भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में छोटे और मध्यम स्तर के बिज़नेस का बड़ा योगदान है। यही वजह है कि समय-समय पर इन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं शुरू की जाती हैं। इसी तरह भारत सरकार ने एक खास विभाग का गठन किया है एमएसएमई (MSME)। आने वाले समय में इसके बढ़ने की भी संभावना है।

आज के इस लेख में हम आपको एमएसएमई (MSME) के बारे में पूरी जानकारी देंगे कि यह क्या है और कैसे काम करता है।

एमएसएमई (MSME) क्या है?

एमएसएमई (MSME) को समझने के लिए सबसे पहले एमएसएमई (MSME) क्या है ये जानना जरूरी है।

MSME का फुल फॉर्म है:

एम (M)= सूक्ष्म (Micro),

एस (S)= लघु एवं (Small and)

एम (M)= मध्यम (Medium)

ई (E)= उद्योग (Enterprises)

Micro Small and Medium Enterprises होता है। इसे हिंदी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग कहते हैं।

इसका प्रबंधन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) द्वारा किया जाता है। एमएसएमई सेक्टर का भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है, इसके महत्व के चलते इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी कहा जाता है। यह सेक्टर रोज़गार के अवसर तो पैदा करता ही है साथ ही दूर दराज ग्रामीण इलाकों के विकास में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो भारत में करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं।

MSME उद्योग के प्रकार :

एमएसएमई उद्योग स्थानीय स्तर पर किया जाने वाला उद्योग होता है। इस तरह का उद्योग कम लोगों के साथ कम जगह पर भी आसानी से किया जा सकता है।

एमएसएमई उद्योग मुख्य रुप से दो प्रकार के होते हैं-

  • मैनुफैक्चरिंग उद्योग-

    मैनुफैक्चरिंग अंग्रेजी भाषा का शब्द है। इसका हिन्दी में अर्थ विनिनिर्माण होता है। विनिनिर्माण अर्थात किसी चीज का निर्माण करना। जब किसी चीज को बनाया जाता है तो वह निर्माण के तहत आता है। उदाहारण के तौर पर पापड़ बनाने का बिजऩेस। पापड़ बनाने के लिए बहुत अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति चाहे तो जिला प्रशासन से अनुमति लेकर अपने घर में भी पापड़ इत्यादि की फैक्ट्री लगा सकता है।

  • सर्विस उद्योग-

    सर्विस सेक्टर में मुख्य रुप से सेवा प्रदान करने का कार्य किया जाता है। इस सेक्टर में लोगों को और विभिन्न संस्थाओं को सर्विस देने का काम होता है।

    पहले वाले उदाहरण से समझे तो जब पापड़ बनाने वाली फैक्ट्री पापड़ का निर्माण कर लेती है और पापड़ की पैकिंग हो जाती है, तो अब बारी आती है पापड़ को मार्केट में भेजने की। तो यहां पर पापड़ बनाने वाली फैक्ट्री किसी ट्रक, टैम्पू चलाने वाली एजेंसी से संपर्क करती हैं। पापड़ बनाने वाली फैक्ट्री अपना माल मार्केट में पहुँचाने के लिए उस एजेंसी से एक मिनी ट्रक महीने के अनुसार हायर कर सकती है। बदले में मिनी ट्रक की एजेंसी को पापड़ बनाने वाली फैक्ट्री पैसा देती है।

MSME में कौन से बिज़नेस आते हैं?

