सपने देखने और उन्हें पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती। अगर इंसान कुछ करना चाहे तो वो क्या कुछ नहीं हासिल कर सकता। इसके लिए कोई उम्र, कोई समय आपको नहीं रोक सकता। कुछ इसी तरह का काम किया है दो भाइयों  श्रवण कुमारन और संजय कुमारन ने। ये दोनों भाई महज़ 14 और 12 साल के हैं इतनी छोटी सी उम्र में ही इन दोनों भाईयों ने भारत के सबसे छोटे एंटरप्रेन्योर बनने का गौरव हासिल किया है। इन दोनों भाइयों ने मिलकर साल 2012 में ‘डिजाइन डाइमेंशन्स’ ऐप लॉन्च किया था। अब तक ये दोनों 11 ऐप डेवलप कर चुके हैं। इनकी कंपनी Go Dimensions की सालाना कमाई 120 करोड रुपए हैं। आइए जानते हैं श्रवण कुमारन और संजय कुमारन की सफलता की कहानी (Success Story):-

 

श्रवण कुमारन और संजय कुमारन दोनों भाई चेन्नई के रहने वाले हैं। इनके पिता सुरेन्द्रन कॉग्निजेंट सॉफ्टवेयर कंपनी में एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत है। इनकी मां एक पत्रकार रह चुकी हैं। जब दोनों भाइयों ने पहली मोबाइल ऐप बनाई तब वह सातवीं क्लास और आठवीं क्लास के स्टूडेंट थे। श्रवण और संजय की पढ़ाई आम बच्चों की तरह ही हुई थी। लेकिन अपने माता-पिता से प्रेरित होकर इन दोनों ने कुछ अलग करने का सोचा था। इनके पिता ने इन्हें शुरु से ही कहा था कि आपको अपनी खुद की पहचान बनानी चाहिए। यही बात इन दोनों भाइयों के दिमाग में घर कर गई।

बस फिर क्या था ये दोनों भाई नई-नई चीजों की खोज करने में जुट गए। इसी बीच उन्हें एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स के बारे में पता चला। दोनों उनसे खास प्रभावित हुए। इसके बाद उन दोनों ने सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया। जब दोनों भाइयों ने अपने पिता को यह बात बताई तो वो बहुत खुश हुए और उन्होंने दोनों को हर संभव मदद देने की कोशिश की।

श्रवण और संजय ने सॉफ्टवेयर के बारे में सारी जानकारी किताबों के जरिए एकत्र की। उन्होंने अपने पिता से कहकर इस क्षेत्र से जुड़ी किताबें मंगाई। वे स्कूल जाते और फिर खाली समय में किताबें पढ़ते। इससे उन्हें कम समय में ज्यादा ज्ञान मिल गया। इसके बाद इन दोनों भाइयों ने साल 2012 में ‘गो डाइमेंशन’ नाम की कंपनी की स्थापना की। इनकी कंपनी की स्थापना के साथ ही यह दोनों भाई भारत के सबसे युवा उद्यमी बन गए। उस समय उन दोनों की उम्र 13 और 11 साल की थी।

यही नहीं इन दोनों भाइयों ने अपराधियों को पकड़ने वाला ‘कैच मी कॉप’ नाम का ऐप्लिकेशन बनाया। जिससे अपराधियों को पकड़ने में मदद मिल सकती है। लेकिन इस एप्लीकेशन को बनाने से पहले इन दोनों भाइयों ने 150 बार निराशा का सामना किया। लेकिन फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

इन दोनों भाइयों को इस ऐप को बनाने का विचार पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के कहने पर आया था। ये दोनों भाई अपनी पहली एप को बनाने के बाद कभी भी रूके नहीं। अपने पिता के सहयोग से ये सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में आगे बढ़ते चले गए हैं। इन दोनों ने बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक एप बनाई है। इस एप के प्रयोग से एक ही बार में नौ इमरजैंसी कॉन्टैक्ट्स को फोन किया जा सकता है। इस एप के लिए इन दोनों भाइयों की बहुत सराहना भी हुई है। इसके साथ ही दोनों ने कुछ गेम्स से जुड़े एप्स भी बनाए हैं।

इन दोनों भाइयों ने एप्पल और एंड्राइड दोनों के लिए एप्स का निर्माण किया था। इसके बाद ये दोनों वर्चुअल रियलिटी में भी काम करने उतर गए। इस क्षेत्र में इन्होंने वर्चुअल रियलिटी जीओवीर नाम का एक हेडसेट भी बनाया। इसकी विशेषता यह है कि यह बाकी वर्चुअल रियलिटी डिवाइस से पांच गुना सस्ता है और उन्ही के बराबर परफॉर्मेंस देता है। श्रवण और संजय सामाजिक कार्यों में भी शामिल होते हैं। यह दोनों भाई अपनी कमाई का 15 प्रतिशत दान दे देते हैं।

समाज के लिए कुछ करने के उद्देश्य से इन दोनों भाइयों ने ‘गो डोनेट’ नाम की एप बनाई। इस एप के जरिए बचे हुए खाने को गरीब बच्चों तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। अब तक इन दोनों ने मिलकर 12 एप डेवलप कर लिए हैं। आज हर कोई इन दोनों भाइयों की प्रतिभा का कायल हो चुका है।  अपने टैलेंट के चलते दोनों भाई आईआईएम-बेंगलुरु और टेडेक्ट कॉन्फ्रेंस में प्रजेंटेशन दे चुके हैं। इन दोनों भाइयों ने अपनी नई सोच और मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। श्रवण और संजय की यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।

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