"लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" इस बात को सही साबित किया है केरल की श्रीधन्या सुरेश ने।

वायनाड, केरल की रहने वाली श्रीधन्या ने बचपन से ही कई संघर्षों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से उन्होंने केरल की पहली आदिवासी महिला IAS अफ़सर बनकर इतिहास रचा।

नाम: श्रीधन्या सुरेश
जन्म: 30 दिसंबर 1991
जन्मस्थान: वायनाड, केरल
शिक्षा: M.Sc. Zoology
पोस्ट: Sub Collector and Revenue Divisional Officer 

 

कौन हैं श्रीधन्या सुरेश?

श्रीधन्या का जन्म केरल के वायनाड जिले में हुआ, और वह कुरीचिया जनजाति की सदस्य हैं। बचपन से ही पढ़ाई में तेज होने के बावजूद, एक साधारण परिवार और छोटे स्थान से होने के कारण संसाधनों की कमी रही। उनके माता-पिता तीर और धनुष बेचते थे, लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद श्रीधन्या ने हार नहीं मानी। उनके परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया और उनकी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया।

संसाधनों की कमी के बावजूद नहीं मानी हार.

श्रीधन्या ने कालीकट के सेंट जोसेफ कॉलेज से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। इसके बाद, वे कोझिकोड चली गईं जहां सेंट जोसेफ कॉलेज, देवगिरी से जूलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक के बाद उन्होंने कालीकट यूनिवर्सिटी से अपनी मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की।

सरकारी नौकरी को छोड़ IAS बनने का सपना.

मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीधन्या को अनुसूचित जनजाति विभाग में एक सरकारी नौकरी मिली। यहां उन्होंने आदिवासी छात्रों के हॉस्टल में वार्डन के रूप में काम किया। अच्छी तनख्वाह और स्थिर नौकरी के बावजूद, श्रीधन्या का सपना बचपन से IAS अफ़सर बनने का था ताकि वे देश की सेवा कर सकें।

नौकरी और पैसों को छोड़कर, देशसेवा को चुना.

इसलिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी शुरू की। साल 2018 में उन्होंने UPSC परीक्षा के पहले दो राउंड सफलतापूर्वक पास कर लिए। लेकिन तीसरे और अंतिम चरण के लिए उन्हें दिल्ली जाना था, और उनके पास यात्रा के लिए पैसे नहीं थे। इस कठिन समय में उनके कुछ दोस्तों ने मदद की और उन्हें दिल्ली भेजा। दिल्ली जाकर उन्होंने UPSC के इंटरव्यू में भाग लिया और 410वीं रैंक प्राप्त की। इस प्रकार, 2019 में वे केरल की पहली महिला आदिवासी IAS अधिकारी बनीं।

एक आदिवासी अधिकारी के रूप में समाजसेवा.

अपनी इस सफलता पर IAS श्रीधन्या सुरेश का कहना है कि “मैं केरल राज्य के सबसे पिछड़े जिले से हूं, यहां पर बहुत बड़ी संख्या में जनजातीय आबादी है लेकिन यहां कोई भी आदिवासी आईएएस अधिकारी नहीं है। इसीलिए मैं चाहती हूं कि मैं एक आदिवासी अधिकारी के रूप में लोगों की समस्याओं को दूर कर पाऊं।” साल 2019 में उन्हें सिविल सर्विसेज के एग्जाम में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए केरल सरकार की ओर से “कुडुंबश्री अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया।

श्रीधन्या सुरेश जैसी महिलाएं आज हमारे समाज और खासकर महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन हो, अगर मन में ठान लिया जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल करना कठिन नहीं है। उनकी यह प्रेरणादायक कहानी महिलाओं और समाज के हर वर्ग के लिए एक मिसाल है। आपको आईएएस श्रीधन्या सुरेश की ये प्रेरणादायक कहानी कैसी लगी? हमें कॉमेंट्स में ज़रूर बताएं।