लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”  हरिवंश राय बच्चन के द्वारा कही गई ये लाइनें कुछ लोगों पर एकदम सटीक बैठती हैं। जिन्दगी में हार मानने वाले तो बहुत होते हैं लेकिन उस हार को अपनी जीत बनाने वाले इस दुनिया में बहुत कम लोग है। अपनी कोशिश से जीत हासिल करने वाली एक ऐसी ही शख्सियत है रामचंद्र अग्रवाल (Ram Chandra Agrawal)। रामचंद्र अग्रवाल वी2 मार्च के संस्थापक है। शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद भी रामचंद्र अग्रवाल ने जिन्दगी भी कभी हार नहीं मानी। एक फोटोस्टेट की दुकान से 1 हज़ार करोड़ रुपए की कंपनी तक का सफर उन्होंने तय किया। लेकिन रामचंद्र अग्रवाल के लिए यह सब करना इतना आसान नहीं था। दिव्यांग होने के कारण उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। आइए जानते हैं उनके संघर्ष और सफलता की कहानी (Success Story)।

रामचंद्र अग्रवाल आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। रामचंद्र अग्रवाल बचपन से ही दिव्यांग थे। दिव्यांग होने के कारण वो वैशाखी के सहारे चल पाते थे। इसके बावजूद भी इन्होंने कभी ख़ुद को किसी काम के लिए असमर्थ नहीं समझा और बहुत ही छोटे बिजनेस से अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत की। रामचंद्र अग्रवाल ने कोलकाता से अपनी पढ़ाई पूरी की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1986 में रामचंद्र ने दूसरों से कुछ रुपए उधार लिए और खुद की एक फोटोस्टेट की दुकान खोली। इस काम को उन्होंने लगभग 1 साल तक किया। इसी 1 साल के बीच उन्होंने सोचा क्यों ना कुछ और बड़ा बिजनेस किया जाए। तब उन्होंने एक कपड़े के छोटे से बिजनेस को शुरू किया।

रामचंद्र अग्रवाल ने करीब 15 सालों तक कोलकाता में कपड़ों का बिज़नेस किया। लेकिन वो हमेशा से कुछ बड़ा करना चाहते थे। इसलिए वो कोलकाता की अपनी दुकान को बंद करके दिल्ली चले गए। दिल्ली में उन्होंने साल 2001 में विशाल रिटेल नाम से एक खुदरा बिज़नेस शुरु किया। धीरे-धीरे उनका यह बिज़नेस बहुत तरक्की करने लगा। देखते ही देखते इनका विशाल रिटेल विशाल मेगा मार्ट में तब्दील हो गया। जिसके बाद रामचंद्र अग्रवाल की कंपनी विशाल मेगा मार्ट का नाम शेयर बाज़ार में भी शामिल हो गया। लेकिन साल 2008 रामचंद्र के लिए अच्छा साबित नहीं हुई। शेयर बाज़ार में गिरावट के कारण उनकी कंपनी विशाल मेगा मार्ट पूरी तरह से डूब ग और वो कर्ज के नीचे दब गए। जिसके कारण उन्हें अपनी कंपनी को श्री राम ग्रुप के हाथों बेचना पड़ा।

 

बिज़नेस में इतना बड़ा घाटा होने के बाद भी रामचंद्र अग्रवाल ने हार नहीं मानी। उन्होंने बहुत जल्द ही अपनी दूसरी कंपनी V-2 की शुरुआत की। आज उनकी कपनी V-2  देश के अलग-अलग शहरों में भी स्थापित हो चुकी है।  आज के समय में V-2 एक बहुत बड़ी कंपनी में शुमार है। पूरे देश भर के 32 शहरों में इसके ख़ुद के आउटलेट हैं और यह सारे बहुत ही मुनाफा कमा रहे हैं।

रामचंद्र दो बड़ी कंपनियों Vishal Mega Mart और V-2 को स्थापित कर चुके रामचंद्र ने जीवन में कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी। एक दिव्यांग होने के बाद भी रामचंद्र अग्रवाल ने और भी मज़बूत तरीके से ख़ुद को बाज़ार में स्थापित किया। आज वो कई लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) बन चुके हैं। आप भी उनकी इस कहानी से प्रेरित (Motivate) हो सकते हैं और जीवन में कुछ हासिल कर सकते हैं।

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