पढ़ने और पढ़ाने की कोई उम्र नहीं होती। इंसान अगर पूरी लगन से कुछ करना चाहे तो कोई उम्र उसके रास्ते की बाधा नहीं बनती। अपनी उम्र को भी मात देने वाले एक ऐसे ही शख्स है नंदा प्रस्थी। जो 102 साल की उम्र में भी बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। जिस उम्र में लोगों को खुद की भी सुध नहीं रहती उस उम्र में पिछले 75 सालों से वो बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। नंदा प्रस्थी सच मायने में लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनके इस जज्बे और लगन को देखकर भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाज़े जाने का फैसला किया है। आइए जानते हैं नंदा प्रस्थी के जीवन से जुड़ी कुछ बातें-

एक ओर पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है जिसकी वजह से बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर अपनी उम्र को भी मात देने वाले नंदा प्रस्थी पिछले 75 सालों से बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहें हैं। नंदा प्रस्थी ओडिशा के बारांटा गांव के रहने वाले हैं। वो उड़ीसा के जाजपुर में बच्चों को शिक्षा देने का कार्य करते हैं। नंदा प्रस्थी ने खुद 7वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है। जब उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की तो उनके मामा ने उन्हें कटक में नौकरी करने के लिए कहा था लेकिन नंदा प्रस्थी के पिता ने खेतों में काम करने को कहा। जिसकी वजह से वो पीछे रह गए।

लेकिन नंदा प्रस्थी ने पढ़ने और काम करने की इच्छा को कभी खत्म नहीं होने दिया। उन्होंने देखा कि उनके गांव में बच्चें ऐसे ही घूमते रहते हैं। वे सभी अनपढ़ थे। नंदा प्रस्थी कहते हैं कि मेरे पास ज्यादा काम नहीं था, इसलिए मैंने उन्हें एक पेड़ के नीचे पढ़ाना शुरू कर दिया। जब नंदा प्रस्थी बच्चों को शिक्षा देते थे उस समय कोई स्कूल नहीं था। शुरुआत में बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हें बच्चों के पीछे भागना पड़ा, क्योंकि वो शिक्षा नहीं लेना चाहते थे। लेकिन नदां प्रस्थी की कोशिशों के बाद बच्चे खुद उनके पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने लगे।

नंदा प्रस्थी कहते हैं कि जब तक मेरा स्वास्थ्य ठीक रहेगा, तब तक मैं बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। नंदा प्रस्थी कक्षा 4 तक की कक्षाएं लेते हैं। वो बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को भी शिक्षा देते हैं। नंदा प्रस्थी बच्चों को ओडिया अक्षर और गणित सिखाते हैं। बच्चे सुबह 7 से 9 बजे तक और फिर शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक उपस्थित रहते हैं। नंदा प्रस्थी के काम को देखकर गावं के सरपंच ने उन्हे बुनियादी ढाँचे की पेशकश की थी लेकिन नंदा प्रस्थी ने उन्हें मना कर दिया क्योंकि उन्हें पुराने पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ाना पसंद है।

नंदा प्रस्थी सरकार के किसी भी समर्थन से इनकार करते हैं क्योंकि पढ़ाना उनका जुनून है। नंदा प्रस्थी के शिक्षण के प्रति जुनून को देखते हुए उन्हें साल 2021 के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। 102 साल की उम्र में, यह कोई आसान उपलब्धि नहीं है। नंदा प्रस्थी कहते हैं कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा। मैं इससे बहुत खुश हूं। 102 साल की उम्र में पढ़ाने का जूनून सच मायने में नंदा प्रस्थी को प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) बनाता है। उनकी सफलता की कहानी (Success Story) सभी के दिलों में मोटिवेशन (Motivation) की भावना पैदा करती है।

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