जिंदगी की जंग को जीतकर फिर से उठ खड़े होने के लिए बेहद मजबूत जज़्बा चाहिए होता है। ऐसा ही जज़्बा रखकर आईपीएस ऑफिसर निधिन वाल्सन ने ना सिर्फ अपनी जिंदगी की जंग को जीता है बल्कि आज वो लोगों के लिए मिसाल भी बने हैं।
चौथी स्टेज के कैंसर से उबर कर इन्होंने अपने मन और शरीर को मजबूत बनाया। जिसके बाद 113 किलोमीटर की ट्रायथलॉन को पूरा किया और कैंसरमैन से आयरनमैन तक का सफ़र पूरा किया।
आइए जानते हैं कि कैसे निधिन वाल्सन ने अपनी इस कठिन यात्रा को तय किया।
कौन है निधिन वाल्सन?
साल 1985 में केरल के कन्नूर जिले में इनका जन्म हुआ, इनके पिता सीपी वाल्सन बीएसएनएल कंपनी में काम किया करते थे। साल 2012 में यूटी कैडर बैच से इन्होंने अपने आईपीएस बनने का सफ़र पूरा किया। साल 2014 में पहली बार उन्होंने सरिता विहार में एसीपी के तौर पर अपनी पहली पोस्टिंग ली। जिसके बाद साल 2017 में उनका लक्ष्यद्वीप में ट्रांसफर हो गया। तीन साल तक वहां काम करने के बाद इनकी गोवा में एसपी क्राइम के तौर पर पोस्टिंग हुई।
एक आईपीएस ऑफिसर के तौर पर क्राइम से लड़ते लड़ते साल 2020 में उनकी ये जंग जिंदगी की जंग बन गई। साल 2020 में जब कोविड अपने चरम पर था तब निधिन वाल्सन को अपने शरीर में अचानक से दर्द महसूस हुआ। साल 2021 की शुरुआत में जांच के बाद पता चला कि इन्हें चौथी स्टेज का कैंसर है। कैंसर का नाम सुनते ही इनकी और इनके परिवार की हिम्मत टूट सी गई लेकिन निधिन ने हार नहीं मानी।
कैंसर से जंग जीतकर बनाया ट्रायथलॉन जीतने का रिकॉर्ड.
साल 2021 का पूरा साल इन्होंने कैंसर से लड़ने में बिता दिया इस दौरान इन्हें दो बार कोविड भी हुआ। इस कठिन समय को बिता लेने के बाद निधिन वाल्सन ने एक योद्धा की तरह वापसी की। कैंसर से कमज़ोर हुए शरीर को एक साल की ट्रेनिंग के बाद मजबूत बनाया और 113 किलोमीटर की ट्रायथलॉन को पूरा किया। इसमें उन्होंने 21 किलोमीटर की रनिंग, समुद्र के बीच 2 किलोमीटर की स्विमिंग और 90 किलोमीटर की साइक्लिंग को पूरा किया। इस ट्रायथलॉन को पूरा करने का समय वैसे तो 16 घंटे है लेकिन निधिन जी ने इसे 8:30 घंटे में पूरा किया।
लेकिन उनकी मुसीबतों का दौर अभी तक खत्म नहीं हुआ था, जनवरी 2024 में निधिन वाल्सन को कैंसर ने फिर से अपनी गिरफ्त में ले लिया। इस बार कैंसर से उनकी ये लड़ाई और भी ज्यादा दर्द भरी थी। दोनों ही बार अपने कैंसर के इलाज़ के दौरान उन्होंने अपने आप को पॉजिटिव रखने के लिए नई स्किल्स को सीखा। पहली बार में उन्होंने अरेबिक भाषा को पढ़ना और लिखना सीखा जिसने उनके काम में उनको और बेहतर बनने में मदद की। दूसरी बार इलाज़ के दौरान निधिन ने संस्कृत में शिव तांडव स्तोत्र को याद किया। आज वो बिना एक भी बार देखे शिव तांडव स्तोत्र को पूरा एक बार में जप सकते हैं।
युवराज सिंह से लेकर गोवा के सीएम तक का मिला सपोर्ट.
निधिन वाल्सन ने अपने संघर्षों और अनुभवों को एक किताब के रूप में साझा किया जिसका नाम है “Cancer-Man to Ironman: A Police Officer’s Journey of Arresting Illness”। उनकी इस किताब को गोवा के मुख्यमंत्री और क्रिकेटर युवराज सिंह जैसे दिग्गजों ने प्रेरणादायक बताया है। उनकी यह किताब लोगों को नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने में मदद करती है।
निधिन वाल्सन की यह यात्रा साबित करती है कि जज़्बा और हिम्मत के साथ किसी भी मुश्किल को मात दी जा सकती है। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
आप आईपीएस अधिकारी निधिन वाल्सन की इस यात्रा के बारे में क्या सोचते हैं, हमें कॉमेंट्स में जरूर बताएं!