भारत सदैव से एक कृषि प्रधान देश रहा है। हमने कई सारे फ़िल्मी गानों में भी लहलहाते खेत और गाते झूमते हुए किसान देखे हैं। लेकिन पारंपरिक खेती में ज्यादा मुनाफा न होने के कारण आज कई किसान खेती से दूर हो रहे हैं और कमाई के नए रास्ते तलाश रहे हैं।

बिहार के जमुई जिले के दिलीप सिंह भी कई वर्षों से पारंपरिक खेती करते थे, जिससे उन्हें नगण्य आय होती थी। अब दिलीप सिंह न सिर्फ लीक से हटकर काम कर रहे हैं, बल्कि हर साल लाखों रुपये भी कमा रहे हैं।

जानिए दिलीप सिंह की सफलता की कहानी -

दिलीप सिंह की सफलता की कहानी से सीख लेकर कई किसान अपना जीवन बदल सकते हैं।

कौन है दिलीप सिंह

63 साल के दिलीप सिंह बिहार के जमुई जिले के नूमर गाँव के रहने वाले हैं। दिलीप 13 बीघा खेतों के मालिक हैं, जिस पर वे बरसों से धान, गेहूं जैसी पारम्परिक खेती कर रहे थे। परंपरागत खेती से दिलीप को ज्यादा आमदनी नहीं हो रही थी, ऐसे में वो आमदनी के कुछ दूसरे तरीकों के बारे में सोच रहे थे, तब उन्हें किसी से फलदार पेड़ों को लगाने की प्रेरणा मिली।

ऐसे की शुरुआत.

दिलीप परंपरा से हटकर कुछ और करना चाहते थे, लेकिन उनका परिवार इसके लिए तैयार नहीं था। एक दिन वे अपने एक रिश्तेदार से मिलने गए, दिलीप के इन रिश्तेदार ने अपने खेतों में कई सारे फलदार पेड़ लगा रखे थे, जिससे इन्हें अच्छी आमदनी हो रही थी। दिलीप ने इसके बारे में सबकुछ पता किया और फिर शुरुआत में अपने 10 बीघा खेतों में 400 पेड़ लगाए। इन पेड़ों को फलदार बनने में 3 साल का समय लगा, तब तक दिलीप अपने बाकि के 3 बीघा खेतों में परंपरागत खेती करते रहे। 3 साल बाद इनकी मेहनत और पेड़ दोनों फल देने लगे।

इसके बाद दिलीप ने बाकि के 3 बीघा खेतों में भी पेड़ लगा दिए, दिलीप ने आम, लीची, अमरुद जैसे पेड़ लगाए। इन फलों को बेचकर दिलीप सालाना 20 से 25 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। इसी के चलते बिहार सरकार ने दिलीप को "किसान श्री" सम्मान से सम्मानित किया।

आज जमुई और आसपास के कई किसान दिलीप से प्रेरणा लेकर अपने खेतों में फलदार पेड़ लगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं।


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