MSME के अंतर्गत 3 तरह के बिज़नेस आते हैं। सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग।

उद्योग प्रकार निवेश टर्नओवर
सूक्ष्म उद्योग 1 करोड़ रुपये से कम 5 करोड़ रुपये से कम
लघु उद्योग 10 करोड़ रुपये से कम 50 करोड़ रुपये से कम
मध्यम उद्योग 20 करोड़ रुपये से कम 100 करोड़ रुपये से कम

  1. सूक्ष्म उद्योग-

    जिन सर्विस उद्योग का सेटअप  1 करोड़ रुपये से कम के निवेश में किया जा सकता है और जिनका सलाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से कम है, उसे एमएसएमई के तहत सर्विस सेक्टर का सूक्ष्म उद्योग कहा जाता है।

  2. लघु उद्योग -

    जिन उद्योग में 10 करोड़ रुपये से कम का निवेश किया गया है और जिनका टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है, ऐसे सभी बिज़नेस को लघु उद्योग यानि की स्मॉल बिजनेस की कैटेगरी में रखा जाता है।

  3. मध्यम उद्योग -

    वे उद्योग जिसमें 20 करोड़ रूपये से कम का इन्वेस्टमेंट हो और उस बिजनेस का टर्नओवर 100 करोड़ का हो, ऐसे बिजनेस मध्यम उद्योग में आते हैं।

MSME में सरकार भी देती है साथ:

सरकार एमएसएमई के तहत युवाओं को बिज़नेस करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। जिसके दो फायदें हैं एक तो आत्मनिर्भर भारत के तहत देश भी आगे बढ़ रहा है और वहीं दूसरी ओर रोजगार के नए अवसर भी खुल रहे हैं। देश में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने तथा उनकी आर्थिक रुप से मदद करने के लिए ही भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय बनाया है।

भारत देश में लगभग 45% रोजगार छोटे उद्योगों के कारण मिलता है और भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले सामान का लगभग 50% सामान छोटे उद्योगों के द्वारा ही उत्पादित किया जाता है। इसलिए भारत सरकार का मानना है कि देश में ज्यादा से ज्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग खोले जाएं जिससे अधिक से अधिक रोजगार उत्पन्न हो सके।

MSME में आसान लोन की है सुविधा:

सरकार एमएसएमई के तहत लोन की सुविधा भी देती है। इसमें से कुछ लोन के नाम हैं -

  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट
  • क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना
  • क्रेडिट गारंटी योजना
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
  • राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) सब्सिडी
  • प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
  • प्रधानमंत्री रोजगार योजना
  • स्टैंडअप इंडिया
  • स्टार्टअप इंडिया

बैंको से क्या लाभ मिलता है :

MSME में रजिस्टर्ड बिजनेस को बैंक से लाभ मिलता है। जैसे इसमें कम ब्याज दर पर भी लोन उपलब्ध कराया जाता है। MSME में रजिस्टर्ड कंपनी के लिए ब्याज की दर सामान्य व्यापार की ब्याज दर की तुलना में 1-1.5 प्रतिशत कम होती है।

राज्य सरकार छूट प्रदान करती है :

राज्य सरकार ऐसी कंपनियों को औद्योगिक, बिजली और कर सब्सिडी भी उपलब्ध कराती है। इसके अंतर्गत आने वाली कंपनियों को विशेष रूप से बिक्री कर में छूट दी जाती है।

टैक्स में छूट :

रजिस्टर्ड कंपनी एक्साईज छूट योजना का लाभ भी ले सकती है, इसके साथ शुरूआती कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष करों से भी छूट मिलती है। सरकार व्यवसाय को स्थापित करने में मदद करती है और कई तरह की सब्सिडी भी प्रदान करती है। इससे ये कंपनियां अधिक से अधिक लाभ कमा कर और खुद को स्थापित कर सकती हैं।

केंद्र और राज्य की सरकार से मिलती है मदद :

MSME में रजिस्टर्ड कंपनियों को सरकारी लाईसेंस और प्रमाणीकरण जल्द और आसानी से मिल जाते हैं। सरकार ने छोटे उद्योगों में मदद के लिए कई तरह के सरकारी टेंडर भी खोले हैं, जो लघु व्यवसाय की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ही खोले गए हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो स्टार्टअप बिज़नेस के लिए एमएसएमई एक बेहतरीन ऑप्शन है। आप सरकार की मदद लेकर अपने बिज़नेस को शुरू कर सकते हैं और ज़्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।