नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने निर्यात लाभ से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है. इसके मुताबिक मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत उपलब्‍ध कुल लाभों की उच्‍चतम सीमा लागू की गई है. विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि इस योजना के तहत किसी आईईसी धारक को दिए जाने वाला कुल लाभ 1 सितंबर 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक की अवधि के दौरान किए गए निर्यातों के प्रति आईईसी पर 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा.

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने यह भी सूचित किया है कि कोई भी आईईसी धारक जिसने 1 सितंबर 2020 से पहले एक वर्ष की अवधि के दौरान कोई निर्यात नहीं किया है या एक सितंबर या उसके बाद नई आईईसी प्राप्‍त की है, वे के तहत कोई भी दावा प्रस्तुत करने के लिए हकदार नहीं होंगे. उपरोक्‍त उच्‍चतम सीमा अधोमुखी संशोधन के अधीन होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस अवधि के दौरान एमईआईएस के तहत कुल दावा राशि सरकार द्वारा निर्धारित 5000 करोड़ रुपये के निर्धारित आवंटन से अधिक न हो.

यह अनुमान लगाया गया है कि निर्यातकों के एमईआईएस के तहत 98 प्रतिशत दावों पर इन परिवर्तनों से कोई असर नहीं पड़ेगा. ऐसे अप्रभावित निर्यातक, जो अपने उत्पादों के मूल्य निर्धारण में पहले ही एमईआईएस में भाग ले चुके हैं, उन्हें भी किसी परिवर्तन या अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्‍योंकि न तो उनके उत्‍पादों की कवरेज और न ही एमईआईएसकी दरों में कोई बदलाव होगा. एमईआईएसकी अंतिम तिथि को चार महीने की अग्रिम सूचना भविष्य में मूल्य निर्धारण निर्णयों के लिए निश्चितता प्रदान करती है.