अक्सर ये कहा जाता है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नही होता। जिस काम को पूरी लगन और मेहनत से किया जाता है उसमें सफलता ज़रूर मिलती है। इस बात को प्रमाणित करने का काम किया है आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई करने वाले अरूणाभ सिन्हा ने। इन्होंने गंदे कपड़े धोने का काम शुरू किया था और आज इसी काम के ज़रिए 100 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है।

एक ओर जहां भारत में लॉन्ड्री की सुविधा धोबी से ही ली जाती है, वह घर के दरवाजे से कपड़े इकट्ठा करते हैं, उन्हें धोते हैं, इस्त्री करते हैं और ग्राहक को लौटाते हैं। वहीं इस काम को इतने बड़े लेवल पर करना अरूणाभ के लिए आसान नहीं था। यह सोचना भी अंसभव था कि लॉन्ड्री के काम को करोड़ों के बिजनेस में भी बदला जा सकता है।

आईआईटियन अरुणाभ सिन्हा के जीवन का प्रेरक सफर

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आईआईटियन अरुणाभ सिन्हा ने अपनी मेहनत के दम पर इस अंसभव से काम को संभव कर दिखाया है। तो आइए जानते हैं उनके जीवन के प्रेरक सफर के बारे में।

शुरू से ही कुछ अलग करने की थी चाह: 

मूल रूप से बिहार के रहने वाले अरुणाभ सिन्हा एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की। इसके बाद उन्होंने एक निजी कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी की। लेकिन कुछ अलग करने की चाह उनके अंदर बचपन से ही थी। नौकरी करने के कारण वो कुछ अलग कर नहीं पा रहे थे। इसी कड़ी में उन्होंने सोचा कि वे नौकरी छोड़ अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करेंगे और अपना बिज़नेस करने की चाह में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

1 करोड़ का पैकेज छोड़ शुरू किया स्टार्टअप: 

साल 2011 में अरुणाभ सिन्हा ने अपना पहला स्टार्टअप शुरू किया। परिस्थितियां कुछ असहज हुई तो 2015 में 4 साल पहले शुरू की गई कंपनी को बेच दिया और फिर नौकरी करने लगे। इस बार उन्हें 1 करोड़ रुपए का सालाना पैकेज मिला। लेकिन अपना काम करने की चाह में उन्होंने साल 2016 में फिर नौकरी छोड़ दी और एक नए स्टार्टअप ‘यूक्लीन’ की शुरूआत की।

होटल में नौकरी करने के दौरान मिला आइडिया: 

अपना स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया अरुणाभ को एक होटल में नौकरी करने के दौरान मिला। उन्होंने देखा कि होटल में लोगों के कपड़े ठीक से साफ नहीं होते हैं। ज्यादातर कपड़ों की धुलाई धोबी घाट में होती है। ऐसे में उन्होंने लोगों के गंदे कपड़ों को धोने का काम शुरू किया और यूक्लीन ड्राई क्लीनिंग कंपनी की शुरुआत की। इसमें उनकी पत्नी गुंजन तनेजा ने भरपूर साथ दिया जो कि कंपनी की सह-संस्थापक भी हैं।

आज है करोड़ों का टर्नओवर: 

अरुणाभ सिन्हा के यूक्लीन ड्राई क्लीनिंग के आइडिया से हर कोई प्रभावित था फिर भी कोई इसमें निवेश करने को तैयार नहीं था। ऐसे में दिल्ली के एक ड्राई क्लीनिंग स्टोर के मालिक ने अरुणाभ के आइडिया पर भरोसा जताया और अपने 2 स्टोर्स यूक्लीन में तब्दील करने को दे दिए। लेकिन अरुणाभ के लिए ये शुरूआत भी अच्छी नहीं रही। वसंत कुंज के जिस स्टोर को अरुणाभ ने लिया था उसमें अचानक आग लग गई। पहले ही महीने में अरुणाभ को 12 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। फिर भी, यह नुकसान अरुणाभ के हौसलों को हिला नहीं सका। इसके बाद अरुणाभ ने फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम किया। जिसके तहत 5 लाख रुपए में फ्रेंचाइजी देनी शुरू की। जिसके बाद उनका कारवां आगे बढ़ता गया। 10 से 6 की प्राइवेट नौकरी करने वाले अरूणाभ ने देखते ही देखते अपनी मेहनत से कंपनी को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया।

आज उनकी कंपनी 93 शहरों में चल रही है। उनके पास 323 स्टोर्स की चेन है। इसके आउटलेट पूरी तरह से कपड़े धोने की मशीन, स्टीम आयरन टेबल और ड्राई-क्लीनिंग सेटअप से सुसज्जित हैं। एक पूरी तरह से प्रशिक्षित टीम दिन-प्रतिदिन के आधार पर स्टोर का संचालन और प्रबंधन करती है। किलो के हिसाब से लॉन्ड्री, ड्राई-क्लीनिंग, शू क्लीनिंग, बैग क्लीनिंग, सॉफ्ट टॉयज क्लीनिंग जैसी सफाई सेवाएं प्रदान की जाती हैं। कस्टमर घर से पिक-अप और डिलीवरी का लाभ उठा सकते हैं। आज उनकी कंपनी तकरीबन 100 करोड़ का टर्नओवर कर रही है।

अरूणाभ ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी शुरुआत की है। UClean कंपनी ने बांग्लादेश और नेपाल में भी अपने स्टोर खोले हैं। उनका आगानी प्लान है कि वे अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ और देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।

आज एक छोटे से शहर से निकलकर अरूणाभ ने सफलता की नई कहानी लिखी है। आज वे अपनी मेहनत और लगन से लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।