जब भी बात साइकिल की होती है तो आज भी लोगों के दिमाग में सबसे पहले हीरो साइकिल का नाम आता है। कुछ लोगों की पहचान उनके काम से होती है तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके नाम से उनके काम को पहचाना जाना है। हीरो साइकिल की कहानी भी कुछ इसी तरह है। धार्मिक कार्यों में अग्रिण रहने वाले सत्यानंद मुंजाल ने हीरो ग्रुप की स्थापना की थी। उन्होंने भारत की आजादी और भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 1947 में अपने बिजनेस की शुरुआत की थी। सत्यानंद मुंजाल के कार्यों को देखते हुए दिल्ली में संतों ने उनको महात्मा की उपाधि दी थी, तभी से ही महात्मा के तौर पर उनकी पहचान बन गई। सत्यानंद मुंजाल आज भले ही इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके द्वारा स्थापित की गई हीरो कंपनी के लिए आज भी कई लोगों का दिल धड़कता है।
सत्यानंद मुंजाल मुंजाल का जन्म पाकिस्तान के जिला लायलपुर कमालिया में 1923 में हुआ था। वह सन 1940 में मुंजाल अमृतसर आ गए। यहां आकर उन्होंने साइकिल के पार्ट बेचने का काम शुरू किया। सन 1947 में भारत की आजादी के बाद मुंजाल परिवार लुधियाना आ गया था। जिसके बाद मुंजाल ब्रदर्स के नाम से उन्होंने काम करना शुरू किया। सत्यानंद मुंजाल हीरो साइकिल कंपनी के सह अध्यक्ष होने के साथ प्रबंध निदेशक भी थे। उन्होंने अपने भाईय़ों बृजमोहन और ओपी मुंजाल के साथ हीरो साइकिल की स्थापना की थी भारत की आजादी के बाद मुंजाल भाइयों ने लुधियाना में साइकिल के पार्ट्स बनाने का छोटा सा बिज़नेस शुरू किया था। जिसके बाद आज यह ग्रुप देश का बड़ा और जाना-माना हीरो ग्रुप बन गया है। मुंजाल की अगुवाई में हीरो समूह हर जगह सबसे आगे रहा है।
शुरूआत में मुंजाल भाइयों ने छोटे से काम से अपने बिज़नेस की शुरूआत की थी। जब काम थोड़ा स्थापित हुआ तो 1956 में उन्होंने ने बैंक से 50 हजार रुपए का कर्ज लिया और लुधियाना में साइकिल के पार्ट्स बनाने की पहली यूनिट लगाई। उन्होंने अपनी इस कंपनी का नाम हीरो साइकिल रखा। जिसके बाद उसी साल से उन्होंने पूरी साइकिल को बनाना शुरू कर दिया। शुरुआत में इस कंपनी में 25 साइकिलें रोज बनती थीं। शुरुआत में 25 साइकिलें रोज बनाने वाली मुंजाल की कंपनी Hero Cycles 10 साल के अंदर ही 1966 में सालाना एक लाख साइकिल बनाने वाली कंपनी बन गयी। अगले दस साल में यह क्षमता बढ़कर सालाना पांच लाख से अधिक हो गई। 1986 तक Hero Cycles सालाना 22 लाख से अधिक साइकिलों का उत्पादन करने लगी थी । 1980 के दशक में Hero Cycles ने रोजाना 19 हजार साइकिलों को बनाकर दुनिया में सबसे ब़़डी साइकिल कंपनी होने का गौरव हासिल किया था।
सत्यानंद मुंजाल की मृत्यु के बाद उनके बेटे पंकज मुंजाल Hero Cycles के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इस ग्रुप (Hero Cycles) में हीरो मोटर्स लिमिटेड, जेड.एफ, हीरो चेसिस सिस्टम्स एवं मुंजाल किरियू इंडस्ट्रीज और मुंजाल हास्पिटैलिटी और ओमा लिविंग्स शामिल हैं। वर्तमान में हीरो साइकिल का टर्नओवर लगभग 2300 करोड़ रुपए है। इस उपलब्धि के लिए 1986 में Hero Cycles का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। देश के साइकिल बाजार में वर्तमान में Hero Cycles की हिस्सेदारी लगभग 48 फीसदी से भी अधिक है। आज भी हर कोई सबसे पहले हीरो साइकिल के बारे में ही सोचता है। यह कंपनी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि लगभग 89 देशों में साइकिल निर्यात करती है।
Hero Cycles को दुनिया की नंबर वन कंपनी बनाने में मुंजाल की लीडरशिप स्किल्स, उनकी दूरदर्शी सोच एवं उनकी मेहनत शामिल है। मुंजाल हमेशा से अपने काम के प्रति ईमानदार थे। वे अपने कस्टमर्स को कभी निराश नहीं करते थे। हीरो साइकिल को इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट के लिए लगातार 28 साल से बेस्ट एक्सपोर्टर अवॉर्ड से नवाजा जा रहा है। हीरो ग्रुप लगातार 14वें साल दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल और मोटरसाइकल निर्माता कंपनी है। साल 1986 से इस समूह की एक और कंपनी हीरो साइकिल साइकिलों की सर्वाधिक निर्माता कंपनी है। विश्व में सबसे अधिक साइकिल बनाने को लेकर हीरो साइकिल्स का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज है। चारों भाईयों के आपसी तालमेल, मेहनत, लगन और दूरदर्शिता के चलते ही हीरों ग्रुप ने देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में नाम कमाया है।
सत्यानंद मुंजाल का 87 वर्ष की आयु में में 13 अगस्त 2015 को उनका निधन हो गया था। आज भी उनका जीवन बहुत लोगो को प्रेरणा (Motivation) देता है। उन्होंने साइकिल के छोटे छोटे पार्ट्स बेचने से शुरुआत की और अपनी सोच और मेहनत के दम पर उन्होंने सफलता की ऐसी कहानी (Success Story) लिखी है जिसे दुनिया सदियों तक याद रखेगी। उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। यदि हम मेहनत, लगन और दूरदर्शिता से छोटे से काम से बड़ी सफलता पा सकते हैं।