लड़किया आज के समय में किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है जिस भी क्षेत्र की बात करें चाहे वह खेल-कूद हो या पढ़ाई या कोई अन्य कला हर क्षेत्र में हम अनेकों ऐसी लड़कियों की मिसाल ले सकते हैं आज हम बात करने वाले है एक ऐसी लड़की की जिसने मात्र 13 साल की उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई कर के पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल पेश कर दी। यह लड़की और कोई नहीं सबसे कम उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाली मालावथ पूर्णा है। जिन्होंने अपने हौसलों से यह साबित कर दिया है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं। पूर्णा आज देश और दुनिया की सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी छूने वाली पूर्णा पहली लड़की हैं। शायद यही वजह है कि पूर्णा पर फिल्म बनाई गई है। फिल्म पूर्णा का निर्देशक अभिनेता राहुल बोस ने किया है। फिल्म में पूर्णा के संघर्ष और उनके सफलता की कहानी (Success Story) को दिखाया गया है। आइए जानते हैं मालावथ पूर्णा की यह सफर।
मालावथ पूर्णा का जन्म 10 जून 2000 को भारत के तेलंगाना राज्य के निजामाबाद जिले के पकल गांव में हुआ था। पूर्णा के माता-पिता का नाम लक्ष्मी और देवीदास है। वो एक गरीब आदिवासी किसान है। पूर्णा का परिवार बहुत मुश्किल से खेतों में मजदूरी करते हुए महीने के 3000 रूपये से भी कम कमा पाते था। पूर्णा के माता पिता पढ़े लिखे नहीं थे। लेकिन वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते थे ताकि उनके बच्चे किसी लायक बन सकें। इसलिए उन्होंने पूर्णा का दाखिला अपने गांव के पास के सरकारी स्कूल में करा दिया। मालावथ पूर्णा शुरू से ही पढने में तेज थी वो बाकी लड़कियों से अलग हटकर कुछ करना चाहती थी। जब वो 9वीं कक्षा में पहुची तो इनके सपनों पूरा करने के लिए एक दिन स्कूल में निरिक्षण करने आईएस अधिकारी प्रवीण कुमार आए। उन्होंने पूर्णा के हौसलों को देखा जिसे देख वो हैरान हो गए।
मालावथ पूर्णा से प्रभावित होकर प्रवीण कुमार ने पूर्णा को पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देने पर बल दिया। उन्होंने जब इस बारे में पूर्णा के परिवार से बात की तो उन्हें यह काम अच्छा लगा। उन्हें समाज क्या कहेगा इस बात का डर था। लेकिन पूर्णा ने अपने हौसले से माता-पिता को भी मना लिया। उन्होने अपने माता-पिते से कहा कि हमे तो कुछ ऐसा करना है जिससे दुनिया भी सलाम करे हम लड़की है तो क्या हुआ हम वो कर सकते है जिसकी दुनिया कल्पना भी न करती हो और अगर मै एक बार सफल हो गयी तो हमारे समाज की सोच बदल जाएगी। इन सब बातो को सुन उनके माता-पिता मान गए। इसके बाद प्रवीण कुमार की देखरेख में पूर्णा का पर्वतारोहण का प्रशिक्षण शुरू हुआ।
पर्वतारोहण का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद मालावथ पूर्णा ने अपने गुरु प्रवीण कुमार के देखरेख में एवरेस्ट चढ़ाई की शुरुआत की। पूर्णा ने मात्र 60 दिनों में ही एवरेस्ट के दुर्गम सफर को तय कर एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी कर ली। एवरेस्ट फतह करने के समय पूर्णा केवल 13 साल की थी। उन्होंने 25 मई 2014 को दुनिया के सबसे ऊची चोटी माउंट एवेरस्ट पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की। मालावथ पूर्णा इसके साथ ही दुनिया की सबसे कम उम्र की माउंट एवेस्ट पर चढ़ने वाली लड़की बन गई।
मालावथ पूर्णा ने अपने बुलंद हौसलों से इस चढ़ाई को पूरा किया था। रास्ते में उन्होंने कई परेशानियों का सामना किया। चढ़ाई के दौरान ऐसे भी पल आए जिनसे मालावथ पूर्णा पीछे नहीं हटी लेकिन न बीच रास्तो में मिलने वाले मानवों के मृत शरीर को देख वो डर जरूर जाती थी। इन सब बातो की परवाह किये बिना आगे बढती चली जाती और आखिरकार वो एक दिन एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच गई। पूर्णा ने अपने आखिरी कदम एवरेस्ट के शिखर को चुमते ही तिरंगा पहराकर अपना नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज कराया और इस समाज में लोगो के लिए एक मिशाल बन गई।
एवेरस्ट फतह करने के बाद मालावथ पूर्णा को भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा कई इनामो से पुरस्कृत किया गया। यही नहीं मालावथ पूर्णा के जीवन पर आधारित बॉलीवुड फिल्म “पूर्णा” का निर्माण भी किया गया। जिसमें राहुल बोस ने प्रवीण कुमार का किरदार निभाया था। मालावथ पूर्णा आज महिलाओं के साथ सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत्र (Inspiration) है। मालावथ पूर्णा ने अपने बुलंद हौसलों और आगे बढ़ने की लगन के साथ अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। पूर्णा आज लाखों लोगों को प्रेरित (Motivate) करती हैं जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
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