भारतीय परिवारों में सुबह की शुरुआत भगवान की पूजा अर्चना करके होती है। पूजा के दौरान अगरबत्ती का इस्तेमाल ज़रूर किया जाता है, इसीलिए अगरबत्ती का बिज़नेस भारत में काफ़ी सफल बिज़नेस साबित हो सकता है। इस बिज़नेस को मज़बूत करने के लिए सरकार भी कई तरह की योजनाएं लेकर आती रहती है। बीते कई सालों में सरकार ने कई ऐसी योजनाएं लॉन्च भी की हैं। इसी क्रम में केशरी जैव उत्पाद एलएलपी (Keshari Bio Products LLP) पहली बड़ी परियोजना है जो इन नीतिगत फैसलों के बाद आई है.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में असम के बाजाली जिले में ‘केशरी जैव उत्पाद एलएलपी’ नाम से एक प्रमुख बांस अगरबत्ती स्टिक बनाने की इकाई का उद्घाटन किया. यह इकाई ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है और अगरबत्ती बनाने के अलावा ‘कचरे से धन अर्जन’ (Waste to Wealth) का एक उपयुक्त उदाहरण भी है.
You May Read Also
इन 5 स्मॉल बिज़नेस (Small Business) को शुरु करें, वो भी कम खर्च पर
इसमें अपशिष्ट (Waste) बांस का एक बड़ी मात्रा का उपयोग जैव-ईंधन और विभिन्न तरह के अन्य उत्पादों को बनाने में किया जाता है. 10 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित, अगरबत्ती स्टिक बनाने की इकाई 350 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी, जबकि 300 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी.
असम में इन इकाइयों की स्थापना चीन और वियतनाम से कच्ची अगरबत्ती के आयात पर प्रतिबंध के मोदी सरकार के फैसले के मद्देनजर और अगरबत्ती के लिए गोल बांस की छड़ पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी के मद्देनजर काफी महत्व रखती है. इन दो फैसलों को दो देशों से अगरबत्ती और बांस की लकड़ियों के आयात पर अनिवार्य रूप से रोक लगाने के लिए लिया गया था, जिन्होंने भारतीय अगरबत्ती उद्योगों को पंगु बना दिया था.
You May Read Also:
Small Business Ideas जो शुरू कर सकते है कम खर्च पर
10 लाख से अधिक कारीगरों को रोजगार मिलता है
स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को मजबूत करने के प्रयास जारी है. कच्ची अगरबत्ती के आयात पर प्रतिबंध और बांस की अगरबत्ती पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी से भारत में रोजगार के बड़े अवसर पैदा हुए हैं और इन नई इकाइयों का उद्देश्य इस अवसर को भुनाना है. अगरबत्ती उद्योग भारत के ग्राम उद्योग का एक प्रमुख कार्य क्षेत्र है जो 10 लाख से अधिक कारीगरों को रोजगार देता है.
नई अगरबत्ती और बांस की छड़ बनाने वाली इकाइयां आने से, पिछले डेढ़ साल में इस क्षेत्र में लगभग 3 लाख नई नौकरियां पैदा हुई हैं. इस अवसर से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, केवीआईसी ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के माध्यम से भारत के स्थानीय अगरबत्ती उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन नामक एक कार्यक्रम भी शुरू किया है.
You May Read Also:
Small Business Ideas: ये स्मॉल बिजनेस आप आसानी से कभी भी कर सकते हैं शुरू
अपशिष्ट बांस का सही इस्तेमाल
उल्लेखनीय है कि अगरबत्ती की छड़ें बनाने के लिए केवल 16 प्रतिशत बांस का उपयोग किया जाता है, जबकि शेष 84 प्रतिशत बांस बेकार चला जाता है. हालांकि, केशरी जैव उत्पाद एलएलपी द्वारा नियोजित विविध प्रौद्योगिकी के साथ, बांस के प्रत्येक टुकड़े को उपयोग में लाया जाता है.
मीथेन गैस के उत्पादन के लिए अपशिष्ट बांस को जलाया जाता है जिसे वैकल्पिक ईंधन के रूप में डीजल के साथ मिलाया जाता है. जले हुए बांस का उपयोग अगरबत्ती और ईंधन के रूप में उपयोग के लिए लकड़ी का कोयला पाउडर बनाने के लिए भी किया जाता है. अपशिष्ट बांस का उपयोग आइसक्रीम-स्टिक, चॉपस्टिक, चम्मच और अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए भी किया जाता है.
You May Read Also:
Small Business Idea:- 5 हजार में शुरू करें ये शानदार बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई
भारत में हर दिन 1490 टन अगरबत्ती की खपत होती है
वर्तमान में, भारत में अगरबत्ती की खपत 1490 टन प्रति दिन आंकी गई है, लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रतिदिन केवल 760 टन का उत्पादन होता है. इसलिए, मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर के परिणामस्वरूप कच्ची अगरबत्ती का भारी मात्रा में आयात हुआ. नतीजतन, कच्ची अगरबत्ती का आयात 2009 में सिर्फ 2 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 80 प्रतिशत हो गया.
अगर आप भी Business में Low Sales की प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं तो ये Article आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके अलावा अगर आप Business में किसी भी तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं और एक एक्सपर्ट सलाह चाहते हैं तो Leadership Funnel Program के इस लिंक पर क्लिक करके अभी हमसे संपर्क करें।