इसांन अगर कुछ करना चाहे तो उसे कोई नहीं रोक सकता। उसकी हर कमजोरी उसकी ताकत बन जाती है। अगर दिल में कुछ कर दिखाने का हौसला हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता। हर चीज़ आसान हो जाती है और मंज़िल मिलकर ही रहती है। कुछ ऐसा ही करने वाले शख्स है रुषभ कपासी। रुषभ की आंखे बचपन से ही खराब है लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी हार नहीं मानी और सीए की परीक्षा पास की। आज रुषभ कपासी को सीए रुषभ कपासी कहा जाता है। उन्होंने अपनी सफलता की कहानी काफी संघर्ष के साथ लिखी है। आइए जानते हैं उनका यह सफर।

रुषभ कपासी का जब जन्म महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था। रुषभ के पिता सिविल इंजीनियर है। उनके जन्म के समय परिवार का हर व्यक्ति खुश था। परिवार में खुशियों का माहौल था लेकिन जन्म के कुछ ही दिनों बाद उनके एक रिश्तेदार ने देखा कि रुषभ की आंखो में कुछ खराबी है। जिसके बाद उनके परिवार ने रुषभ के ईलाज के लिए 15 से ज्यादा डॉक्टरों से संपर्क किया। लेकिन सभी डॉक्टर ने यही कहा कि रुषभ की आंखो में ही समस्या है वो सही से देख नहीं सकते। उनकी आंखो का कई बार ऑपरेशन भी किया गया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। रुषभ की आंखो में 6 प्रतिशत ही रोशनी थी जो समय के साथ और कम होने लगी। रुषभ उसी के साथ अपना जीवन जीने लगे।

रुषभ के माता-पिता ने उन्हें विभिन्न स्कूलों में प्रवेश दिलाने की कोशिश की लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं मिला। हर कोई उनकी आंखो की दृष्टि ना होने के कारण प्रवेश देने से मना कर देता था। लेकिन उन्होंने और उनके माता-पिता ने उम्मीद नहीं खोई और आखिरकार एक स्कूल में रुषभ को एडमिशन मिल गया।  लेकिन, यहां भी रुषभ के लिए राह आसान नहीं हुई थी। स्कूल के छात्र रुषभ को तरह-तरह से परेशान करते थे. उन्हें धमकाया, डराया करते थे। लेकिन रुषभ ने अपनी पढ़ाई बहुत मेहनत से की। वो एक्स्ट्रा क्लास लेकर भी अपनी पढ़ाई को किया करते थे। जिसके कारण कुछ ही दिनों में रुषभ की गिनती क्लास के  शीर्ष प्रदर्शन करने वाले छात्रों में होने लगी।

रुषभ कपासी के लिए लिखना बेहद मुश्किल होता था क्योंकि उनकी आंख और कागज के बीच की दूरी 5 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए थी। वो 5 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं देख सकते थे। फिर भी, वह अपने कागज खुद लिखते थे, कभी-कभी स्याही उनकी आँखों में चली जाती थी। लेकिन वो अपना काम खुद करते थे। रुषभ को इस बात का एहसास 8 वीं कक्षा के समय हुआ कि उनकी दृष्टि कम हो गई है। रुषभ ने कभी भी अपनी इस कमजोरी को खुद पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाई।  उन्होंने एचएस में 85.69%, एसएस और 82.88% अंक अर्जित किए। उन्होंने बी-कॉम में काफी समस्याओं का सामना किया।

रुषभ ने 200 में से 130 अंक प्राप्त कर अपने पहले ही प्रयास में सीए की परीक्षा को क्लियर कर दुनिया को दिखा दिया कि वो किसी से कम नहीं है। जिस परीक्षा में सामान्य छात्र द्वारा स्कोर करना मुश्किल है उस परीक्षा को रुषभ ने अपनी मेहनत और हौसले के दम पर पहली ही बार में पास कर लिया। परीक्षा के समय रुषभ के माता-पिता चार महीने तक हर दिन 10-12 घंटे तक उनके साथ बैठते थे, ताकि उन्हें पढ़ने में कोई दिक्कत ना हो। रुषभ को आज सीए रुषभ के नाम से जाना जाता है।

रुषभ इस सफलता के बारे में बात करते हुए उनके पिता कहते हैं कि रुषभ बचनप से ही आंखो की समस्या से पीड़ित था। उसने कभी भी ब्रेल लीपि में पढ़ाई नहीं खी।  इसलिए अध्ययन सामग्री उसे खुद देखकर पढ़नी पढ़ती थी। रुषभ हमेशा 80 प्रतिशत से ऊपर अंक प्राप्त करते थे।नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड की मदद से, उन्हें ऐसे पाठक और लेखक मिलते रहे जिन्होंने उनकी शिक्षा को स्पष्ट करने में मदद की। सीए परीक्षा में अंतिम प्रयास में, उन्होंने किसी भी पाठक की मदद नहीं ली क्योंकि हमने उनकी पढ़ाई में उनकी मदद की। “रुषभ का लक्ष्य शिक्षण में शामिल होना है। मेरा बेटा चाहता है कि लोग उससे प्रेरणा (Motivation) लें और हम एस्पिरेंट्स को मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हैं।

रुषभ की यह सफलता की कहानी (Success Story) लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। जो लोग यह समझते है कि शारीरिक अक्षमता के कारण वो आगे नहीं बढ़ सकते हैं वो रुषभ की इस कहानी से प्रेरणा (Motivation) ले सकते हैं। यदि आप भी रुषभ कपासी की तरह कुछ अलग करना चाहते हैं, यदि आप अपने करियर में सफल होना चाहते हैं एवं खुद का बिज़नेस शुरु करना चाहते हैं तो आप हमारे Problem Solving Couse को ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। हमारे Problem Solving Course को ज्वाइन करने के लिए इस लिंक https://www.badabusiness.com/psc?ref_code=ArticlesLeads पर क्लिक करें और अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/?ref_code=ArticlesLeads पर Visit  करें।