दुनिया में हर कोई अपने लिए ही जीता है लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं। ऐसे लोगों की तादाद बहुत कम है जो अपनी पूरा जीवन दूसरों के नाम कर देते हैं। इस बात को प्रमाणित करने वाली ऐसी ही शख्सियत है ममता रावत। ममता रावत उत्तरकाशी की वो महिला है जिसने साल 2013 में उत्तराखंड में हुई भीषण त्रासदी में भी अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरे लोगों की मदद की। ममता रावत के काम की प्रंशसा पूरे देश में की गई। खुद सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी ममता रावत के सराहनीय कदम की प्रशंसा कर उन्हें सम्मानित किया था। ममता रावत की जिंदगी एक आम भारतीय महिला की तरह ही है लेकिन उनके हौसले उन्हें औरों से अलग बनाते हैं। आइए जानते हैं ममता रावत के जीवन और संघर्ष की यह कहानी।

उत्तराखंड में वर्ष 2013 में 16 जून की रात आई भीषण बाढ़ में हजारों जिंदगियां बर्बाद हो गई थी, हजारों घर उजड़ गए थे। कितने ही लोगों ने अपने अपनों को खो दिया था। हर कोई प्रकृति के विकराल रुप को देखकर कांप उठा था। उस समय में भी एक ऐसी महिला थी जिसने अपनी जिंदगी की परवाह किए लोगों को इस त्रासदी से बचाने में मदद की। ममता रावत उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बंकोली गांव की रहने वाली हैं। ममता एक निम्न-मध्यम आयवर्ग परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता रामचंद्र सिंह रावत खेतीबाड़ी और चाय की दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। ममता चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर की है। जब ममता दस साल की थी, तो उसके सिर से पिता का साया उठ गया। लेकिन ममता ने अपने जीवन में हार नहीं मानी। निम से पर्वतारोहण संस्थान से कोर्स करने के बाद ममता ने ट्रैकिंग गाइड के तौर पर काम शुरू किया।

ममता रावत के परिवार की एकमात्र संपत्ति उनका घर ही था। उसका एक हिस्सा 2012 के बाढ़ में ही ढह गया था, जिसके बाद रही सही कसर 2013 में आई तबाही ने पूरी कर दी। 2013 में जब अचानक बाढ़ आई उस वक्त ममता अपने घर पर ही थी। वह जून 2013 में दिल्ली और मुंबई के 50 बच्चों को ट्रैकिंग के लिए दयारा लेकर गई थी।  उसी समय वापस आते वक्त रास्ते और पुल के बाढ़ में बह गए जिसकी वजह से वो पूरे दल समेत बीच में फंस गई। अचानक बाढ़ की इस त्रासदी से ममता ने सबसे पहले बच्चों को बचाकर उनके घर पहुंचाया और उसके बाद बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए वहां वापस गईं। ममता ने कई लोगों को वहां से निकालने में भी मदद की।

यही नहीं ममता ने बाढ़ में फंसकर बेहोश हुई एक बूढ़ी औरत को भी अपनी पीठ पर लादकर लगातार 3 घंटे तक पथरीले पहाड़ों पर भागकर उनकी जान बचाई। त्रासदी के बाद ममता के कार्यों को देखते हुए एक एनजीओ ने ममता के टूटे घर को बनाने की बात रखी थी। लेकिन ममता ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। ममता ने कहा कि मेरा घर बनाने से ज्यादा जरूरी है नदी पार करने के लिए गांव का टूटा पुल बनाना जो बाढ़ में पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। ममता चाहती तो अपनी घर बनवा सकती थीं लेकिन उन्होंने समाज सेवा को पहले चुना।

भीषण बाढ़ में जगह-जगह फंसे सैकड़ों पर्यटकों और यात्रियों को सुरक्षित निकालने वाली ममता की हिम्मत और जज्बे को अमिताभ बच्चन भी सलाम कर चुके हैं। जिंदगी'  सीरियल में खुद अमिताभ बच्चन ने उसकी हिम्मत, हौसले और जज्बे को सलाम किया था। यही नहीं ममता ने बॉलीवुड के बड़े निर्देशक आशुतोष गोवारीकर के सीरियल 'एवरेस्ट'  में मुख्य अभिनेत्री के जोखिम भरे दृश्यों को बॉडी डबल के तौर पर काम दिया था। आज निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल एवं समिटिंग फॉर होप ने ममता को नया घर बनाकर दिया है।

ममता सिर्फ इंसानियत की नहीं नारी शक्ति की भी पहचान हैं। खुद को कमजोर समझकर हालात से समझौता करने वाली महिलाओं के लिए ममता प्रेरणा स्रोत (Inspiration) हैं। ममता रावत ने अपने हौसलों और कभी ना हार मानने के जज़्बे के साथ अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। उनकी यह कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा (Motivation) है। यदि आप भी ममता रावत की तरह अपने करियर में सफल होना चाहते हैं एवं खुद का बिज़नेस शुरु करना चाहते हैं तो आप हमारे Problem Solving Couse को ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। हमारे Problem Solving Course को ज्वाइन करने के लिए इस लिंक https://www.badabusiness.com/psc?ref_code=ArticlesLeads पर क्लिक करें और अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/?ref_code=ArticlesLeads पर Visit  करें।