आप सभी ने सिंघम जैसी फिल्में तो देखी ही होंगी। पुलिस वालों पर बनी फिल्में देखना हर किसी को पसंद है, लेकिन किरण बेदी के अलावा आप कितनी अन्य महिला आईपीएस (IPS) अधिकारियों के बारे में जानते हैं?

आज हम एक ऐसी महिला अधिकारी के बारे में बात करेंगे, जो न केवल एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं, बल्कि उन्हें असम की आयरन लेडी भी कहा जाता है।

इनसे बदमाश, उग्रवादी और नक्सली भी डरते हैं। हम बात कर रहे हैं असम के जोरहाट एसपी संजुक्ता पराशर की जो एक जांबाज आईपीएस अधिकारी हैं और अब तक कई उग्रवादियों का सामना कर चुकी हैं

जानिए इस लेडी सिंघम आईपीएस (IPS) संजुक्ता पाराशर की सफलता की कहानी -

जन्म: 3 अक्टूबर 1979, असम
पिता: दुलाल चंद्र बरुआ
माता: मीना देवी
UPSC: 2006 में 85वीं रैंक

कौन है ये आयरन लेडी संजुक्ता पाराशर

असम की आयरन लेडी के नाम से मशहूर संजुक्ता पाराशर का जन्म 3 अक्टूबर 1979 को असम में हुआ था। पिता श्री दुलाल चंद्र बरुआ, असम के सिंचाई विभाग में इंजीनियर हैं और संजुक्ता की माता मीना देवी एक डॉक्टर है।

उनकी स्कूली शिक्षा असम में ही हुई थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए संजुक्ता ने दिल्ली जाने की ठानी। दिल्ली में संजुक्ता ने राजनीति विज्ञान से ग्रेजुएशन किया और जवाहरलाल नेहरू से इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति में एमफिल और पीएचडी की।

उग्रवाद से मिली IPS बनने की प्रेरणा.

असम के लिए उग्रवाद एक बड़ी चुनौती रहा है। संजुक्ता असम की ही रहने वाली है, इसलिए उन्होंने हमेशा से ही असम की धरती को लाल होते देखा है। इसीलिए उन्होंने UPSC की राह चुनी। 

साल 2006 में संजुक्ता ने UPSC की परीक्षा पास की। उस समय उन्होंने 85वीं रैंक हासिल की। संजुक्ता चाहती तो IAS चुनकर एक आराम की और अच्छी ज़िन्दगी जी सकती थी। लेकिन असम में फैला उग्रवाद उनके सीने में हमेशा से ही एक फांस की तरह चुभ रहा था, इसलिए उन्होंने IPS चुना। जब उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई तो उन्हें मेघालय असम कैडर मिला।

ऐसे बनीं आयरन लेडी.

IPS बनने के बाद संजुक्ता की पहली पोस्टिंग माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में हुई। वहां उन्होंने उग्रवाद और हिंसा को बखूबी कंट्रोल किया। 2015 में जब संजुक्ता को जोरहाट का SP बनाया गया, तो उन्होंने CRPF के जवानों को लीड करते हुए बोडो उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाया। 

उन्होंने कई उग्रवादियों और नक्सलियों का एनकाउंटर किया और कईयों को गिरफ्तार किया। आज अपनी बहादुरी और उग्रवाद पर लगाम लगाने के कारण जी संजुक्ता को असम की आयरन लेडी कहा जाता है। 

वे उग्रवादियों और नक्सलियों के लिए काल के समान हैं। वहीं आम लोगों के लिए वे एक मसीहा हैं। उन्हें जब भी समय मिलता, वे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों की मदद भी करती हैं। जो उग्रवाद की फांस उनके सीने में थी। उसी के चलते वे आम लोगों का दर्द भी अच्छे से समझती हैं। 

आज IPS संजुक्ता पाराशर असम के युवाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं।


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