Story of Arunima Sinha: अरुणिमा सिन्हा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं, एक पैर नकली होने के बावजूद भी अरुणिमा सिन्हा ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी-माउंट एवेरेस्ट पर फ़तेह किया. आइए जानते हैं ल को झकझोर देने वाली कहानी.
एक बार अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) पद्मावती एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली जा रही थी. तभी बीच रास्ते में कुछ लुटेरों ने सोने की चेन छिनने का प्रयास किया,लेकिन अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं होने पर गुंडों ने चलती ट्रेन से अरुणिमा को नीचे फेंक दिया. जिसके बाद अरुणिमा बगल के ट्रैक से गुजर रही ट्रेन से टकराकर बुरी तरह से जमीन पर गिर गई. अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha Story) ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि - होश में आने के बाद उन्हें असहनीय दर्द का अहसास हुआ, जिसके बाद मदद के लिए उन्होंने खूब आवाज़ दी,लेकिन उस समय आस-पास कोई नहीं था, जो उनकी मदद कर सके. चूहे उनके घायल पैर को कुतर रहे थे, और वो दर्द से कहार रही थी.
जैसे ही सुबह हुई कुछ गांव वालों ने अरुणिमा (Arunima Sinha Biography) को गंभीर हालत में देख वहां के निजी हॉस्पिटल में लें गए। जहां डॉक्टर्स को उनके एक पैर को काटना पड़ा और दूसरे पैर में रॉड लगानी पड़ी.अरुणिमा बताती हैं कि डॉक्टर्स के पास उस समय एनीस्थीसिया नहीं था, इसके बाद बिना एनीस्थीसिया दिए ही डॉक्टर्स ने उनके घायल पैर को ठीक किया.कुछ समय बाद अरुणिमा को नई दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया,जहां लगभग 4 महीने तक उनका इलाज चला. उस समय अरुणिमा जिस हालात में थीं, ऐसे में लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने में सालों लग जाते हैं,मगर अरुणिमा केवल चार महीने में ही उठ कर खड़ी हो गईं.
दर्दनाक हादसे के महज दो साल के अंदर ही अरुणिमा सिन्हा ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली पहली अपंग महिला पर्वतारोही बनने का इतिहास रच दिया.अरुणिमा सिन्हा ने जिंदगी की लड़ाई में अपनी सबसे बड़ी कमजोरी को सबसे बड़ा हथियार बनाया और जिंदगी की जंग जीत ली.