ज्यादातर लोगों का यह सपना होता है कि वो अच्छी पढ़ाई करें ताकि उन्हें अच्छी जगह नौकरी मिल जाए। अगर किसी को अमेरिका या अन्य किसी जगह पर नौकरी करने का अवसर मिल जाता है तो वो उसे किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता। लेकिन एक ऐसा शख्स भी है जिसने भारत में काम करने के लिए अमेरिका में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी। वो शख्स जो घर-घर जाकर सामान की डिलीवरी करता था आज वो 24 हजार करोड़ की कंपनी का मालिक बन गया है। वो शख्स कोई और नहीं बल्कि Grofers.com के संस्थापक अलबिंदर ढींढसा (Albinder Dhindsa) है। उनकी यह कंपनी लोगों को बेकरी सामान, ग्रोसरी का सामान, फ्रुट और सब्जियां, मीट, बेबी केयर प्रोडक्ट आदि घर बैठे मुहैया करती है। अलबिंदर ने घर-घर सामान पहुंचाने का ऑनलाइन बिज़नेस शुरू करके सफलता की एक नई कहानी (Success Story) लिख दी।

ग्रोफर्स डॉट कॉम के संस्थापक अलबिंदर ढींढसा का जन्म पंजाब के पटियाला में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ था। अलबिंदर ने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं प्राप्त की। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अलबिंदर ने आईआईटी की परीक्षा पास की। अलबिंदर ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री प्रात करने के बाद अमेरिका जाने का फैसला किया। उन्हें 2005 यूआरएस कॉर्पोरेशन में ट्रांसपोर्टेशन एनालिस्ट के तौर पर नौकरी मिल गई। कुछ साल नौकरी करने के बाद अलबिंदर ने वहीं से एमबीए की पढ़ाई की। लेकिन उनका मन विदेश में नहीं लगा। वो वापस स्वदेश आ गए।

भारत आकर अलबिंदर ने जौमेटो डॉट कॉम (Zomato.com) के साथ काम किया। लेकिन वो खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहते। अपनी इसी चाहत को पुरा करने के लिए वो जॉब के साथ-साथ बिज़नेस से जुड़ी जानकारी एकत्र करने लग गए। अलबिंदर ने भारत में डिलिवरी इंडस्ट्री की कमी को महसूस किया। वो जब अमेरिका में थे तभी उन्हें इसका एहसास हो गया। इसलिए उन्होंने डिलीवरी का काम करने का विचार किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात उनके एक दोस्त सौरभ कुमार से हो गई। उन्होंने अपने दोस्त को यह बात बताई। दोनों दोस्तों ने इसे विचार को अवसर में बदलने का निर्णय किया।

अलबिंदर को स्थानीय फार्मेसी कारोबारी से बातचीत के दौरान पता चला कि वे तीन से चार किलोमीटर के एरिया में रोजाना 50-60 होम डिलिवरी करते हैं। जो काफी कठिन था। इसलिए उन्होंने बिना वक्त गवांएं एक प्लेटफॉर्म बनाने का निर्णय किया। जिससे दुकानदारों के साथ-साथ ग्राहकों को भी समय पर सामान मिल जाए। बस फिर क्या था अपनी इस सोच को उन्होंने सच कर दिखाने का फैसला किया। उन्होंने 'वन नंबर' की शुरुआत की। जिससे घर के नजदीकी इलाके में स्थित फार्मेसी, ग्रोसरी और रेस्टोरेंट से कस्टमर के लिए ऑन-डिमांड पिक-अप और ड्रॉप की सुविधा मिल सकती थी।

कुछ ही समय में उन्हें पता चल गया कि कुल ऑडर्स का 90 प्रतिशत हिस्सा ग्रोसरी और फार्मेसी से आ रहा था। उन्होंने फिर इसी सेक्टर पर फोकस करने का विचार किया। उन्होंने अपनी कंपनी का नाम ग्रोफर्स (Grofers) के नाम से रीब्रांड किया। ग्रोफर्स (Grofers) एक ऐसी कंपनी बनकर सामने आई जिसे वेबसाईट और मोबाइल एप के जरिए ग्राहकों को ऑनलाइन आर्डर करने की सुविधा मिलती है। यह कुछ ही घंटो में आपको सामान की डिलीवरी कर देती है। लोगों को अलबिंदर का यह आइडिया खूब पंसद आने लगा। देखते ही देखते बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता समेत सभी बड़े शहरों में यह रोजाना 20 हज़ार से भी ज्यादा कस्टमर को अपनी सेवा प्रदान करने वाली स्टार्टअप बन गई।

ग्रोफर्स (Grofers) ने कुल 597.1 मिलियन डॉलर यानी कि 4508 करोड़ की फंडिंग उठाई है। यही नहीं आज इस कंपनी की वैल्यूएशन 24,00 करोड़ के भी ऊपर है। अलबिंदर आज इस कंपनी के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। अलबिंदर ने अपनी मेहनत और काबिलयत के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। अलबिंदर ढींढसा की यह कहानी कई युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। वो कई लोगों को मोटिवेट (Motivate) कर रहे हैं।

 

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