बिजनेस शुरू करने के लिए आपके पास नहीं है मोटी रकम? पैसों का इंतजाम करने के लिए आजमाएं ये उपाय
बूट स्ट्रैप (Boot Strap) क्या है? बूट स्ट्रैप का अर्थ है थोड़ा पैसा लगाएं, बचाएं, फिर लगाएं और बचाएं, जबकि दूसरा तरीका है बाजार से पैसा उठाएं. फ्लिपकार्ट, ओयो, ओला, उबर, जोमैटो, स्विगी जैसी दिग्गज कंपनियों ने ऐसे ही ग्रो किया है. हालांकि सभी वह मुकाम नहीं हासिल कर सकते है. लेकिन यहां एक बात और याद रखनी जरुरी है कि कभी भी सफलता रातों-रात नहीं मिलती है. ओयो के मुख्य कार्यकारी रितेश अग्रवाल को यहां तक पहुंचने में पांच साल लगे थे. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार लियोनेल मेसी (Lionel Messi) ने भी माना कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में 17 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा है. इस अर्टिकल के जरिये हम छोटी पूंजी को बढ़ाने और उसी से व्यवसाय का विस्तार करने का 10 फॉर्मूला बता रहे हैं.
1- दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कस्टमर है इन्वेस्टर (Custmer Is The Best Invester)
अगर आपके व्यवसाय में कुछ खास दम है, जो बर्निंग प्रॉब्लम को सॉल्व करती हो, जिसने कस्टमर की वह जरुरत पूरी कर दी हो जिसे कोई और नहीं पूरा कर सका हो तो आपकी पूंजी को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है. यहां तक कि आपको एडवांस भी मिलेगा और साथ में लोग काम करने के लिए भी तैयार होंगे. यहीं एडवांस आपके लिए इन्वेस्टमेंट की तरह काम करेगा और आपको कंपनी की हिस्सेदारी भी किसी को नहीं देनी पड़ेगी.
2- सेल्फ फंड एंड पर्सनल सेविंग (Self Fund & Personal Saving)
आप अगर पैसा लगाएंगे, तभी दूसरा भी वहां पैसा लगाएगा. ऐसा नहीं कि आप अपना पैसा नहीं लगा रहे हैं और इन्वेस्टर से उम्मीद रखते हैं. इन्वेस्टर भी देखता है कि किसने कितना पैसा लगाया है. अगर आप अपने व्यवसाय में पैसा लगाते हैं तो इन्वेस्टर भी आपके व्यवसाय में पैसा लगाता है. वैसे खुद का पैसा लगाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप इन्वेस्टर को पॉजिटिव मैसेज दे रहे हैं. वह आपके प्रति सकारात्मक हो जाता है. बूट स्ट्रैप को अपनाते हुए डी-मार्ट, एमडीएच, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक जैसों ने भी शुरु में खुद की पूंजी से काम शुरु किया था, ग्रो करने के बाद मार्केट से पैसा उठाना शुरु किया.
3- पियर टू पियर लेंडिंग (Peer to Peer lending) फ्रेंड्स एंड फैमिली
ये तरीका आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहा है. क्योंकि फ्रेंड्स एंड फैमिली में आपको न ब्याज देना पड़ता है ना ही कंपनी शेयर करने की जरूरत होती है. सबसे अच्छा तरीका यही है कि आपको अगर ज्यादा पैसा चाहिए और ज्यादा पैसा कोई नहीं दे पा रहा है, तो ऐसी स्थिति में फ्रेंड्स एंड फैमिली से थोड़ा-थोड़ा पैसा ले लें. ऐसा करने से आपको ब्याज भी नहीं देना पड़ेगा ना हिस्सेदारी और ना ही डॉक्यूमेंटेशन का झंझट रहेगा. आपको तुरंत पैसे मिल जाते हैं.
