दुनिया का बढ़िया से बढ़िया इन्वेस्टमेंट भी बेकार साबित हो सकता है. लेकिन ये इन्वेस्टमेंट अगर अपने ब्रेन पर की जाये तो एक बहुत बड़ा गेम आप खेल सकते हैं. दुनिया के बड़े से बड़े अरबपति भी कैश इन्वेस्टमेंट करने मात्र से अरबपति नहीं बने, वे अपनी ब्रेन का इस्तेमाल करने के बाद ही अरबपति बने हैं. यहां हम आपसे इन्वेस्टमेंट के दो अलग-अलग फोर्मुले पर बात करने जा रहे है. जानिये आपके लिये कौन सा इन्वेस्टमेंट फार्मूला बेस्ट रहेगा और आपको आसमान की ऊंचाइयों तक ग्रो कर सकता है. 5 Small Investment Business for Women: महिलाएं इन 5 बिज़नेस आइडियाज पर करेंगी काम तो जरूर बनेंगी सफल व्यवसायी

कंपाउंडिंग मुद्रास्फीति (Compounding Inflation)

पहले हम कंपाउंडिंग ग्रोथ पर बात करेंगे. यह वास्तव में एक राक्षस जैसा है, जो आपके धन को निरंतर खाता रहता है, और आपको पता नहीं चलता. वस्तुतः आपका सेविंग अकाउंट सेविंग नहीं शेविंग (SHAVING) अकाउंट साबित होता है. इसके बारे में बहुतों को समझ नहीं है. या समझ कर भी वे भूल जाते हैं. इसलिए आइये पहले जानते हैं कि कंपाउंडिंग इन्फ्लेशन है क्या? सर आइंस्टाइन ने इसके बारे कहा था कि ‘यह आठवां अजूबा है.’ मूल पर लगता है ब्याज और मूल के ब्याज पर जब लगता है ब्याज और मूल के ब्याज के ब्याज में जब मिलकर लगता है तो वह चक्रवृद्धि ब्याज हो जाता है. यह होता है कम्पाउंडिग इम्पैक्ट, यानी आपके पैसे की बाइंग परचेजिंग क्षमता घटती जाती है. एक अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने बताया था कि Inflation is Taxation without Legislation (महंगाई कानून के दायरे के बाहर का कराधान है) लेजिस्लेशन की जरूरत पड़ती है आपसे टैक्स वसूलने के लिए. लेकिन इन्फ्लेशन ऐसी चीज है, जिसमें सरकार की जरूरत नहीं होती, यही है जो आपके पैसे की कीमत को कमतर करता जाता है. यानी आपके पैसे में जो पैसा था, उसकी कीमत रोज कम हो रही है. उदाहरण के लिए सन 2000 में जो विद्यार्थी एमबीए करते थे, उस समय एमबीए की कॉलेज की एवरेज फीस दो साल के दो लाख रूपये होती थी, लेकिन एवरेज पैकेज तीन लाख होता था, इतने सालों बाद एमबीए की फीस 20 लाख रूपये हो गयी है, लेकिन एवरेज पैकेज हो गये नौ लाख रूपये. यानी कॉस्ट ऑफ एजुकेशन तो 2 लाख से 20 लाख तक यानी 10 गुना बढ़ गई, लेकिन कॉस्ट ऑफ अर्निंग तीन लाख से 3 गुना ज्यादा 9 लाख हो गयी. यानी कॉस्ट ऑफ एजुकेशन 10 गुना बढ़ी लेकिन रिटर्न सिर्फ 3 गुना बढ़ गई. इसे ही इन्फ्लेशन कहते हैं. अब आप स्वयं आकलन करिये कि सफल लोग सफल कैसे होते हैं? अगर आपकी फिक्स या स्लो ग्रोविंग इनकम है, या आपकी सैलरी फिक्स्ड है तो हर साल आप अनजाने में पिछड़ते जाते हैं.

उदाहरण के लिए आपने 2004 में 100 रुपये इन्वेस्ट किये तो 2014 के अंदर 259 रूपये 37 पैसे हो जायेंगे. लेकिन वह एक नॉमिनल रिर्टन है, आप देखें कि टैक्स कटने के बाद जो पोस्ट टैक्स रिटर्न होगा वो 196 रुपये 72 पैसे का होगा. लेकिन पोस्ट टैक्स जो रिटर्न होता है, वो असली रिटर्न नहीं होता. असली रिटर्न नॉमिनल के बाद पोस्ट टैक्स और उसके बाद पोस्ट इन्फ्लेशन होता है. इसके बाद बचा हुआ रिटर्न होगा 117 रू 20 पैसे. यानी आपने 2004 में जो 100 रुपये लगाये थे, 2014 में आपको 117 रुपये 20 पैसे मिले. एक्चुअली देखा जाये तो आपका रिर्टन है ही नहीं. बल्कि सारे इन्वेस्टर आपको नॉमिनल रिर्टन दिखा-दिखा कर आपका पैसा खींच रहे हैं. पोस्ट टैक्स के बाद जो एक्चुअल रिटर्न मिलता है वह तो कुछ था ही नहीं, क्योंकि आपको इन्फलेशन का प्राइज चेंजिंग आपकी बाइंग कैपसिटी घटती गई.

