महिलाएँ बहुत सवेंदनशील होती है,और इन्ही  के चलते कई बार उन्हें पुरुषों से कम समझा जाता है। उनके हौसलों को तोड़ने की कोशिश की जाती है। समाज और दुनिया कई बार उनके पंखों को काटने की कोशिश करती हैं, लेकिन उनके बुलंद हौसले हर चुनौतियों को पार कर ही लेते हैं। आज देश में कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने अपने दम पर बिज़नेस कर के सफलता की नई कहानियां (Success Story) लिखी है। आज उनका बिज़नेस न केवल सफल है बल्कि उन्होंने अपनी जैसी कई महिलाओं के लिए एक प्रेरणा (Inspiration) का काम किया है। ऐसी ही एक महिला है कल्पना सरोज जो कमानी ट्यूबस की सीइओ हैं।

 

कल्पना सरोज का जन्म महाराष्ट्र के 'विदर्भ' में हुआ था। यह वो क्षेत्र है जो हमेशा सूखे की मार झेलता है। कल्पना सरोज के घर के हालात खराब थे जिसके कारण उन्हें गोबर के उपले बनाकर बेचना पड़ता था। परिवारिक जिम्मेदारियों और घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण 12 साल की उम्र में ही कल्पना की शादी उनसे 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई। ससुराल वालों के दुर्व्यवहार के चलते उनकी शादी कुछ ही महीनों में विफल हो गई। कल्पना विदर्भ से मुंबई की झोंपड़पट्टी में रहने लगी। उनकी पढ़ाई रुक चुकी थी। अपने ससुराल वालों के बर्ताव से तंग आकर कल्पना अपने माता-पिता के पास वापस लौट आई।

 

छोटी से उम्र में इतने उतार चढ़ाव को देखने के बाद कल्पना अवसाद की ओर मुड़ने लगी और आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने लगी। उन्होंने तीन बोतल कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की लेकिन एक रिश्तेदार महिला ने  उन्हें बचा लिया।

 

कल्पना की किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 1980 में सरोज वापस मुंबई आ गई वो जिंदगी में कुछ करना चाहती थी। जिसके लिए वो हमेशा कुछ ना कुछ आइडिया सोचती रहती थी। जीवन व्यापन के लिए उन्होंने मुंबई की एक गारमेंट कंपनी में 2 रुपय सैलरी पर लैबर के रुप में काम करना शुरु कर दिया। लेकिन उनका सपना खुद का काम करने का था। उन्होंने अपने पहले बिज़नेस के लिए 50,000 रुपय का लोन लिया। जिससे उन्होंने फर्नीचर और बुटिक का बिज़नेस शुरु किया।  कल्पना की दिन रात की मेहनत से बुटीक शॉप चल निकली तो कल्पना अपने परिवार वालों को भी पैसे भेजने लगी। कल्पना के संघर्ष और मेहनत की सभी प्रशंसा करने लगे। मुंबई में उन्हें पहचान मिलने लगी। जिसके बाद कल्पना को पता चला कि सुप्रीम कोर्ट ने  17 साल से बंद पड़ी 'कमानी ट्यूब्स' को दोबारा से शुरु करने का आदेश दिया है। कल्पना ने वर्करों के साथ मिलकर मेहनत और हौसले के बल पर 17 सालों से बंद पड़ी कंपनी में वापस से जान फूंक दी। कल्पना की मेहनत की बदौलत आज 'कमानी ट्यूब्स' करोड़ों का टर्नओवर दे रही है।  कल्पना आज 700 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं।  उन्हें उनके कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी  सम्मानित किया गया है। इसके अलावा कल्पना सरोज कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना एसोसिएट्स, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स जैसी दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं। कल्पना की यह कहानी सभी के लिए एक प्रेरणा (motivation) है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों ना आए कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

 

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