जिंदगी में खुद पर भरोसा रखने वाले और कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले लोग कभी असफल नहीं होते। किस्मत उन पर जरुर मेहरबान होती है जिनके हौसलों में जान होती है। इस बात को सच कर दिखाया है ओयो रुम Oyo Rooms के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने। किसी ने कभी सोचा भी नहीं था कि Oyo Rooms आज इतना बड़ा ब्रांड बन जाएगा।
रितेश अग्रवाल का जन्म 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा के कटक के बिसम में साधारण मारवाड़ी परिवार में हुआ था। रितेश के माता - पिता चाहते थे कि उनका बेटा अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। लेकिन अपने माता-पिता के सपने के विपरित रितेश एख एंटरप्रेन्योर (Entrepreneur) बनाने का सपना देख रहे थे। उन्होंने अपने एंटरप्रेन्योर बनने से पहले बिसाम में सिम कार्ड बेचने का काम किया। वो सिम कार्ड बेचा करते थे। रितेश ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आईआईटी की तैयार के लिए कोटा आ गए। लेकिन उनका मन तो बिज़नेस करने की ओर था। इसलिए वो आईआईटी की तैयारी बीच में छोड़कर दिल्ली आ गए और यहां उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस व फाइनेंस में एडमिशन ले लिया।
रितेश को शुरु से ही घूमने का काफी ज्यादा शौक था। उन्हें जब भी पढ़ाई से समय मिलता वो घूमने के लिए निकल जाते थे। साल 2009 में रितेश देहरादून और मसूरी गए। रितेश वहां की सुंदरता देख कर मंत्रमुग्ध हो गए। रितेश ने यहां पहुंचकर महसूस किया कि देश में ऐसी कई बेहद ही खूबसूरत जगहें हैं,जिनसे लोग अनजान हैं। उन्हें लगा कि लोगों को ऐसी जगहों के बारे में बताना चाहिए। इसके बाद रितेश ने एक ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने का विचार किया। जहां एक ही प्लेटफार्म पर हर तरह की सुविधाए लोगों को किफायती दाम पर मुहैया करवाई जा सके। जिससे लोगों को आसानी हो और वो नई जगहों पर भी घूम सकें।
बस फिर क्या था रितेश को अपने भविष्य का बिज़नेस मिल गया था। साल 2012 में रितेश ने अपने पहले स्टार्ट-अप – Oravel Stays की शुरूआत की। रितेश की कंपनी का यही उद्देश्य था कि लोगों को कम दामों पर कमरें उपलब्ध कराएं जाएं। इसके बाद उन्हें एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से पैसे मिलें। तब उन्हें आर्थिक रूप से काफी मज़बूती मिली। हालांकि खुद का स्टार्टअप करना रितेश के लिए आसान नहीं था, उन्हें काफी दिक्कतों जैसे फंडिंग और मार्केंटिंग इत्यादि का अकेले ही सामना करना पड़ा था। लेकिन रितेश हार मानने वालों मे से नहीं थे। उन्होंने जिंदगी में आ रही सभी परेशानियों का डटकर सामना किया, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। रितेश ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्हें - ओयो रूम खोलने का आइडिया टीवी के रिमोट से आया। उन्होंने सोचा जैसे टीवी को रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है, ऐसे ही होटल के लिए भी किया जा सकता है,जिससे घर बैठे हुए लोगों को होटल मिल सके। उन्हें होटल के लिए ज्यादा भटकना ना पढ़े। बस इसी सोच को साकार करने के लिए उन्होने ओयो रुम को शुरु किया।
ओयो रुम्स के संस्थापक रितेश अग्रवाल ने अपने स्टार्टअप सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। Oyo Rooms आज के समय में भारत में तो सफल बिज़नेस कर ही रहा है साथ ही विदेशों में भी अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। रितेश अपने ग्राहकों को हर तरह की सुविधाए मुहैया करवाते हैं,ताकि उनके ग्राहक को किसी भी प्रकार की शिकायत ना हो। रितेश ने करीब 20 साल से भी कम उम्र में Oyo Rooms कंपनी की शुरुआत की थी। उन्हें देखकर आज कहा सकता हैं कि अगर इंसान को खुद पर भरोसा हो तो वो मुश्किल से मुश्किल काम को भी आसान कर देता है।
रितेश ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी सफलता की कहानी (SuccessStory) लिखी है। उनकी यह कहानी सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। आज उनकी कंपनी करोड़ों का बिज़नेस कर रही है। जो उन लोगों के लिए मोटिवेशन (Motivation) है जो अपना खुद का बिज़नेस करना चाहते है।
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