जीवन में हर इंसान सफल होना चाहता है। लेकिन, इसके लिए उसे निरंतर कड़ी मेहनत करनी होती है। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि जब कभी भी हम अपना काम करने की शुरुआत करने चलते हैं, तब किसी ना किसी कारण से हम अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते और उसकी वजह से हमारा काम पूरा नहीं हो पाता।

Procrastination Meaning in Hindi

Procrastination का हिंदी में मतलब होता है- "स्थगित करना"(sthagit karna) या "टाल-मटोल करना" (taal-matol karna)। यह उन कार्यों को विलंबित करने या स्थगित करने के विचार को संदर्भित करता है जिन्हें पूरा करने की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर अक्षमता या अनावश्यक तनाव का कारण बनता है।

प्रोक्रेस्टिनेशन (Procrastination) शब्द की उत्पत्ति

प्रोक्रेस्टिनेशन शब्द लैटिन भाषा के "procrastinatus" से बना है, जिसका अर्थ होता है अगले दिन के लिए रोक देना। जब आप अपने काम को करने की बजाय लगातार उसे टालते रहते हैं, तो उसे प्रोक्रेस्टिनेशन कहते हैं।

आज के समय में ऐसी कई चीज़ें हैं, जिनके कारण हम अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं। लेकिन क्या ऐसा कोई तरीका है, जिसको अपनाकर हम प्रोक्रेस्टिनेशन मतलब टालमटोल बंद करने वाली आदत को कम कर सकते हैं।

आज के इस लेख में जानिये ऐसी ही कुछ टेक्निक्स, जिन्हें अपनाकर आप अपनी टालमटोल की आदत को लगभग खत्म करके प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं। इसके पहले जान लें कि हमारे काम में प्रोडक्टिविटी का महत्व क्या है -

प्रोडक्टिविटी क्यों है ज़रूरी

  1. काम में प्रोडक्टिविटी :

    जब व्यक्ति अपने काम में प्रोडक्टिव होता है। तो उससे कंपनी को ज्यादा फायदा होता है, क्योंकि प्रोडक्टिव इंसान दूसरों के मुकाबले ज्यादा काम करता है। यही कारण है कि आजकल कम्पनियां अपने कर्मचारियों को काम से जुड़ी स्किल्स और अलग-अलग प्रकार की ट्रेनिंग देने पर ज़ोर देती हैं।

  2. वेतन में वृद्धि :

    एक प्रोडक्टिव इंसानस्मार्ट और इनोवेटिव तरीके से  अपने काम को करते हैं। यही कारण है कि एक ही जगह दूसरे के मुकाबले प्रोडक्टिव कर्मचारी को ज्यादा वेतन दिया जाता है।

  3. टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका :

    प्रोडक्टिविटी में टेक्नोलॉजी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक समय था तब सभी कम्पनियों में हाथों से काम होता था, लेकिन फिर उनमें मशीनों से काम होने लगा। आज भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खतरा कई जॉब्स पर मंडरा रहा है। लेकिन आज जो इंसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सही से सीख लेगा, वही आने वाले समय में सफल हो पाएगा।

टालमटोल को बंद करने के 5 कारगर तरीके

प्रोडक्टिविटी के महत्व को जानने के बाद अब जानिये आप किन तकनीकों को अपनाकर प्रोक्रेस्टिनेशन मतलब टालमटोल की आदत से छुटकारा पाकर प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं -

  1. सही गोल निर्धारित करें :

    हम जितने भी सफल लोगों को देखते हैं। वो हमेशा एक गोल तय करके उसके हिसाब से ही काम करते हैं। हम जब भी अपने लिए कोई गोल तय करें, उसे कुछ कसौटियों पर परखना ज़रूरी है। हमारा गोल ऐसा होना चाहिए, जिसकी सफलता को हम समय समय पर माप सकें।

    यह गोल रिलेवेंट यानी उनके मनमुताबिक भी होना चाहिए। जैसे हम किसी और को देखकर अपना गोल सेट ना करें। बाद में इस गोल की समीक्षा भी करनी चाहिए कि क्या हम सही गोल पर हैं या इसे पूरे करने के लिए हम सही तरीके अपना रहे हैं या नहीं।

  2. प्राथमिकता को पहचानें :

    आप जितने भी सफल लोगों को देखते हैं। आप पाएंगे कि वे सभी हर रोज अपनी एक टू डू लिस्ट बनाते हैं। इसमें वो अपना पूरा दिन प्लान करते हैं कि वो दिनभर में कब कौन-सा काम करेंगे। टू डू लिस्ट प्रोक्रेस्टिनेशन मतलब टालमटोल को खत्म करने का एक अच्छा तरीका है, लेकिन इसमें भी हमें प्रायोरिटी सेट करनी होगी। हमें ये तय करना होगा कि सारे ज़रूरी कामों में से हमें कौन सा काम सबसे पहले करना चाहिए।

  3. समय का सही इस्तेमाल करना सीखें:

    पूरे दिन में हर इंसान का एक पीक ऑवर होता है। यह वह समय होता है, जब इंसान की एफिशिएंसी दक्षता सबसे अधिक होती है। इस समय में वो अपना काम सबसे अच्छा करता है। आपको भी अपने उस पीक ऑवर को पहचानना होगा, जब उस पीक ऑवर में आप अपना काम करते हैं, तो आप अपना ज्यादा से ज्यादा काम अच्छे से कर पाएंगे।

  4. टाइम ब्लॉकिंग करें :

    जब भी हम अपने काम के लिए किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते, तो उस समय हम कई बार अपने काम को टालते जाते हैं। लेकिन वहीं यदि हम किसी के प्रति जवाबदेह होते हैं, तो हम अपना काम समय पर खत्म करते हैं। इसके लिए हम खुद से अपने कामों को डिवाइड करके उसके अनुसार अपना टाइम ब्लॉक कर लें और उसे उसी टाइम के दौरान खत्म करने का प्रयास करें। ऐसा करने से हम अपने हर काम को समय पर पूरा कर पाएंगे।

  5. गोल को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटे :

    जब भी हम कोई बड़ा गोल या बड़ा काम निर्धारित कर लेते हैं,तो हम उसे बड़ी मुश्किल से शुरू कर पाते हैं। ऐसे में वो काम हम टालते जाते हैं। इससे बचने के लिए हमें अपने बड़े लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में बाँट लेना चाहिए। ऐसा करने से हम आसानी से उस काम को कर पाएंगे और जब हम किसी छोटे लक्ष्य को पूरा कर लेते हैं, तब हम सेल्फ मोटिवेट होते हैं और अगले काम को करना शुरू कर देते हैं।

टालमटोल ऐसी प्रक्रिया है, जिसके कारण आपकी प्रोडक्टिविटी और प्रोफिशिएंसी दोनों ही प्रभावित होती हैं। यदि आप हमेशा अपने काम को टालते जाएंगे, तो आप कभी भी सफल नहीं हो सकते। ऊपर दी गयी टेक्निक्स अपनाकर आप अपने काम को टालने की आदत से छुटकारा पा सकते हैं।


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