सपने उन्हीं के सच होते हैं जो मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटते। जो संघर्ष की आग में तपता है वही जीवन में आगे बढ़ता है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है जम्मू कश्मीर की पहली महिला क्रिकेटर जासिया अख्तर। जिन्होंने समाज की बंदिशों को तोड़ते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज उनकी मेहनत और काबिलियत के दम पर उन्हें महिला प्रीमियम लीग में 20 लाख रूपये में दिल्ली कैपिटल की ओर से खेलने के लिए खरीदा गया है।
दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले की रहने वाले जासिया पहली महिला क्रिकेट खिलाड़ी हैं। जासिया 2013 में वनडे और टी-20 में टॉप परफॉर्मर रहीं थीं। जासिया ने जम्मू-कश्मीर अंडर-19 टीम को राष्ट्रीय स्कूल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में भी मदद की थी। जासिया के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उनके पिता मजदूर है। लेकिन सभी विपरीत परिस्थितियों को एक तरफ रखते हुए उन्होंने अपने सपनों को पूरा किया और आज वो देश का नाम रौशन कर रही हैं। लेकिन यह सफर उनके लिए आसान नहीं था। तो आइए जानते हैं जासिया के प्रेरक सफर के बारे में।
गरीबी में बीता बचपन
दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले की रहने वाले जासिया अख्तर का बचपन काफी संघर्ष में बीता। उनके पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। जिससे उनके घर का खर्च चलता था। जासिया के पिता परिवार का पालन पोषण करने के लिए अपने खेत में सेब और अखरोट की खेती करते हैं। जासिया बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहती थी वो सचिन तेंदुलकर और हरमनप्रीत कौर को अपना आदर्श मानती थी। इसलिए उन्हें क्रिकेट सीखना था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी कि वो अपनी बेटी को क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलवा पाते।
लड़को के साथ की ट्रेनिंग
जासिया ने शोपियां जिले के बरारी पोरा गांव में उस समय क्रिकेट खेलना शुरू किया था, जब उनके इलाके में सिर्फ लड़के ही क्रिकेट खेलते थे। लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते हुए जासिया ने अपने सफर की शुरूआत की और 2003 से 2006 के बीच जम्मू-कश्मीर के लिए अंडर-13, अंडर-14, अंडर-15 और अंडर 16 कैटेगरी में क्रिकेट खेला। इस बीच कई बार टीम का हिस्सा बनी तो कई बार टीम से बाहर भी हुई। साल 2007 से 2011 का एक दौर ऐसा आया जब जासिया को आर्थिक तंगी के कारण क्रिकेट से दूरी बनानी पड़ी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2012 में उन्होंने फिर वापसी की और एक साल तक जम्मू-कश्मीर के लिए खेला।
क्रिकेट के लिए छोड़ना पड़ा घर
जम्मू-कश्मीर में महिला क्रिकेट की हालत अच्छी नहीं थी। न ही उनका परिवार उन्हें अच्छी ट्रेनिंग दिला सकता था। जिसके कारण जासिया को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह उनके और परिवार के लिए एक बड़ा फैसला था। लेकिन सपनों को पूरा करने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थीं, और इस तरह वो कश्मीर से पंजाब आ गईं। जासिया पंजाब टीम में जगह बनाने के लिए जद्दोजहद कर रही थीं। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पा रही थी।
ऐसे बनाई पहचान
जासिया ने अपने खेल की शुरूआत पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से खेल कर की थी। इसके बाद राजस्थान चली गईं। राजस्थान की तरफ से खेलते हुए उन्होंने वुमन टी-20 के सात मैच में 273 रन बनाए, अंतर जोनल टी-20 के छह मैच में 202 रन बनाए, चैलेंजर ट्रॉफी के चार मैच 114 रन बनाए, वनडे ट्रॉफी के नौ मैच में 501 रन बनाए है। इसी दौरान उनकी मुलाकात भारतीय महिला क्रिकेट टीम की मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत कौर से हुई। हरमनप्रीत से ही प्रेरित होकर जासिया ने अपने लक्ष्य को हासिल किया। हरमनप्रीत की एक सलाह ने उनकी जिंदगी बदल दी, और वो जल्द ही टीम में चुनी गईं। घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करते हुए जासिया ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।
महिला क्रिकेट लीग में बनीं लखपति
जासिया का बचपन से ही खेलों के प्रति लगाव था। क्रिकेट खेलने से पहले वह कबड्डी खेल चुकी है। हालांकि क्रिकेट के प्रति झुकाव ने उन्हें क्रिकेट चुनने को मजबूर किया और 11 साल की आयु में बल्ला हाथों में थाम लिया। उनकी मेहनत रंग लाई। WPL में जासिया को लाखों रुपए में खरीदा गया है। दिल्ली कैप्टिल्स ने मुम्बई में हुई महिला आईपीएल ऑक्शन में जासिया अख्तर को 20 लाख रुपये के बेस प्राइस में खरीदकर अपनी टीम का हिस्सा बनाया है। 34 वर्षीय जासिया आलराउंड खिलाड़ी के रूप में जानी जाती हैं। वो इंडिया वीमेन रेड, इंडिया वीमेन बोर्ड प्रेजिडेंट इलेवन, इंडिया ए वीमेन, और इंडिया डी वीमेन टीम का हिस्सा भी रह चुकी हैं।
कभी आर्थिक तंगी के कारण पांच साल तक क्रिकेट से दूर रहने वाली जम्मू-कश्मीर के शोपियां की जासिया अख्तर महिला आईपीएल (डब्ल्यूपीएल) में खेलती दिखेंगी। जासिया अभी हाल ही में सहवाग क्रिकेट अकेदमी द्वारा गुरुग्राम में आयोजित टी 20 क्वींस इलेवन क्रिकेट लीग में शानदार प्रदर्शन के चलते चर्चा में आईं थी। जासिया अख्तर ने अपनी मेहनत और लगन से अपनी सफलता की कहानी लिखी है। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने उन लड़कियों के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं जो पैसों और सुविधाओं के अभाव के कारण आगे बढ़ने का सपना छोड़ देती हैं।


 
                                                         
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
                 
 