कोरोना महामारी के कारण एक ओर जहां पूरी दुनिया में लॉकडाउन लग गया था, कई लोगों की नौकरियां चली गई थी, बिज़नेस बर्बाद हो गए थे तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने इस चुनौती भरे समय को अवसर में बदल कर अपनी सफलता की नई कहानी (Success Story) लिखी है। इन्हीं लोगों में से एक है नरेन सराफ। जिन्होंने नौकरी चले जाने के बाद भी हार नहीं मानी। खुद का रेस्टोरेंट शुरु कर आज यह लाखों की कमाई कर रहे हैं। लेकिन नरेन सराफ के लिए यह सब करना इतना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनकी कहानी।
नरेन सराफ जम्मू के रहने वाले हैं। 23 वर्षीय नरेन ने अपने होटल मैनेजमेंट का कोर्स पूरा कर एक अच्छी जगह नौकरी करने का सपना देखा था। वो ताज होटल में काम करना चाहते थे। होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान वे इंटर्नशिप के लिए जोधपुर के उमेद भवन गए थे। वहां उनके काम को काफी पसंद किया गया। वहां से उनकी प्रोफाइल बनाकर ताज होटल को भेज दी गई। उनका चयन भी हो गया था लेकिन तभी कोरोना महामारी के चलते पूरे विश्व में लॉकडाउन लग गया। भारत में भी लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद था। जिसके कारण नरेन सराफ की नौकरी भी बाकी लोगों की तरह चली गई। कहां नौकरी करने का ख्वाब नरेन ने देखा था और कहां कुछ और हो रहा था।
लेकिन नरेन ने इन सब के बाद भी हार नहीं मानी। लॉकडाउन के कारण नरेन सराफ के पास खाली समय था। घर में खाली बैठे रहते हुए उन्हें एक आइडिया कि क्यों ना अपने हुनर का प्रयोग घर में ही किया जाए। उन्होंने कुछ वेज और नॉन वेज रेसिपी बनाई और रिश्तेदारों को खिलाई। उनके बनाए खाने का टेस्ट लोगों को काफी पसंद आया। सभी उनके खाने की तारीफ करने लगे। बस फिर क्या था नरेन सराफ को अपनी मंजिल मिल गई। उन्होंने अपना रेस्टोरेंट खोलने का फैसला किया।
जिसके बाद नरेन सराफ ने 'आउट ऑफ द बॉक्स' नाम से रेस्टोरेंट की शुरुआत की। नरेन ने रेस्टोरेंट में खाना बनाने के दौरान सबसे ज्यादा फोकस खाने के टेस्ट पर रखा। क्योंकि उनका मानना है कि खाना लोगों के दिल तक पहुंचना चाहिए। जब लोगों का दिल खुश होगा तभी वो खाना खाने आएगें। जिसके बाद नरेन सराफ ने स्पेशल मेन्यू तैयार किया। जिसमें नॉर्थ इंडियन वेज- नॉन वेज, साउथ इंडियन, गाली स्टाइल फिश और कीमा राजमा जैसे फूड शामिल किए। नरेन ने युवाओं के लिए भी काबली कबाब और बर्गर बनाना शुरू किया जिससे युवा उनकी ओर आकर्षित होने लगे।
नरेन सराफ ने अपने इस रेस्टोरेंट की शुरूआत वर्ष 2020 में नवंबर महीने में की। पहले वो अपना खाना घरवालों और परिचितों को खिलाते थे लेकिन धीरे-धीरे सोशल मीडिया की मदद से वो अपना खाना दूर-दूर कर पहुंचाने लगे। वे अपने खाने का मेन्यू सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे। इस काम में उनके दोस्तों ने भी मदद की। इससे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी। नरेन अपने काम के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि उनके 80 फीसदी वही ग्राहक है जो पहली बार खाना आर्डर करने आए थे। जिसका यह अर्थ है कि उनके ग्राहकों को उनका खाना बहुत पसंद आया जिसकी वजह से वो बार-बार यहां आते हैं।
नरेन सराफ अब अपने खाने की होम डिलीवरी भी करते हैं। वो घर के किचन में ही खाना तैयार करते हैं। वो दो तरह से लोगों को खाना देते हैं एक टेक-अवे और दूसरी होम डिलीवरी। जिसका मतलब है कि आप या तो खाना घर ले जा सकते हैं या सराफ खुद आपके घर खाना पहुंचाएंगे। नरेन सराफ को हर रोज 8 से 10 ऑर्डर मिल जाते हैं। ज्यादातर उन्हें पूरे परिवार के खाने का आर्डर मिलता है। नरेन एक आर्डर के 1500-2000 रुपए तक एक लेते हैं।
नरेन सराफ ने तीन महीने पहले ही इस रेस्टोरेंट की शुरूआत की थी आज वो लाखों रुपय कमा रहे हैं। नरेन ने अपने सपने को ही अपना करियर बना लिया। खाना बनाने के शोक ने उनकी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। नरेन के हौसले और कभी ना हार मानने के जज्बे के साथ आज खुद की पहचान एक सफल बिज़नेसमैन के रुप में बनाई है। उनका एक आइडिया उनकी पहचान बन गया है। उनकी यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।
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