Maruti 800: एक दौर, एक क्रांति और फिर गायब क्यों हो गई?
- दोस्तों, एक समय था जब भारत में कोई भी आम आदमी अगर कार खरीदने के बारे में सोचता था, तो उसके मन में सबसे पहले मारुति 800 का ख्याल आता था।
- यह वो दौर था जब भारतीय सड़कों पर दिखने वाली लगभग आधी कारें मारुति 800 होती थीं! यह कार अपने समय में इतनी पॉपुलर थी कि आम लोगों के लिए कार का मतलब हीमारुति 800 बन गया था।
- अब कहने को तो ये छोटी और मामूली सी दिखने वाली कार थी, लेकिन इसके साथ लाखों भारतीयों की भावनाएं जुड़ी हुई थीं।
- इस छोटी सी कार में ना जाने कितने मिडल क्लास भारतीयों की दुनिया बसती थी! तो चलिए, इस ब्लॉग में हम मारुति 800 के सुनहरे और शानदार इतिहास को जानेंगे और यह भी समझेंगे कि जो कार कभी भारतीय सड़कों की जान थी, वो आखिर गायब कैसे हो गई!
Maruti 800 का जन्म (1983)
14 दिसंबर 1983—मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड ने भारत की सबसे आइकॉनिक कार लॉन्च की—मारुति 800! लेकिन इसकी कहानी 1983 से भी पहले शुरू हो चुकी थी। भारत सरकार इस कार को लॉन्च करने की कई दशक पहले से प्लानिंग कर रही थी।
भारत में कारों की स्थिति (1950-1980)
आजादी के बाद भारत में गिनी-चुनी कारें ही दिखती थीं। उनमें से कुछ प्रमुख नाम थे:
लेकिन ये सभी कारें बहुत महंगी थीं और सिर्फ अमीर लोग ही इन्हें खरीद सकते थे। मिडिल क्लास भारतीयों के लिए कार खरीदना एक सपना था।
एक किफायती कार का सपना
- भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस स्थिति को बदलने का फैसला किया। उनका सपना था—एक ऐसी कार, जिसे आम भारतीय भी खरीद सके। इस विज़न को पूरा करने के लिए, सरकार ने 24 जनवरी 1981 को मारुति उद्योग लिमिटेड की स्थापना की।
- इसके बाद भारत सरकार ने कई विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया कि वे इस नए प्रोजेक्ट में सहयोग करें।
- फॉक्सवैगन, फिएट, निसान जैसी कंपनियों से बातचीत हुई, लेकिन आखिरकार जापान की सुज़ुकी मोटर कॉर्पोरेशन इस पार्टनरशिप के लिए तैयार हो गई।
- 1982 में इस कोलैबोरेशन को फाइनल किया गया और मारुति उद्योग लिमिटेड का नाम बदलकर मारुति सुज़ुकी रख दिया गया।
- इसके बाद सिर्फ 13 महीनों में कंपनी ने मारुति 800 को तैयार कर दिया।
Maruti 800 की ग्रैंड एंट्री!
जब 14 दिसंबर 1983 को मारुति 800 लॉन्च हुई, तब इसकी कीमत थी ₹47,500! यह कार इतनी ज्यादा पॉपुलर हो चुकी थी कि लॉन्च से पहले ही 1.2 लाख लोगों ने इसे प्री-बुक कर लिया था!
लेकिन सवाल उठा—पहली मारुति 800 किसे दी जाएगी?
इसके लिए एक लकी ड्रा किया गया, और हरपाल सिंह नाम के शख्स को भारत की पहली मारुति 800 मिली। खास बात ये थी कि इंदिरा गांधी ने खुद उन्हें इस कार की चाबी सौंपी थी। इस कार से हरपाल सिंह का इतना गहरा जुड़ाव था कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसे कभी बेचा नहीं।
मारुति 800 की सफलता के पीछे का राज!
मारुति 800 भारत में इतनी सफल क्यों हुई? इसके पीछे कई कारण थे:
इसकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि अगर कोई मारुति 800 खरीदना चाहता, तो उसे 3 साल तक इंतजार करना पड़ता था!
मारुति 800 का पतन कैसे हुआ?
नई तकनीक और प्रतिस्पर्धा
- 2000 के दशक में नई टेक्नोलॉजी से बनी कारें मार्केट में आनी शुरू हुईं। लोग अब ज्यादा सेफ्टी, ज्यादा स्पेस, और ज्यादा फीचर्स वाली कारें चाहने लगे। इसके अलावा, गवर्नमेंट के एमिशन नॉर्म्स (BS4 और BS6) भी सख्त हो गए थे, जिसमें मारुति 800 फिट नहीं बैठ पा रही थी।
- बीएस-4 नॉर्म्स और प्रोडक्शन बंद
- 2010 में सरकार ने BS4 एमिशन नॉर्म्स लागू किए, जिसके चलते मारुति 800 को 13 बड़े शहरों में बंद कर दिया गया। इनमें शामिल थे—
- • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, अहमदाबाद आदि।
- धीरे-धीरे, कंपनी ने इसका प्रोडक्शन कम कर दिया और 18 जनवरी 2014 को आखिरी मारुति 800 बनाई गई।यह भारत की दूसरी सबसे लंबे समय तक बनने वाली कार थी (पहली थी एंबेसडर)।
Maruti 800 की विरासत
क्या आप मारुति 800 से जुड़े हैं?
क्या आपके घर में कभी मारुति 800 थी? या फिर आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार के पास?
नीचे कमेंट करके हमें बताइए कि इस आइकॉनिक कार से जुड़ी आपकी सबसे यादगार कहानी क्या है!