन आईआरएस के लिए हो गया। वर्तमान में वह कोलकाता के हल्दिया में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर तैनाद हैं।


आईआरएस चंद्रशेखर मीणा ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी। कोई भी परिस्थिति उन्हें उनके लक्ष्य से हिला नहीं पाई। आज वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की नई कहानी लिखी है।