Micro, Small, and Medium Enterprises (MSMEs) ने हमेशा से भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान रहा है। ये लोकल लेवल पर रोजगार तो पैदा करते ही हैं, देश की export growth में भी इनकी अहम भूमिका होती है।
2025 की बदलती हुई दुनिया में डिजिटल ट्रेड, E-commerce प्लेटफॉर्म्स, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट, और नई सरकारी नीतियाँ छोटे उद्योगों को इंटरनेशनल मार्केट में उतरने का मौका दे रही हैं। आइए जानते हैं छोटे उद्योग इन अवसरों का लाभ कैसे उठाएँ?
2025 छोटे उद्योगों के लिए खास -
दुनिया में चल रही Digitalization ने छोटे उद्योगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जिसकी मदद से इनका ग्लोबल कस्टमर्स तक पहुँचना आसान हो गया है। भारत में सरकार भी MSMEs को प्रोत्साहित कर रहे हैं और इनके लिए विशेष import योजनाएँ और स्कीम्स चलाई जा रही हैं। भारत में बनाई जाने वाली हैंडीक्राफ्ट्स, टेक्सटाइल, ऑर्गेनिक फूड, आयुर्वेद और आईटी सर्विसेज की ग्लोबल डिमांड बढ़ी है। लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन में हुए सुधार से अब प्रोडक्ट्स को आसानी से विदेश भेजा जा सकता है।
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इंटरनेशनल मार्केट तक पहुँचने के रास्ते -
छोटे उद्योगों के इंटरनेशनल मार्केट तक पहुँचने के लिए कई रास्ते खुल चुके हैं। जैसे-
- E-commerce export-
Amazon Global Selling, eBay, Etsy जैसे प्लेटफॉर्म छोटे उद्योगों को सीधे ग्लोबल कस्टमर्स तक पहुँचने में मदद करते हैं। Entrepreneurs जो छोटे स्केल पर बिजनेस शुरू करते हैं वो भी अपने प्रॉडक्ट्स ऑनलाइन बेच सकते हैं।
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B2B मार्केटप्लेस -
Alibaba, IndiaMART Global, TradeIndia जैसे B2B प्लेटफॉर्म छोटे उद्योगों के लिए हैं। यहाँ वे अपने सामान की लिस्टिंग डालकर थोक में ऑर्डर पा सकते हैं।
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Direct partnership -
छोटे उद्योग के ग्लोबल मार्केट तक पहुँचने का एक और रास्ता है Tie-up, विदेशी कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स से Tie-up कर के भी छोटे उद्योग अपनी ग्लोबल reach बढ़ा सकते हैं।
Products to Focus -
2025 में भारत के MSMEs में बहुत ज्यादा अवसर जिन क्षेत्रों में है, वो हैं- हैंडलूम और टेक्सटाइल मतलब भारतीय कपड़ों और डिजाइन को विदेश में बहुत पसंद किया जा रहा है, जिससे इनकी डिमांड बढ़ी है। हैंडिक्राफ्ट्स और ज्वेलरी यूनिक और बहुत पुरानी कला है जो सदियों से चली आ रही है, इनकी डिमांड पूरे विश्व में है। हेल्थ और वेलनेस इंडस्ट्री में ऑर्गेनिक और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स की मांग भी बहुत ज्यादा है। ग्लोबल आउटसोर्सिंग से लाभ उठाने में छोटे IT स्टार्टअप्स भी पीछे नहीं हैं। भारत के चटपटे मसालों का स्वाद शायद ही कोई ना जानता हो, विदेशों में इनकी डिमांड भी बढ़ रही है।
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छोटे उद्योगों के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम -
