नई दिल्ली: आत्मनिर्भर भारत अभियान (Aatm Nirbhar Bharat Abhiyan) के तहत हाल ही में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एक खास स्कीम को मंजूरी दी है. सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत छोटे निवेश वाली यह योजना सतत रोजगार पैदा करेगी, जबकि घरेलू उद्योग को इससे बढ़ावा मिलेगा और घटिया आयातित माल पर भी नकेल कसी जा सकेगी.
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा प्रस्तावित ‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ कार्यक्रम को मंजूरी दी है. इसका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना और घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में तेजी लाना है. प्रायोगिक परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी.
निजी सार्वजनिक मोड पर केवीआईसी द्वारा बनाई गई यह योजना इस मायने में अद्वितीय है कि बहुत कम निवेश में ही यह स्थायी रोजगार का सृजन करेगा और निजी अगरबत्ती निर्माताओं को उनके बिना किसी पूंजी निवेश के अगरबत्ती का उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी. इस योजना के तहत, केवीआईसी सफल निजी अगरबत्ती निर्माताओं के माध्यम से कारीगरों को अगरबत्ती बनाने की स्वचालित मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन उपलब्ध कराएगा जो व्यापार भागीदारों के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. केवीआईसी ने केवल स्थानीय रूप से भारतीय निर्माताओं द्वारा निर्मित मशीनों की खरीद का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करना भी है.
केवीआईसी मशीनों की लागत पर 25% सब्सिडी प्रदान करेगा और कारीगरों से हर महीने आसान किस्तों में शेष 75% की वसूली करेगा. व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराएगा और उन्हें काम के आधार पर मजदूरी का भुगतान करेगा. कारीगरों के प्रशिक्षण की लागत केवीआईसी और निजी व्यापार भागीदार के बीच साझा की जाएगी, जिसमें केवीआईसी लागत का 75% वहन करेगा, जबकि 25% व्यापार भागीदार द्वारा भुगतान किया जाएगा.
अगरबत्ती बनाने की प्रत्येक स्वचालित मशीन प्रति दिन लगभग 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाती है जिससे 4 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. अगरबत्ती बनाने की पांच मशीनों के सेट पर एक पाउडर मिक्सिंग मशीन दी जाएगी, जिससे 2 लोगों को रोजगार मिलेगा. अभी अगरबत्ती बनाने की मजदूरी 15 रुपये प्रति किलोग्राम है. इस दर से एक स्वचालित अगरबत्ती मशीन पर काम करने वाले 4 कारीगर 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाकर प्रतिदिन न्यूनतम 1200 रुपये कमाएंगे. इसलिए प्रत्येक कारीगर प्रति दिन कम से कम 300 रुपये कमाएगा. इसी तरह पाउडर मिक्सिंग मशीन पर प्रत्येक कारीगर को प्रति दिन 250 रुपये की निश्चित राशि मिलेगी.
योजना के अनुसार, कारीगरों को कच्चे माल की आपूर्ति, लॉजिस्टिक्स, गुणवत्ता नियंत्रण और अंतिम उत्पाद का विपणन करना केवल व्यापार भागीदार की जिम्मेदारी होगी. मशीन की शेष 75% लागत की वसूली के बाद इसका मालिकाना हक स्वत: कारीगरों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा. इस संबंध में पीपीपी मोड पर परियोजना के सफल संचालन के लिए केवीआईसी और निजी अगरबत्ती निर्माता के बीच दो-पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1490 मीट्रिक टन प्रतिदिन है. हालांकि, भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है. मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है. इसलिए कम निवेश वाली इस स्कीम में बड़ा मुनाफा होने की संभावनाएं बहुत अधिक हैं.