अक्सर आपने सुना होगा या साइंस में पढ़ा होगा कि जब कोई वैज्ञानिक किसी विशेष चीज की खोज करता है और वह उसी वैज्ञानिक के नाम होती है। यानी उसके अविष्कार पर पूरी अधिकार उसी का माना जाता है।

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? किस नियम के तहत ऐसा अधिकार मिलता है? कि उस खोज में सिर्फ उन्हीं का नाम जुड़ता है।

What is Patent in Hindi? आज के इस आर्टिकल में इन्हीं सब सवालों के जबाव लेकर आए हैं, तो आईए जानते पेटेंट (Patent) से जुड़ी सभी बातों को विस्तार से समझते हैं।

क्या है पेटेंट (Patent)?

पेटेंट शब्द का अर्थ (Patent meaning in Hindi ) - "एकस्व" है। पेटेंट (Patent) एक कानूनी अधिकार है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को किसी विशेष खोज या नए आईडिया के लिए दिया जाता है।

दरअसल जब भी कोई खोज होती है, तो वैज्ञानिक उस खोज को अपने नाम से पेटेंट करवा लेते हैं।

यह किसी भी प्रोडक्ट, डिज़ाइन या प्रोसेस के लिए दिया जा सकता है, जिससे कोई अन्य इस पेटेंट की नक़ल ना कर सके। अगर कोई व्यक्ति या संस्था किसी पेटेंट का इस्तेमाल करता है, तो उसे पहले से इसकी परमिशन लेनी होगी, अन्यथा उसके ऊपर लीगल केस हो सकता है। भारत में पेटेंट के लिए पहली बार 1911 में अधिनियम बनाया गया था, जिसे 1970 में पेटेंट अधिनियम के द्वारा बदल दिया गया।

भारत में पेटेंट का इतिहास.

भारत में पहली बार पेटेंट सम्बन्धी कानून 1856 का अधिनियम VI था। इसका उद्देश्य नई वस्तुओं के आविष्कार को मोटिवेट करना था। इसी के बाद भारत में 3 मार्च 1856 को कलकत्ता के सिविल इंजीनियर जॉर्ज अल्फ्रेड डेपेनिंग ने पेटेंट के लिए तत्कालीन सरकार के समक्ष आवेदन दिया था। 2 सितम्बर को डेपेनिंग को पेटेंट मिल गया, इस प्रकार इसे भारत का पहला पेटेंट माना जाता है।

इसके बाद इस कानून में समय समय पर बदलाव किये गए। इसके बाद 1911 में पहले के सभी विधानों को बदलते हुए भारतीय पेटेंट और डिजाइन अधिनियम 1911 लाया गया। पेटेंट के लिए यह अधिनियम 1970 तक लागू रहा, जो कि 1972 में लागू हुआ था।

पेटेंट के प्रकार

कानूनी तौर पर पेटेंट 3 प्रकार के होते हैं , पहला उत्पाद पेटेंट, दूसरा है प्रक्रिया पेटेंट और तीसरा प्लांट पेटेंट

  1. उत्पाद पेटेंट :

    जब भी कोई कंपनी प्रोडक्ट पेटेंट करवाती है, तो उस प्रोडक्ट पर उसका एकाधिकार हो जाता है। इसका मतलब होता है कि कोई और कंपनी प्रोडक्ट की हूबहू नक़ल नहीं कर सकती।

    इसका उदाहरण है मार्केट में मौजूद टूथपेस्ट और साबुन। आपने देखा होगा कि बाजार में कभी भी कोई टूथपेस्ट या साबुन आपको एक जैसे नहीं दिखाई दिए होगें।

  2. प्रक्रिया पेटेंट :

    इस प्रकार का पेटेंट किसी प्रोडक्ट को बनाने की प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब किसी भी प्रोडक्ट को बनाने की एक निश्चित प्रक्रिया होती है, यदि कोई कंपनी उस प्रक्रिया को पेटेंट करवा लेती है, तो कोई और उसी प्रक्रिया को इस्तेमाल कर नया प्रोडक्ट नहीं बना सकता।

  3. प्लांट पेटेंट :

    प्लांट पेटेंट उन नए पौधों के लिए दिया जाता है जो बीज या किसी अन्य तरीके से उत्पन्न होते हैं और जो मानव द्वारा खोजे या आविष्कृत किए गए होते हैं। अगर कोई बागवानी विशेषज्ञ एक नई प्रकार की गुलाब की प्रजाति विकसित करता है जो पहले कभी नहीं देखी गई है और इसमें कुछ विशेष गुण हैं जैसे कि एक अद्वितीय रंग या सुगंध, तो उस गुलाब के पौधे के लिए विशेषज्ञ को प्लांट पेटेंट मिल सकता है।


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आखिर पेटेंट का महत्व क्या है?

अब बात आती है कि किसी भी कंपनी को पेटेंट क्यों करवाना चाहिए। किसी भी बिजनेस के लिए पेटेंट का क्या महत्व है, आइये इसी बात को समझते हैं –

  • 20 साल की सुरक्षा :

    जब भी कोई इंसान या बिज़नेस नई इन्वेंशन करता है, तो यह ज़रूरी हो जाता है कि उसे उसकी खोज का लाभ लम्बे समय तक मिलता रहे।

    यदि भारत के पेटेंट अधिनियम के अनुसार कोई अपनी खोज को पेटेंट करवाता है, तो उसे 20 साल तक सुरक्षा मिलती है।

    इसका मतलब है कि 20 साल तक कोई भी इंसान इस खोज का इस्तेमाल बिना इसके मालिक की अनुमति के नहीं कर सकता।

