अगर जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना है तो अपने तरीके बदलने चाहिए इरादे नहीं, क्योंकि जिनके इरादे मजबूत होते हैं वो वक्त को अपनी तरफ मोड़ लेते हैं। जिंदगी में हार और जीत का सिलसिला तो चलता ही रहता है, लेकिन जिंदगी की परेशानियों के आगे घुटने टेक देना सही नहीं होता। इससे परेशानियां कम होने की बजाय और बढ़ती हैं। खुद पर आत्मविश्वास का होना बहुत जरुरी है तभी हम परेशानियों का सामना डट कर कर सकते हैं। इसी आत्मविश्वास की कहानी है  ‘माइक्रोमैक्स’ के फाउंडर राहुल शर्मा की। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने के बाद भी अपनी मेहनत और काबिलियत की बदलौत आज राहुल शर्मा करोड़ों की कंपनी के मालिक है।

माइक्रोमैक्स’के फाउंडर राहुल शर्मा  का जन्म दिल्ली के मेहरौली में 5 जनवरी 1979 को हुआ था, उनके पिता स्कूल में शिक्षक थे। राहुल ने  अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री बैचलर ऑफ़ कॉमर्स में "University of Saskatchewan" से  प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने  "Nagpur University " से मैकेनिकल इंजिनियर में डिग्री प्राप्त की है। पढ़ाई पूरी करने बाद उन्होंने एक मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी में नौकरी करना शुरू किया, लेकिन उन्हें ये नौकरी  पसंद नहीं आई क्योंकि उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था।

 

राहुल आज भले ही आलिशान बंगले और महंगी कारों में रहते और अपना सफर तय करते हैं, लेकिन एक समय उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए काफी तकलीफों का सामना भी करना पड़ा था। बहुत कठिनाइयों का सांमना कर वो स्कूल जाते थे, लेकिन उन्हें खुद पर पूरा भरोसा था कि वो एक दिन जरुर सफलता प्राप्त करेगें। एक साधारण परिवार में जन्में व्यक्ति के लिए इतना आसान नहीं होता कि वो खुद की कंपनी खड़ी करे। लेकिन राहुल ने अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी। राहुल शर्मा ने अपनी कंपनी की शुरुआत से पहले कई बड़ी और नामी कंपनियों के लिए काम किया। वो कंपनियों के लिए कैंम्पेनिंग किया करते थे। लेकिन धीरे-धीरे दूसरों के लिए काम करते - करते उन्हें समझ में आ गया था कि अब वो समय आ गया है कि अपनी कंपनी शुरू की जाए।  जिसके बाद राहुल ने अपने पुराने दोस्तों के साथ अपना आईडिया साझा किया और उनके साथ मिलकर साल 2000 में अपनी खुद की कंपनी Micromax Software की स्थापना की। ये एक आईटी सॉफ्टवेर कंपनी थी, लेकिन बाद में इस कंपनी ने नोकिया और एयरटेल के लिए पीसीओ फोन बेचने का काम करना शुरु कर दिया।

 

साल 2007 में राहुल बिजली के संकट का सामना कर रहें पश्चिम बंगाल के बहरामपुर गए । वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि एक पीसीओ वाला अपने ट्रक की बैटरी से अपने पीसीओ को चला रहा है।

इसे देखकर राहुल बहुत मोटिवेट हुए और वहीं उन्हें लंबी बैट्री बैकअप वाले मोबाइल का आइडिया मिला। जिसके बाद उन्होंने लंबी बैट्री बैकअप वाला फोन ल़ॉन्च किया। यहीं से उन्हें मोटिवेशन मिला कि पहले लोगों की जरुरत को समझो और फिर उसे पूरा करो। राहुल शर्मा अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं वो कहते हैं कि- आज मैं जो कुछ भी हूं इन्हीं की वजह से हूं। राहुल की सफलता की कहानी हम सभी के लिए एक मोटिवेशन है।