नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान 3,82,581 शेल कंपनियों (Shell Company) को बंद किया है. सरकार ने मुखौटा (शेल) कंपनियों की पहचान करने और इन्हें बंद करने (कंपनी रजिस्टर से नाम हटाना) के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है. लगातार दो साल या इससे अधिक समय से वित्तीय विवरणों (एफएस) के दाखिल नहीं करने के आधार पर कंपनियों की पहचान की गई और कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 तथा कंपनी (कंपनी रजिस्टर से कंपनियों के नाम हटाना) नियम, 2016 के तहत कानून की उचित प्रक्रिया के पालन के बाद उन्हें बंद कर दिया गया.

संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान 3,82,581 शेल कंपनियों पर कार्रवाई की गयी है और उन्हें बंद कर दिया गया है. कंपनी अधिनियम के तहत "शेल कंपनी" को पारिभाषित नहीं किया गया है.

"शेल कंपनी" आम तौर पर उस कंपनी को इंगित करता है जो सक्रिय कारोबार का संचालन नहीं करती है या कंपनी के पास  महत्वपूर्ण परिसंपत्ति नहीं है और इन कंपनियों का इस्तेमाल कुछ मामलों में अवैध उद्देश्य के लिए किया जाता है जैसे कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्ति आदि. शेल कंपनी के मामले की जांच करने के लिए  सरकार द्वारा गठित विशेष कार्य बल ने कुछ सिफारिशें की हैं, जिनमें शामिल है -  शेल कंपनियों की पहचान के लिए अलर्ट के रूप में कुछ रेड फ्लैग  संकेतकों का उपयोग करना.

अमूमन ऐसी कंपनियां सिर्फ नाममात्र के लिए कागजो में रजिस्टर्ड होती है. ऐसे में किसी भी उद्यमी का शेल कंपनी में किया गया लेनदेन फंस सकता है. साथ ही उद्यमी व्यावसायिक धोखाधड़ी का भी शिकार हो सकता है.