  • व्यापार को बढ़ाने में मदद करता है:

    यदि आप जानते हैं कि आप कुछ ऐसा प्रोडक्ट या प्रोसेस इंवेंट कर रहे हैं, जिसे आगे चलकर लोग कॉपी कर सकते हैं। ऐसे में यदि आपके पास इसका पेटेंट अधिकार होता है, तो आप इससे मार्केट में अपना बिज़नेस ग्रो कर सकते हैं।

    इसका सबसे अच्छा उदाहरण है एप्पल का आईफोन, क्योंकि एप्पल के पास इसके प्रोडक्ट का पेटेंट है, तो कोई और कंपनी इसको नहीं बना सकती और एप्पल अपना बिज़नेस लगातार ग्रो कर रहा है।

  • कमाई का बन जाता है नया सोर्स :

    जब आप किसी प्रोडक्ट या प्रोसेस को पेटेंट करवा लेते हैं, तो कोई भी आपकी बिना अनुमति के इसको नहीं बना सकता। यदि कोई और कंपनी इस प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के लिए आपसे अनुमति लेती है, तो उसे आपको रॉयल्टी देनी होगी, जो आपके बिज़नेस के रेवेन्यू को बढ़ाने में सहायता करता है।

पेटेंट से होने वाले फायदे

  • इस्तेमाल के बदले रॉयल्टी की मांग :

    अपने प्रोडक्ट को पेटेंट करवाने के बाद यदि कोई व्यक्ति या बिज़नेस इसको बनाने के लिए आप उससे रॉयल्टी मांग सकते हैं। जब भी कोई इंसान किसी दूसरे का प्रोडक्ट या सर्विस बेचता है, तो उसके बदले में लाभ का कुछ हिस्सा (जो कि आपस में तय किया जाता है) ओनर को दिया जाता है, उसे रॉयल्टी कहते हैं।

  • एकाधिकार स्वामित्तव का अधिकार मिलता है:

    पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट या प्रक्रिया पर आपका एकाधिकार होता है, इसलिए आपकी अनुमति के बिना कोई भी इसे इस्तेमाल नहीं कर सकता। यदि कोई ऐसा करता है, तो आप उस पर कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं।

  • पेटेंट की बिक्री :

    आपकी दूसरी चल-अचल संपत्ति की तरह पेटेंट भी आपकी बौद्धिक संपत्ति है, जिसे आप किसी भी अन्य कंपनी को बेच सकते हैं। इसके लिए आपको अच्छी खासी रकम मिल सकती है।

  • बिजनेस में फंडिंग लेने या मिलने में काम आता है:

    यदि आप अपनी कंपनी के लिए इन्वेस्टमेंट की तलाश कर रहे हैं और आपने किसी प्रोडक्ट को पेटेंट करवा रखा है, तो आपको फंड मिलने में आसानी होगी। पेटेंट के कारण आपके पास उस प्रोडक्ट या प्रक्रिया का एकाधिकार हो जाता है, ऐसे बिज़नेस में लाभ के अवसर बढ़ जाते हैं और इन्वेस्टर ऐसी कम्पनियों में आसानी से इन्वेस्ट कर देते हैं।


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अगर कोई कर दे पेटेंट का उल्लंघन, तो क्या?

जब भी कोई व्यक्ति या कंपनी आपकी अनुमति के बिना आपके पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट या प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है, तो उसे पेटेंट का उल्लंघन माना जाता है। जानिये इसके बारे में विस्तार से –

किन स्थितियों में कर सकते हैं पेटेंट का दावा?

जब भी कोई इंसान या कंपनी आपकी अनुमति के बिना आपके प्रोडक्ट या प्रक्रिया का निर्माण करती है, उसका इस्तेमाल करती है, बेचती है, तब यह आपके पेटेंट का उल्लंघन माना जाएगा।

यदि कोई आपके पेटेंट का उल्लंघन करता है, तो आप इसके लिए जिला न्यायालय में केस फाइल कर सकते हैं, यह केस आप उल्लंघन होने के 3 साल तक कर सकते हैं।

पेटेंट उल्लंघन के प्रकार

पेटेंट का उल्लंघन करने के 3 प्रकार हैं –

  1. डायरेक्ट उल्लंघन :

    जब कोई व्यक्ति या कंपनी आपके पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट या प्रक्रिया को डायरेक्टली इस्तेमाल करता है, बेचता है या बनाता है, तो इसे डायरेक्ट उल्लंघन माना जाता है।

  2. इनडायरेक्ट उल्लंघन :

    यदि किसी प्रोडक्ट को बनाने में पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट के पार्ट्स का इस्तेमाल होता है या कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या कंपनी को पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट या प्रक्रिया का इस्तेमाल करने के लिए उकसाता है, तो उसे इनडायरेक्ट उल्लंघन कहते हैं।

  3. निर्दोष उल्लंघन :

    जब कोई व्यक्ति या कंपनी इस बात को साबित कर दे कि उसका उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं था, या उसे इसके पेटेंट की जानकारी नहीं थी, तो इसे निर्दोष उल्लंघन माना जाएगा।

    यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि किसी भी प्रोडक्ट या प्रक्रिया का पेटेंट किसी देश में ही होता है, इसका मतलब है कि यदि आपने किसी प्रोडक्ट का पेटेंट अमेरिका में करवाया हो और उसका अधिकार आप भारत में भी चाहते हैं, तो आपको या तो भारत में भी इसका पेटेंट करवाना होगा या फिर आप ग्लोबली पेटेंट भी करवा सकते हैं।


LFP Plus by Dr Vivek Bindra


उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से पेटेंट के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी। आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।


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