हर इंसान के जीवन में असफलताओं का दौर ज़रूर आता है, कई लोग इन असफलताओं के आगे घुटने टेक देते हैं, वहीं कुछ लोग इन असफलताओं से लड़कर सफलता प्राप्त कर लेते हैं। आज हम भी ऐसे ही एक बिज़नेसमैन की कहानी लेकर आये हैं, जो 12वीं में 2 बार फ़ेल हुए तो लोगों ने उन्हें ताने मारना शुरू कर दिया।

इन सब तानों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत कर तीसरी बार में 12वीं पास की। ग्रेजुएशन के बाद वे सिर्फ 500 रुपये लेकर अमेरिका पहुंचे और वहां अपनी जीविका चलाने लगे। वापस भारत आकर उन्होंने खुद की कंपनी शुरू की।

आज जानिए डिवीज़ लैबोरेटरीज़ के संस्थापक मुरली डिवी की सफलता की कहानी –

जन्म: 17 मार्च 1951, कृष्णा जिला, आंध्र प्रदेश
शिक्षा: मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन से बी फार्मा
वर्तमान पद: डिवीज़ लैबोरेटरीज़ के फाउंडर और एमडी
टर्नओवर: 1 लाख करोड़ रुपये

डिवीज़ लैबोरेटरीज़ दवाओं के कच्चे माल के निर्माण में शीर्ष 3 कम्पनियों में शामिल है।

12वीं में 2 बार फेल हुए मुरली डिवी

डिवीज़ लैबोरेटरीज़ के संस्थापक और एमडी मुरली डिवी का जन्म 17 मार्च 1951 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। मुरली के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे, उनके रिटायरमेंट के बाद उन्हें 10 हजार रुपये प्रति माह मिलते थे। मुरली के परिवार में कुल 14 सदस्य थे, उनके पिता को इन्हीं 10 हजार रुपयों में अपने परिवार की भरण पोषक करना पड़ता था। मुरली की स्कूली शिक्षा स्थानीय स्कूल में हुई, वे 12वीं में 2 बात फैल हुए, तो सभी ने उन्हें ताने मारने शुरू कर दिए। परन्तु मुरली ने उन तानों को नजरअंदाज कर तीसरी बार में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन में दाखिला लेकर बी फार्मा किया।

500 रुपये लेकर पहुंचे अमेरिका

मुरली की कहानी किसी फिल्म की तरह दिखती है। बी फार्मा करने के बाद 25 साल की उम्र में मुरली 500 रुपये लेकर अमेरिका पहुंचे और वहां फार्मासिस्ट के रूप में काम शुरू किया। वहां उन्होंने कई सारी फार्मा कम्पनियों में काम किया, वहां उन्हें हर साल लगभग 54 लाख रुपये की कमाई होती थी। अब वे फार्मा सेक्टर को अच्छे से समझने लगे थे, वहां कुछ सालों तक काम करने के बाद वे भारत वापस लौट आये।

इस तरह शुरू की अपनी कंपनी

1984 में मुरली ने कल्लम अंजी रेड्डी के साथ मिलकर केमिनोर बनाया, जिसका सन 2000 में डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज़ के साथ मर्जर हो गया। मुरली 1990 तक केमिनोर में काम करते रहे, 1990 में मुरली ने दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले API यानि कच्चे माल का निर्माण करने वाली डिवीज़ लैबोरेटरीज़ की शुरुआत की। धीरे धीरे मुरली बिज़नेस में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगे।

मुरली ने 1995 में तेलंगाना में पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की और 2002 में विशाखापत्तनम में दूसरी यूनिट शुरू की। आज डिवीज़ लैबोरेटरीज़ दवाओं के कच्चे माल के निर्माण में शीर्ष 3 कम्पनियों में शामिल है। जब मुरली 12वीं में 2 बार फैल हुए थे, तब कोई नहीं जानता था कि ये शख्स एक दिन 1 लाख करोड़ रुपये की कंपनी का मालिक होगा। इसका सिर्फ एक कारण था और वो था - मुरली का असफलताओं के सामने घुटने न टेंकना।


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