4- क्राउड फंडिंग (Crowd Funding)
इसे कहते हैं फाइनेंस फ्रॉम पब्लिक. फिल्मकार श्याम बेनेगल ने गुजरात के पांच लाख किसानों से 2-2 रुपये लेकर 10 लाख इकट्ठाकर 1976 में फिल्म मंथन बनाई थी. क्राउड फंडिंग में सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम पैसा होने के कारण कर्ज देने वाला आपको तंग नहीं करेंगे, इसमें एक फायदा यह होता है कि आपकी मार्केटिंग फ्री में हो जाती है. क्योंकि जिसने दो रुपये दिये, उसने 10 लोगों को बताया कि उसने पैसा दिया है, बढ़िया कंपनी है. अपने आप मार्केटिंग होने लगती है. क्राउड फंडिंग की भी वेबसाइट है जैसे- विशबेरी, इंडिगो गो, फ्यूल ए ड्रीम, फंडेबल, केटो, मिलाप इत्यादि हैं. भारत में अब क्राउड फंडिंग शुरु होने लगा है. इक्विटी बेस क्राउड फंडिंग का फायदा इसलिए है, क्योंकि आपको अपनी कंपनी में सभी को कंट्रोल करने की जहमत नहीं उठानी पड़ती और फंड भी मिला जाता है.
5- एंजेल इन्वेस्टमेंट (Angel Investment)
बिजनेस की शुरुआत में आपको थोड़ी पूंजी मिल जाती है. एंजेल इन्वेस्टमेंट उधार (Debt) भी देता है कभी-कभी ऑनरशिप की इक्विटी (Equity) भी दे देता है. डेब्ट का मतलब कर्जा और इक्विटी का मतलब हिस्सेदारी. कर्जे का अर्थ यह कि आपको सौ रुपये दिया और आप मुझे थोड़ा इंट्रेस्ट और 100 रुपये धीरे-धीरे देते रहिए. इक्विटी का मतलब मैंने आपको सौ रुपये दिया अब मुझे सौ रुपये नहीं चाहिए, लेकिन कंपनी में हिस्सेदारी चाहिए. आपका विश्वास मजबूत है, अगर आपके पास रेवेन्यू नहीं है, केवल आयडिया है, तो एंजेल इन्वेस्टमेंट बड़े काम आता है. एंजेल इन्वेस्टमेंट के लिए भी ऑनलाइन प्लेटफार्म होते हैं, जैसे- इंडियन एंजेल नेटवर्क, वेंचरकैटलिस्ट, चेन्नई एंजेल, मुंबई एंजेल, लीड एंजेल है ऐसे बहुत सारे नेटवर्क हैं. वहां से आप अच्छी रकम हासिल कर सकते है. बदले में कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी देनी पड़ेगी. यहां आपको तुरंत ब्याज देने की जरूरत नहीं है.
6-एक्सिलरेटर एंड इन्क्यूबेटर (Accelerator & Incubator)
आपके पास बिजनेस करने का बढ़िया आइडिया है, जिसे आप शुरु कर सकते हैं, मगर पैसे नहीं हैं. तो इन्क्युबेटर अपने ऑफिस में आपको जगह दे देते हैं, मेंटरशिप दे देते हैं, एडवाइस भी देते हैं, आर्थिक मदद भी देते हैं. साथ ही साथ अपने टेक्नॉलाजी के एक्सपर्ट से आपका वेबसाइट, ऐप बनवा देते हैं. यानि की हर तरह से ये आपके साथ जुड़ जाते हैं, बदले में ये आपकी कंपनी में हिस्सेदारी लेते हैं. बहुत से एक्सिलरेटर और इन्क्युबेटर हैं. वाय कॉम्बिनेटर (Y Combinator) जो दुनिया के सबसे अच्छे कॉम्बिनेटर में से एक हैं, जिसने ही एयरबीएनबी (airbnb) को उत्पन्न किया था.
