आपने असल जिंदगी से प्रेरित कई फिल्में देखी होगीं। ऐसी ही एक फिल्म थी स्लमडॉग मिलिनयनेयर जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था। इस फिल्म की कहानी में एक गरीब बच्चे के करोड़पति बनने तक का सफर दिखाया गया था। फिल्म ने ऑस्कर तक की रेस लगाई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी फिल्म के जैसी एक रियल लाईफ शख्सियत हैं सरथ बाबू। जिनकी जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उन्होंने एक गरीब लड़के से करोड़पति बनने तक का सफर काफी संघर्ष के साथ तय किया है। उनकी संघर्ष से सफलता की कहानी (Success Story) को आइए जानते हैः

'Food King' के सीईओ सरथ बाबू की कहानी काफी दिलचस्प और प्रेरित (Motivate) करने वाली है। सऱथ बाबू का जन्म चेन्नई के मडिपक्कम में एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। वो झुग्गी-बस्ती में रहते थे क्योंकि उनका परिवार बहुत गरीब था। परिवार में दो बड़ी बहनें और दो छोटे भाई थे। घर-परिवार चलाने की सारी ज़िम्मेदारी उनकी माँ पर थी। सरथ बाबू की माँ दिन-रात मेहनत करती थी ताकि उनके परिवार का पेट भर सकें। सरथ की माँ एक स्कूल में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों के लिए भोजन बनाने का काम करती थी। इस नौकरी से उन्हें 30 रुपये प्रति महीना मिलता था। लेकिन, ये तीस रुपये पांच बच्चों की ज़रूरतें पूरी करने के लिए काफी नहीं थे।

सरथ बाबू की माँ अपने सभी बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती थी। उन्हें लगता था कि अगर बच्चे पढ़-लिख जाएंगें तो उन्हें नौकरियां मिल जाएंगी और उन्हें तकलीफों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसलिए उनकी मां एक साथ तीन काम करती थी। मां के व्यक्तित्व का सरथ पर गहरा प्रभाव पड़ा था।  सरथ बचपन से ही एक होनहार छात्र थे। वो हमेशा फर्स्ट आते थे। दसवीं तक सरथ ने हर परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। लेकिन, दसवीं पास करने के बाद जब कालेज में दाखिले की बारी आयी तब ग्यारहवीं और बारहवीं की फीस ने सरथ को उलझन में डाल दिया। फीस का भुगतान करने के लिए सरथ ने बुक-बाइंडिंग का काम करना शुरू किया। इसके बाद ग्यारहवीं और फिर बारहवीं की पढ़ाई उन्होंने इसी पैसों से पूरी की।

सरथ का परिवार ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था। सरथ के एक दोस्त ने उन्हें पिलानी के बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान यानी बिट्स,पिलानी के बारे में बताया। उन्हें बताया गया कि अगर यहां उनका एडमिशन हो जाता है तो अच्छी जगह नौकरी भी मिल जाएगी।  सरथ ने एडमिशन लेने के लिए दिन-रात पढ़ाई की। उनकी मेहनत और लगन से उन्हें बिट्स,पिलानी में दाखिला मिल गया। लेकिन यहां की फीस बहुत ज्यादा थी। जिसके बाद उनकी बहन ने अपने गहने गिरवी रखकर उनकी फीस भरी।

बिट्स,पिलानी से डिग्री लेने के बाद सरथ को अपने शहर चेन्नई के पोलारिस सॉफ्टवेयर लैब्स में नौकरी की। लेकिन, बिट्स,पिलानी में पढ़ाई के दौरान कुछ साथियों से उन्हें आईआईएम में दाखिला लेकर मैनेजमेंट की डिग्री लेने की सलाह दी जिससे उन्हें अच्छी नौकरी मिल जाए। इसके लिए नौकरी करते-करते ही सरथ ने आईआईएम (IIM) में दाखिले के लिए कैट परीक्षा की तैयारी शुरू की। दो बार फेल होने के बाद सरथ ने अपनी तीसरी कोशिश में कैट की परीक्षा पास की।

सरथ को आईआईएम अहमदाबाद में दाखिला मिल गया। आईआईएम अहमदाबाद में पढ़ाई के दौरान ही उन्हें नौकरियों के कई प्रस्ताव मिले। तनख्वाह लाखों में भी थी। लेकिन, सरथ ने नौकरी न करने का बड़ा फैसला किया। सरथ धीरूभाई अम्बानी और नारायण मूर्ति से बहुत प्रभावित थे और जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते थे। इसलिए अपनी माँ से प्रेरणा (Inspiration) लेने वाले सरथ फूड सप्लाई करने का बिज़नेस करने का फैसला लिया।

सरथ ने साल 2006 में अपनी कंपनी का पंजीकरण फूड किंग केटरिंग सर्विसस प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कराया। एक लाख रुपये से इस कंपनी की शुरुआत हुई। पहले इस कंपनी ने दूसरी कंपनियों में चाय, कॉफ़ी और स्नेक्स की सप्लाई करने का काम किया। धीरे-धीरे उनका ये कारोबार बढ़ता गया। सरथ को नई-नई और बड़ी-बड़ी कंपनियों से ऑर्डर मिलने लगे। इसके बाद सरथ ने भारत में कई जगह फूड किंग केटरिंग (Food King Catering) नाम से अपने रेस्तराँ खोले।

एक बिज़नेसमैन होने के साथ सरथ एक समाजसेवी भी हैं। उन्होंने 2010 में हंगर फ्री इंडिया फाउंडेशन की स्थापना की। इस संस्था का मकसद अगले बीस सालों में भारत को "भुखमरी मुक्त" बनाना है। सरथ अपनी ओर से गरीबों और ज़रूरतमंदों की हर मुमकिन मदद भी कर रहे हैं। सरथ ने झुग्गी में रहकर पढ़ाई की और आगे चलकर अपनी काबिलियत से पहले बिट्स-पिलानी और फिर आईआईएम-अहमदाबाद में दाखिला पाया और उच्च स्तरीय शिक्षा हासिल ही। लाखों की नौकरी ठुकरा कर कारोबार शुरू करने वाले सरथ ने अपनी सफलता की कहानी (Success Story) खुद लिखी है।

सरथ आज भी अपनी मां से प्रेरणा (Inspiration) लेते हैं। वे जब भी परेशान होते हैं या किसी समस्या से दो चार होते हैं तो अपनी मां को ही याद करते हैं। मां की संघर्ष और त्याग की कहानी याद कर सरथ की सारी निराशा दूर हो जाती है। सरथ बाबू की यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspirational) है। उनकी यह कहानी सभी को मोटिवेट (Motivate) करती है।

यदि आप भी सरथ बाबू की तरह जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं, यदि आप अपने करियर में सफल होना चाहते हैं, एवं खुद का बिज़नेस शुरु करना चाहते हैं तो आप हमारे Problem Solving Couse को ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। हमारे Problem Solving Course को ज्वाइन करने के लिए इस लिंक https://www.badabusiness.com/psc?ref_code=ArticlesLeads पर क्लिक करें और अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/?ref_code=ArticlesLeads  पर Visit  करें।