वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यह भी सूचित किया है कि कोई भी आईईसी धारक एक वर्ष की अवधि के दौरान कोई निर्यात नहीं किया है या एक सितंबर या उसके बाद नई आईईसी प्राप्त की है, वे के तहत कोई भी दावा प्रस्तुत करने के लिए हकदार नहीं होंगे. उपरोक्त उच्चतम सीमा अधोमुखी संशोधन के अधीन होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस अवधि के दौरान एमईआईएस के तहत कुल दावा राशि सरकार द्वारा निर्धारित 5000 करोड़ रुपये के निर्धारित आवंटन से अधिक न हो.
यह अनुमान लगाया गया है कि निर्यातकों के एमईआईएस के तहत 98 प्रतिशत दावों पर इन परिवर्तनों से कोई असर नहीं पड़ेगा. ऐसे अप्रभावित निर्यातक, जो अपने उत्पादों के मूल्य निर्धारण में पहले ही एमईआईएस में भाग ले चुके हैं, उन्हें भी किसी परिवर्तन या अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि न तो उनके उत्पादों की कवरेज और न ही एमईआईएसकी दरों में कोई बदलाव होगा. एमईआईएसकी अंतिम तिथि को चार महीने की अग्रिम सूचना भविष्य में मूल्य निर्धारण निर्णयों के लिए निश्चितता प्रदान करती है.