7- वेंडर फाइनेंस/पर्चेज ऑर्डर फाइनेंस (Vender Finance/Purchase Order Finance)
पैसा बढ़ाने का यह भी अच्छा तरीका है. इसमें पैसे कमाने के कुल चार-पांच तरीके होते हैं. इस में इक्विटी इन्स्ट्रुमेंट और डेट्स इन्स्ट्रुमेंट भी शामिल है. मान लीजिये, आपको नया बिजनेस शुरु करना है लेकिन आपके पास पैसे नहीं हैं. आपको बिजनेस के लिए बड़ा मशीन, बड़ा उपकरण चाहिए, तो आप विक्रेता से कहेगे कि मशीन या उपकरण दे दो. अगर मशीन की कीमत एक करोड़ है, तो आप उसे बतायेंगे की आपकी कंपनी की वैल्यू पांच करोड़ है, आप उसे 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी देकर मशीन ले लेंगे, मशीन से आप पैसे कमाएंगे और कंपनी जब बड़ी हो जाएगी, तब उसे एक करोड़ के बजाय पांच करोड़ मिलेंगे. ये इक्विटी इन्स्ट्रुमेंट हो गया. इसी तरह डेट्स इन्स्ट्रुमेंट होता है. इसमें कस्टमर इनैब्लेमेंट प्रोसेस जैसे आप मेरे कस्टमर हैं, आपको मेरा कोर्स खरीदना है, मैं एक बैंक से मिलूंगा, उन्हे आपका परिचय देते हुए कहूंगा कि ये मेरा कोर्स खरीदना चाहते हैं, बैंक मेरी फीस के 36 हजार मुझे देगी और मैं उसे अपना कोर्स दे दूंगा. अब व उस कोर्स का इस्तेमाल करते हुए बैंक को थोड़ा-थोड़ा पैसा लौटाते जायेगा.
8- बिल डिस्काउंटिंग
यह भी बहुत अच्छा आयडिया है. मसलन मुझे किसी को माल बेचना है और मुझे बिल मिल गया. मैं वह बिल लेकर बैंक के पास जाउंगा, बैंक से बताउंगा कि मुझे ऑर्डर मिला है, मगर माल बनाने के लिए फंड नहीं है. तुम मुझे इसके एवज में फंड दे दो. बैंक बिल देखकर पैसे दे देती है. इसका एक फायदा ये होता है कि कस्टमर को आराम से पेमेंट मिल जाती है, बिजनेसमैन का माल भी बिक जाता है और फाइनेंसर को कमाई का तरीका भी मिल जाता है. यहां न आपको हिस्सेदारी बेचनी है, न कर्जा लेना है.
9- वेंचर कैपिटल एंड वेंचर डेब्ट (Venture Capital & Venture Debt)
अब आपका बिजनेस बड़ा हो गया है, आपको दो-चार नहीं पंद्रह-बीस-पचास करोड़ रुपये चाहिए. इसमें वेंचर कैपिटल की जरुरत पड़ती है. ये आपकी कंपनी में हिस्सेदारी लेते है और आपको और बड़ा व्यवसायी बनाते है ताकि उनकी हिस्सेदारी भी बढ़े. यानी सामने वाले ने जो दस करोड़ आपके व्यवसाय में लगाया है, तो उसकी कोशिश होगी कि आपकी कंपनी इतनी बड़ी हो जाये कि यह दस करोड़ की हिस्सेदारी पचास करोड़ की हो जाये. तो वह आपको बिजनेस बढ़ाने में हर तरह से मदद करता है. ऐसे कुछ वेंचर हैं, मसलन एस्सेल ग्रुप, नेक्सस ग्रुप, क्रेस्ट वेंचर्स, मैट्रिक्स, नेस्पर्स इत्यादि. ये आपके बिजनेस को समझते हैं और तुरंत फाइनेंस करने के लिए तैयार हो जाते हैं. इन्हें न कोई गारंटी चाहिए,न प्रॉपर्टी चाहिए, इन्हें यह विश्वास होता है कि आप काम में सफल होंगे. बस इसी विश्वास पर वह आपको पैसा देने के लिए तैयार हो जाते हैं.
10- आईपीओ (Initial Public Offering)
अगर आप पांच या दस करोड़ का काम करते हैं, तब भी आप स्टॉक एक्सचेंज पर आ सकते हैं, एक करोड़ का काम करते हैं तब भी. बशर्ते आपकी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के साथ दो साल पुरानी होनी जरुरी है. उदाहरण के लिए डी-मार्ट को देखिये, साल 2017 में डी-मार्ट आईपीओ लाया था, आज वह एक लाख करोड़ से ऊपर की कंपनी बन चुका है. तब से डी-मार्ट करीब पांच गुना बढ़ा है.