नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी ने उद्योग-धंधों को बहुत नुकसान पहुंचाया है. इस चुनौतीपूर्ण समय में न जाने कितने उद्यमियों के सपने टूट गए. जबकि मार्केट में बने रहने के लिए अनेक उद्यमी संघर्ष कर रहे है. हालांकि यह बात भी बिलकुल सही है कि हर संकट की तरह ही कोविड-19 ने भी भविष्य में आने वाली समस्याओं से निपटने की सीख दी है. इस बीच कोरोना काल में सफलता हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ सीख दी है. उद्यमी कोरोना संकट को बना सकते है आगे बढ़ने का नया अवसर, जानिए कैसे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के गांधीनगर में पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में आज (21 नवंबर) शामिल हुए. इस दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे समय में ग्रेजुएट होना आसान बात नहीं है जब विश्व इतने बड़े संकट का सामना कर रहा है, लेकिन उनकी क्षमताएं इन चुनौतियों से बहुत बड़ी हैं. प्रधानमंत्री ने छात्रों से जीवन में एक उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने की अपील की. उन्होंने बल देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि सफल लोगों के पास समस्याएं नहीं हैं, लेकिन जो चुनौतियों को स्वीकार करता है, उनका सामना करता है, उन्हें हराता है, समस्याओं को हल करता है, केवल वही सफल होता है.

उन्होंने कहा कि जो लोगों चुनौतियों का सामना करते हैं, बाद में वही जीवन में सफल होते हैं. उन्होंने कहा कि 1922-47 के दौर के युवाओं ने आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. उन्होंने छात्रों से देश के लिए जीने और आत्मनिर्भर भारत के आंदोलन से जुड़ने के साथ-साथ जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का आग्रह किया.

पीएम मोदी ने कहा कि सफलता का बीज ज़िम्मेदारी की भावना में निहित है और ज़िम्मेदारी की भावना को जीवन के उद्देश्य में बदल देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वही लोग जीवन में सफल होते हैं, जो कुछ ऐसा करते हैं जिससे उन्हें जीवन में जिम्मेदारी का अहसास होता है और असफल होने वाले लोग वह होते हैं जो हमेशा एक बोझ तले जीवन जीते हैं. उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी की भावना भी एक व्यक्ति के जीवन में अवसर की भावना को जन्म देती है. भारत कई क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है और युवा स्नातकों को प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ना चाहिए.

प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के युवाओं की वर्तमान पीढ़ी से स्पष्ट योजना के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि क्लीन स्लेट और क्लीन हार्ट का मतलब स्पष्ट इरादों से है. उन्होंने कहा कि दुनिया की आशाएं और अपेक्षाएं 21वीं सदी में भारत से अधिक हैं और भारत की आशाएं और अपेक्षाएं छात्रों और पेशेवरों के साथ जुड़ी हुई हैं.