नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर बढ़ने के साथ ही उद्योग-धंधो के सामने नए आर्थिक संकट भी उत्पन्न हुए है. इस संकट की घड़ी में कारोबार जगत को फिर से पहले जैसा मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठा रही है. इस बीच वित्त संबंधी स्थायी समिति (2019-20) ने केंद्र से सिफारिश की है कि स्टार्टअप में निवेश के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) पर लगने वाले टैक्स को वापस ले लिया जाए. यह टैक्स कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट व्हीकल्स (सीआईवी) जैसे कि एंजेल फंड, वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) और इन्वेस्टमेंट एलएलपी के माध्यम से लागू होते हैं.
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबी इस समिति ने 'फाइनेंसिंग द स्टार्टअप इकोसिस्टम' पर अपनी रिपोर्ट पेश की है. जिसमें कहा है कि महामारी के बीच निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कर को कम से कम अगले दो वर्षो के लिए हटा दिया जाना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है "समिति दृढ़ता से अनुशंसा करना चाहेगी कि स्टार्टअप कंपनियों (डीपीआईआईटी द्वारा निर्दिष्ट) में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर कर को समाप्त कर दिया जाए, जो कि कलेक्टिव इनवेस्टमेंट व्हीकल्स (सीआईवी) के माध्यम से किए जाते हैं जैसे कि एंजेल फंड, एआईएफ और इनवेस्टमेंट एलएलपी." इसने सुझाव दिया कि इस दो वर्ष की अवधि के बाद, प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट व्हीकल्स (सीआईवी) पर लागू किया जा सकता है, ताकि राजस्व तटस्थता बनी रहे.
स्थायी समिति ने कहा कि सीआईवी की ओर से निवेश पारदर्शी तरीके से किया जाता है और इसे उचित बाजार मूल्य पर ही किया जाना चाहिए. समिति ने कहा कि इन निवेशों से जुड़े एसटीटी की गणना करना आसान है. इस तरह के कदम से विदेशी प्रतिभूतियों की तुलना में घरेलू निवेश को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों के पक्ष में माहौल बनेगा.