हर इंसान का बचपन से कोई ना कोई सपना ज़रूर होता है। लेकिन कुछ लोग मुकद्दर के भरोसे रहकर उतना ही हासिल कर पाते हैं, जितना किस्मत उन्हें देती है, वहीं कुछ लोग अपनी किस्मत खुद लिया करते हैं। खुद की किस्मत खुद लिखने वालों में से ही एक नाम है मारिया कुरियाकोस।
कहते हैं कि अगर कोई इंसान ठान ले, तो वह अपने हर सपने को पूरा कर सकता है। ऐसी ही एक कहानी है मारिया कुरियाकोस की, जिन्होंने बचपन में कभी खुली आंखों से अपने गृह राज्य केरल के लिए कुछ करने का सपना देखा था और उसे पूरा कर दिखाया।
हालांकि, उनका यह सफर इतना आसान भी नहीं था। एक समय आया जब वह भी परेशान थीं कि आखिर अपने इस सपने को कैसे पूरा करे, जिसके बारे में मारिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
जानिए मारिया कुरियाकोस की सफलता की कहानी –
उम्र: | 28 साल |
पिता: | कुरियाकोस वरु |
माता: | जॉली कुरियाकोस |
शिक्षा: | सेंट जेवियर कॉलेज, मुंबई से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन
ICADE, स्पेन से एमबीए |
स्टार्टअप: | थेंगा कोको |
तब मारिया ने रिसर्च करना शुरू किया। कई आइडियाज पर विचार करने के बाद उन्हें नारियल के खोल से कुछ क्रिएटिव बनाने का ख्याल आया और आज उनकी कंपनी सालाना एक करोड़ का कारोबार कर रही है।
कौन हैं मारिया कुरियाकोस
मारिया का जन्म "गॉड्स ओन कंट्री" के नाम से मशहूर केरल के त्रिशूर में हुआ था। मारिया के पिता कुरियाकोस वरु एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उनकी माता जॉली कुरियाकोस एक गृहिणी हैं।
मारिया की स्कूली शिक्षा भी त्रिशूर से ही हुई थी।
इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई चली गयी और वहां सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया। वहां से वो स्पेन चली गयी और स्पेन के ICADE से 2017 में एमबीए किया। एमबीए करने के बाद मरिया वापस मुंबई आ गयी और वहां एक कंसल्टेंसी में जॉब करने लगी।
ऐसे मिला स्टार्टअप का आईडिया.
मारिया अपने गृह राज्य केरल के लोगों के लिए कुछ करना चाहती थी, लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उन्होंने अपनी जॉब छोड़ने का फैसला लिया, 2019 में वो जॉब छोड़कर वापस केरल आ गयी और वहां उन्होंने कई सारे आईडिया पर विचार करने लगी।
इसके साथ ही वो रिसर्च भी करने लगी, इसी दौरान वो नारियल तेल की एक फैक्ट्री में गयी थी। वहां उन्होंने देखा कि उस फैक्ट्री में नारियल के खोल को ऐसे ही फेंका जा रहा था, तब उन्होंने इसी पर काम करने का निर्णय लिया।
भारत में केरल नारियल उत्पादन में प्रमुख है। इसी के आधार पर मारिया ने 2020 में अपना स्टार्टअप शुरू किया और अपने ब्रांड का नाम थेंगा रखा। जब उन्होंने थेंगा कोको शुरू किया, तब कोविड 19 के कारण उन्हें कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा।
मलयालम में नारियल को थेंगा कहा जाता है।
लेकिन जल्द ही उनके बने प्रोडक्ट लोगों के बीच में फेमस होने लगे। आज थेंगा कोको में नारियल के खोल से कप, बाउल, कटलरी, कैंडल स्टैंड, कुकिंग स्पून सहित 23 प्रकार के सुन्दर प्रोडक्ट बनते हैं। मारिया के पिता मैकेनिकल इंजीनियर हैं और थेंगा कोको के लिए ज़रूरी मशीनें बनाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। आज थेंगा कोको सालाना एक करोड़ का कारोबार कर रही है।