नई दिल्ली: देश में हर दिन कोरोना वायरस के हजारों नए मामले सामने आ रहे है, जबकि सैकड़ों की संक्रमण के कारण मौत हो रही है. पिछले कई महीनो से जारी इस संकट ने लगभग हर आर्थिक गतिविधि को बुरी तरह से प्रभावित किया है. लेकिन इसके बावजूद भी मार्च से जून की अवधि में कृषि वस्तुओं का निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना मे 23.24 प्रतिशत बढ़ा है. परिणामस्वरूप किसानों का हौसला और बढ़ गया है. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने कृषि व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार की है जो कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के साथ कृषि निर्यात तथा आयातित उत्पादों के स्थान पर घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है.
कृषि मंत्रालय का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य पाने के लिए कृषि क्षेत्र का आत्मनिर्भर होना जरुरी है. इसके लिए कीमती विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ ही कृषि निर्यात को बढावा दिया जाना आवश्यक है. निर्यात बढ़ने से किसानों, उत्पादकों और निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार का लाभ उठाने और अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है. निर्यात से खेती का रकबा बढ़ाने और कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है.
विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ो के अनुसार, 2017 में विश्व कृषि व्यापार में भारत के कृषि निर्यात और आयात का हिस्सा क्रमशः 2.27 प्रतिशत और 1.90 प्रतिशत था. कोविड महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के कठिन समय में भी, भारत ने खाद्यान्नों का निर्यात जारी रखते हुए इस बात का पूरा ख्याल रखा कि विश्व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में किसी तरह की बाधा नहीं आए. मार्च -जून 2020 की अवधि में देश से 25552.7 करोड़ रूपए की कृषि वस्तुओं का निर्यात हुआ जो कि 2019 की इसी अवधि में हुए 20734.8 करोड़ रूपए के निर्यात की तुलना में 23.24 प्रतिशत अधिक है.
2017-18 में भारत का कृषि निर्यात देश के कृषि जीडीपी का जहां 9.4 प्रतिशत था वहीं 2018-19 में यह 9.9 प्रतिशत हो गया जबकि भारत के कृषि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कृषि आयात 5.7 प्रतिशत से घटकर 4.9 प्रतिशत रह गया जोजो निर्यात योग्य अधिशेष को दर्शाता है. इसके साथ ही देश की कृषि उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम हो गई है.
अधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो आजादी के बाद से कृषि निर्यात के क्षेत्र में देश ने बड़ी तरक्की की है. वर्ष 1950-51 में, भारत का कृषि निर्यात लगभग 149 करोड़ रुपये था जो 2019-20 में बढ़कर 2.53 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया. जबकि पिछले 15 वर्षों में लगभग सभी कृषि वस्तुओं के निर्यात में अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.