इंटरनेशनल मार्केट में प्रोडक्ट की क्वालिटी और सर्टिफिकेशन बहुत मायने रखती है। अगर प्रोडक्ट को ISO, HACCP, CE Mark आदि जैसे सर्टिफिकेशन प्राप्त हो तो इससे लोगों का प्रोडक्ट पर विश्वास बढ़ता है। ग्लोबल मार्केट तक पहुँचने के लिए डिजिटल मार्केटिंग और ब्रांडिंग बहुत जरूरी है, इसके बिना ग्लोबल मार्केट तक बहुत ज्यादा मुश्किल/असंभव है। इसके लिए आप वेबसाइट, सोशल मीडिया, ईमेल जैसे प्लेटफॉर्म की मदद ले सकते हैं।
लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी नेटवर्क भी मजबूत रखना बहुत जरूरी है। प्रोडक्ट्स की शिपिंग के लिए भरोसेमंद और बढ़िया शिपिंग पार्टनर होने चाहिए। कंपनियाँ जैसे FedEx, DHL, Aramex ये छोटे स्केल पर भी export सपोर्ट देती हैं। एक और महत्पूर्ण point ये है कि इंटरनेशनल पेमेंट के financial और payment solutions बहुत मजबूत होने चाहिए जो यूज करने में आसान और सुरक्षित हों। PayPal, Stripe, Razorpay जैसे प्लेटफॉर्म ये सुविधाएँ देते हैं। छोटे उद्योगों के लिए कुछ सरकारी स्कीम्स भी हैं जैसे- Export Credit Guarantee Corporation (ECGC), ये भी उन्हें सुरक्षा देती हैं।
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सरकारी नीतियों और स्कीम्स का लाभ -
भारत सरकार MSMEs को सपोर्ट करने के लिए कई स्कीम्स चला रही है जैसे- RoDTEP स्कीम, इसमें किसी भी imported प्रोडक्ट पर लगाए गए टैक्स, और चार्जेज को लौटाया जाता है जिन्हें किसी भी तरह से जमा या वापस नहीं किया जाता है। दूसरी स्कीम है- MSME Export Promotion Council, इसमें छोटे उद्योगों के लिए ट्रेनिंग और सपोर्ट provide करायी जाती है। Government e-Marketplace और Trade Fairs यह स्कीम इंटरनेशनल buyers से जुड़ने का मौका देती है।
चुनौतियाँ -
हर देश का अपना Import-Export Regulations और Quality Standard होता है। अगर उसको follow करने में कोताही हुई या फिर किसी भी कारण से नियम टूटे तो प्रोडक्ट को रोक दिया जाएगा और फाइन भी लगा सकता है। इंटरनेशनल मार्केट में चीन, वियतनाम, और बांग्लादेश बहुत कम दाम में प्रोडक्ट देते हैं तो उनसे competition मुश्किल होगा। भारत के छोटे उद्योगों के लिए कम दाम के साथ बढ़िया क्वालिटी बनाए रखना एक चुनौती होगा।
कई छोटे उद्योगों के पास आज भी डिजिटल स्किल्स और सही टीम की कमी है, यही कारण है कि वे इंटरनेशनल कस्टमर्स तक पहुँचने में पीछे रह जाते हैं। किसी भी बड़े इंटरनेशनल ऑर्डर को पूरा करने के लिए कैश फ्लो की जरूरत होती है। लेकिन छोटे उद्योगों को आसानी से बैंक लोन नहीं मिलते या फिर ज्यादा interest पर मिलते हैं। यही कारण होता है कि कभी-कभी ऑर्डर होते हुए भी बिजनेस पूरा नहीं कर पाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion) -
छोटे उद्योगों के लिए 2025 ग्लोबल और इंटरनेशनल स्तर पर कदम उठाने का समय है। “Local से Global” बनने का समय है। डिजिटल टूल्स, E-commerce प्लेटफॉर्म्स ने रास्ता आसान बनाया है। सरकारी नीतियाँ भी MSMEs को काफी सपोर्ट कर रही हैं। और विश्व में भारतीय प्रोडक्ट्स की डिमांड भी काफी बढ़ रही है।
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