जानिये कौन है आपका शत्रु!

अब जानिये कि आप ग्रो क्यों नहीं कर पाये. उसका मुख्य कारण है कि आपकी तनख्वाह नहीं बढ़ी मगर इन्फ्लेशन बढ़ता गया. सैलरी 10 प्रतिशत बढ़ी, इन्फ्लेंशन 8.5 प्रतिशत, आपकी ग्रोथ लगभग ना के बराबर. इस तरह स्पष्ट हो जाता है कि कम्पाउंडिंग इन्फ्लेशन एक वेतनभोगी का बहुत बड़ा शत्रु है.

कंपाउंडिंग ग्रोथ (Compounding Growth)

अगर आप कंपाउंडिंग रूप से ग्रो करते चले गये तो इन्फ्लेशन बहुत छोटा रह जायेगा. अब जानिये कि कंपांउंडिंग ग्रोथ क्या है. यहां हम प्रमोशन का उदाहरण ले सकते हैं. अगर टर्न बाय टर्न आप प्रमोशन पाते हैं तो धीरे-धीरे टर्न आनी बंद हो जाती है. आर्मी में भी ऐसा ही होता है. आप बतौर लेफ्टिनेंट ज्वाइन करते हैं और सारे के सारे प्रोमोट होते जाते हैं, तो आर्मी के जो एक जनरल होते हैं, पूरे देश में उनकी संख्या हजारों में हो जायेगी. लेकिन वे एक ही होते हैं. आपकी कंपाउंडिंग ग्रोथ नहीं होती है तो आप नीचे रह जायेंगे. आपकी सैलरी में 10 से 12 प्रतिशत वृद्धि हो पाती है, ऐसे में उसका सारा पैसा इन्फ्लेशन में चला जाता है, फिर उसकी ग्रोथ क्या होगी. आज 95 फीसदी हिंदुस्तान एक ही जगह स्थिर है. यही वजह है कि अमीर आदमी और अमीर हो रहा है और गरीब गरीब रह जा रहा है. इसके विपरीत आप कंपाउंडिंग ग्रोथ से ऊपर जाते हैं और दो-चार लंबी जंप ले लेते हैं. जितने लोग ऊपर गये, वे टर्न बाय टर्न प्रोमोशन से नहीं गये, आउट ऑफ टर्न प्रोमोशन से ऊपर गये, क्योंकि उन्होंने अपनी ग्रोथ पर इन्वेस्ट किया. आज टाटा, बिड़ला, अंबानी, अडानी जितने भी अरबपति हैं, इन्होंने पैसे मार्केट में इन्वेस्ट करके अपने धंधे में इन्वेस्ट करके और अपने ब्रेन पर इन्वेस्ट करके आगे बढ़े हैं, ब्रेन आपको बहुत बड़ा गेन देता है, कैश तो कई बार क्रैश कर सकता है.

निचली श्रेणी के अधिकांश लोग कैश का इन्वेस्ट करते हैं, इन्श्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, इक्विटी में डालते हैं, प्रॉपर्टी में डालते हैं, गोल्ड में डालते हैं, लेकिन ये एक सीमा से आगे ग्रो नहीं कर पाते. निचली श्रेणी वालों पर यह कहावत लोकप्रिय है ‘एक बार पंच, एक बार लंच और लाइफ है टंच’ जबकि ऊपरी श्रेणी के लोग खुद पर इन्वेस्ट करते हैं. इनकी सफलता का यही राज है. ये बहुत तेज भागते हैं, ध्यान रखिये कैश पर इऩ्वेस्टमेंट का ग्रोथ मार्केट पर निर्भर करता है, लेकिन ब्रेन पर इन्वेस्ट करेंगे तो यह आपकी च्वाइस पर डिपेंड करेगा. आप जितना चाहेंगे उतना ग्रो कर जायेंगे, लेकिन कैश के मामले में चूंकि आप मार्केट पर निर्भर करेंगे, इसलिए आप मनचाहा उड़ान नहीं भर सकते. दुनिया के जितने भी अरबपति हैं, उन्होंने कभी भी बैंकों में एफडी रखकर ग्रो नहीं किया, बल्कि बैंक से पैसा लेकर ग्रो किये, जो आपने एफडी के लिए रखा. वे अरबपति आपके पैसों से बने हैं, आप तो बस एफडी के ब्याज के मोह में फंसकर रह गये.