दुनिया में जब कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगा तो लाखों लोगों को अपने बिज़नेस और अपनी जॉब से हाथ धोना पड़ा। कई लोगों ने इस मुश्किल घड़ी में अपने हौसलें को खो दिया तो कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण समय को अवसर में बदल कर रख दिया। ये लोग आज ना केवल अपने दम पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो पाएं है बल्कि दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) बन गए हैं। ऐसी ही एक शख्सियत है पंकज नेरुरकर (Pankaj Nerurkar)। जिनका रेस्टोरेंट लॉकडाउन के कारण बंद हो गया था लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने खाना बनाने की कला का उपयोग करते हुए उन्होंने नैनो कार में फूड स्टॉल खोला जिसकी बदौलत आज वो लाखों कमा रहे हैं। आइए जानते हैं शेफ पंकज नेरुरकर की सफलता की कहानी (Success Story)।
पकंज नेरुरकर मुंबई के रहने वाले हैं। वो पिछले 20 वर्षों से बतौर शेफ कई बड़े होटलों में काम कर चुके हैं। वो पेशे से शेफ हैं। मुंबई के दादर में अपना “खड़पे” नाम का एक रेस्टोरेंट चलाते थे। जिससे उनके परिवार का खर्च चलता था। उनका रेस्टोरेंट मालवणी फूड के लिए बहुत फेमस था, परंतु लॉकडाउन की वज़ह से उन्हें अपना रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा था। रेस्टोरेंट बंद हो जाने की वज़ह से पंकज और उनके परिवार को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनका घर ख़र्च चलाना भी मुश्किल हो गया था। इसी बीच एक दिन उन्हें ख्याल आया कि क्यों ना अपनी नैनो कार से ही फूड बिज़नेस की शुरूआत की जाए। बस फिर किया था। पंकज ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस सपने को हकीकत बनाने का काम शुरू कर दिया।
पंकज ने अपनी पत्नी की मदद से घर में ही अलग-अलग फूड वैरायटी बनवाई और फिर उसे नैनो कार में ले जाकर बेचने लगे। उन्होंने अपने इस कार वाले रेस्टोरेंट का नाम ‘नैनो फूड’ (Nano Food) रखा। पंकज ने इस बिज़नेस की शुरूआत अक्टूबर में की थी। वो गिरगांव चौपाटी पर गाड़े खड़ी करते हैं और हर रोज़ 15 तरह के फूड आइटम बेचते हैं। वो हर दिन का अलग मैन्यू सेट करते हैं।
पंकज ने जब यह बिजनेस शुरू किया तो शुरूआत में उन्हें काफी दिक्कत आई। उनके पास कोई भी कस्टमर नहीं आता था। करीब 7 दिनों तक ऐसा ही होता रहा। जिसकी वजह से पंकंज ने निराश होकर मैन्यू लगाना भी बंद कर दिया। लेकिन पंकज ने इसे अपनी हार नहीं मानी और अपने काम को जारी रखा। धीरे-धीरे उनके पास 1-2 कस्टमर आने लगे। लोगों को उनके खाने का टेस्ट अच्छा लगा। जिसकी वजह से कस्टमर जुड़ने लगे।
पंकज के नैनो फूड का बिज़नेस चल पड़ा। जो खाना रेस्टोरेंट में लोगों को 300 रुपये का मिलता था उसे शेफ पंकज सिर्फ 100 रुपये में ही देते थे। जिससे कस्टमर उनकी ओर आकर्षित होने लगे। धीरे-धीरे पंकज ने वॉट्सऐप ग्रुप भी बना लिया। जिसकी वजह वो वहीं पर लोगों को रोज का मैन्यू सेंड कर दिया करते हैं। पंकज आज महीने के लाखों रुपये कमा रहे हैं। उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए 3 लोग भी रखे हुए हैं।
पंकज अपनी सफलता की कहानी (Success Story) बताते हुए कहते हैं कि उनका यही मकसद है कि वो ग्राहकों को टेस्टी फूड ही उपलब्ध कराए। कभी एक-एक ग्राहक के लिए तरसने वाले पंकज के पास आज ग्राहकों की लाईन लगी रहती है। पंकज वे कभी हार ना मानने के हौसले और अपनी मेहनत के दम पर अपनी नई पहचान बनाई है। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) बन गए हैं। शेफ पंकज ने नैनो फूड (Nano Food) का जो आईडिया निकाला और हिम्मत से उस पर अमल किया, उससे वे ऐसे दूसरे लोगों को प्रेरित (Motivation) भी कर रहे हैं।
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