एक वक्त था जब सोचा जाता था कि बस और ट्रक चलाने का काम केवल पुरुषों का ही है। केवल आदमी ही ट्रक चला सकते हैं। लेकिन इस बात को गलत साबित किया है योगिता रघुवंशी ने। योगिता देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर है जो लगभग 16 सालों से ट्रक चलाकर अपने 2 बच्चों का पालन पोषण कर रही है। योगिता रघुवंशी मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं। योगिता अब तक अपनी ट्रक ड्रविइंग के दौरान देश के आधे से ज्यादा राज्यों का रुख कर चुकी हैं। योगिता केवल एक ट्रक ड्राइवर ही नहीं बल्कि वो हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी और तेलुगू जैसी अन्य भाषाओं की बेहतर जानकार भी है। इन भाषाओं का ज्ञान योगिता को ड्राइविंग के दौरान ही हुआ।
ट्रक चलाना जोखिमों से भरा एक काम होता है । योगिता को ट्रक चलाने का ना तो कोई शौक था और ना ही उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कभी ट्रक चलाने के बारे में सोचा था। बल्कि योगिता एक पढ़े-लिखे परिवार से संबंध रखती हैं और उनके पास कॉमर्स और लॉ की डिग्री है। लेकिन घर के हालातों के कारण उन्हें इस पेशे को अपनाना पड़ा। एक ट्रक ड्राइवर को अक्सर घंटों तक ड्राइव करना होता है। इस काम में बहुत कम महिला ड्राइवर्स हैं, और यहां ज्यादातर आदमी ही काम करते हैं। लेकिन योगिता ने ट्रक ड्राइविंग करके इस बात को भी गलत साबित कर दिया है। 47 वर्षीय योगिता, 2 बच्चों की मां हैं। 2003 में योगिता के पति की आकस्मिक मौत हो गई थी जिसके बाद उन्होंने यह काम शुरु किया। 3 ट्रक और 2 बच्चों के साथ अकेली योगिता ने अपने पति का काम संभाला और ट्रक ड्राइविंग सीखी। बाद में उन्होंने ड्राइविंग की शुरुआत उन्हीं के एक ट्रक ड्राइवर की भरपाई के लिए शुरू की। योगिता बताती हैं कि कभी - कभी वो कुछ ऐसे सामान लेकर जाती थीं, जो जल्दी ही ख़राब हो सकते थे। ऐसे में योगिता रातभर जागकर ड्राइव करती। लंबा सफर तय करने पर उन्हें तेज नींद भी आती थी तो वो पास के फ्यूल पंप पर ही थोड़ी देर सो जाती थीं। योगिता ने जब पहली बार ट्रक चलाना शुरू किया तो उनके महिला ड्राइवर होने पर लोग उन्हें घूरते थे और साथ ही तरह-तरह की टिप्पणियां भी करते थे। तब योगिता ने मन ही मन ठान लिया चाहें लोग कुछ भी कहें, लेकिन अब ज़िन्दगी में पीछे मुड़ कर नहीं देखना। उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा है। वो 10 चक्कों वाला ट्रक चलाती हैं और अक्सर नाजुक सामान पहुंचाती है।
योगिता अपने इस काम के बारे में बताते हुए कहती हैं कि मुझे इस काम तक जरुरत लेकर आई है। मेरी बेटी 8 साल की थी और बेटा 4 साल का जब मेरे पति की मृत्यु एक सड़क हादसे में हो गई थी तब मुझे एहसास हुआ की उन्हें पढ़ाने के लिए मुझे काम करना होगा। मेरे पति एक वकील होने के साथ ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस भी करते थे। हमारे पास 3 ट्रेक थे। मैंने बिजनेस चलाने के लिए एक ड्राइवर और एक हेल्पर को रखा। 6 महीने के अन्दर ही मेरा ड्राईवर भाग गया। उसने हैदराबाद के पास ट्रक को एक खेत में घुसा दिया था, मैं एक मैकेनिक और मेरे हेल्पर के साथ वहां गयी, 4 दिन में गाड़ी को सही कराया और भोपाल वापस आ गयी। चार दिन घर पर मेरे बच्चे अकेले थे। मैंने ड्राइविंग सीखने की ठान ली थी। शुरू के कुछ सफर पर में हेल्पर को साथ लेकर जाती थी फिर जल्द ही मैं अकेले ट्रेवल करने लगी। योगिता को ट्रक ड्राइविंग के दौरान अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर कई दिनों तक बाहर रहना पड़ता था। योगिता चाहती थी कि उनके दोनों बच्चें ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करें इसलिए वो अपे बच्चों को छोड़कर कई-कई दिनों के लिए बाहर जाती थी। उन्होंने अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के ले खुद ड्राइविंग का काम करना शुरु किया।
भारत के सड़कों पर ट्रक चलाना कोई आसान काम नहीं है। योगिता रघुवंशी जैसी स्त्री को ऐसा कर के लीक से हटकर चलते हुए देखना हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। योगिता ने अपने हौसलों को दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी (Success Story) है। यदि आप भी योगिता रघुवंशी की तरह अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं एवं अपने करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप हमारी लाईफ टाईम मेंबरशिप कों ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको करियर और बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/life-time-membership?ref_code=ArticlesLeads पर Visit करें।