एक समय था जब भारत के अधिकतर क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर थी। जहाँ 1970 में भारत में 9% महिलाएं ही IAS बनी थीं, वहीं आज यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

आज UPSC सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में भी बड़ी संख्या में इजाफा हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1969 में गठित हुई CISF को अपने गठन के 54 साल बाद पहली महिला महानिदेशक (Director General) मिल पायी हैं।

हम बात कर रहे हैं 1989 बैच की IPS अधिकारी नीना सिंह की, जो अब CISF की महिला DG बन चुकी हैं।

जानिये IPS नीना सिंह की सफलता की कहानी –

कौन है IPS नीना सिंह?

नीना सिंह का जन्म 11 जुलाई 1964 को बिहार के पटना में हुआ था। नीना बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं। उनकी स्कूली शिक्षा स्थानीय स्कूल से हुई। वे पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स एक्टिविटी में भी हिस्सा लेती थीं। उन्होंने पटना के महिला कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।

नीना सिंह इससे पहले राजस्थान की पहली महिला Director General भी बन चुकी हैं।

आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

CBI में रहकर किया हाई प्रोफाइल cases पर काम

अपनी लगन और कड़ी मेहनत के द्वारा नीना सिंह ने 1989 में UPSC की परीक्षा पास की और IPS चुना। IPS बनने के बाद उन्हें राजस्थान कैडर दिया गया, जहाँ वे प्रदेश की पहली महिला महानिदेशक (DG) बनीं। 2013 पर उन्हें भारत की इन्वेस्टिगेशन एजेंसी CBI में संयुक्त महानिदेशक चुना गया। इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, बैंक फ्रॉड जैसे हाई प्रोफाइल केस को सॉल्व किया। इन cases में पीएनबी घोटाला और नीरव मोदी जैसे केसेस शामिल हैं।

अब नीना सिंह को CISF का प्रमुख बनाया गया है। आपको बता दें कि एयरपोर्ट, दिल्ली मेट्रो, ऐतिहासिक इमारतों आदि में सुरक्षा का जिम्मा CISF के पास होता है। इसके अलावा विशिष्ठ व्यक्तियों को मिली जेड प्लस, जेड, एक्स, वाई कैटेगरी की सुरक्षा भी CISF करती है। अब इसकी कमान नीना सिंह के हाथों में है और वे इस पद पर इस 31 जुलाई 2024 तक रहेंगी। इसके अलावा नीना सिंह ने नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के शोध पत्र में सह लेखन भी किया है।