क्या आपने कभी सुना है कि किसी प्रोडक्ट को किसी ब्रांड के नाम से ही पहचाना जाता है, जैसे आज कई लोग नूडल्स के लिए मैगी ही माँगते हैं। चाहे वो फिर किसी भी ब्रांड की हो। लेकिन सच्चाई यह है कि मैगी नेस्ले कंपनी का एक प्रोडक्ट है। लेकिन उसने इस प्रोडक्ट की ब्रांडिंग इतनी अच्छी की है कि नूडल्स मांगने वाले लोग भी आम बोलचाल में मैगी शब्द का इस्तेमाल करने लगे हैं।

दरअसल, जब भी कोई प्रोडक्ट बनाया जाता है, तो हर कंपनी अपने उस प्रोडक्ट की ब्रांडिंग करती है। आज जानिये क्या है ब्रांड बिल्डिंग और इसके लाभ किन स्टेजेस को अपनाकर आप अपने बिज़नेस की ब्रांडिंग कर सकते हैं -

क्या है ब्रांड बिल्डिंग?

ब्रांड बिल्डिंग के द्वारा कंपनी अपने प्रोडक्ट की यूनिक इमेज बनाती है। इसके अंतर्गत कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विस को प्रमोट और उसकी अवेयरनेस क्रिएट करती है। ब्रांड बिल्डिंग के द्वारा कम्पनियां अपने मौजूदा कस्टमर्स को और इच्छित कस्टमर्स तक पहुँच बनाना है। डिज़ाइन, प्रोडक्ट की पैकेजिंग, एडवर्टाइजमेंट आदि मिलकर ही किसी प्रोडक्ट को एक ब्रांड बनाते हैं।

क्या है ब्रांड बिल्डिंग का महत्व?

कस्टमर पर किसी भी कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस का प्रभाव ब्रांडिंग की वजह से ही पड़ता है। जानिये क्या है इसका महत्व –

  1. विश्वास बनाता है :

    एक अच्छी ब्रांड बिल्डिंग के द्वारा ही मार्केट में बिज़नेस के  ट्रस्ट बनता है। जिस कंपनी की ब्रांडिंग अच्छी होती है, वर्तमान ग्राहक और भावी ग्राहक सहित अन्य लोगों जैसे इन्वेस्टर्स आदि में भी विश्वास पैदा होता है।

  2. बिज़नेस में बढ़ोतरी :

    जो कंपनी अपनी ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान देती है। उसमें लोगों का भरोसा बनता है और उसके बिज़नेस में दूसरी कम्पनियों के मुकाबले ज्यादा बढ़ोतरी होती है।

  3. कर्मचारियों का विश्वास भी बढ़ता है :

    जब कोई कर्मचारी किसी ब्रांडेड कंपनी में काम करता है, तो वह कर्मचारी उस कंपनी के प्रति लॉयल रहते हैं और गर्व के साथ उस कंपनी के लिए काम करते हैं।

बिज़नेस की ब्रांडिंग की स्टेजेस.

एक अच्छी ब्रांडिंग के लिए सिर्फ एक अच्छी प्लानिंग की ज़रूरत होती है, जिसके द्वारा हम हमारे कस्टमर्स को पहचानें और साथ ही अपने कॉम्पिटिटर्स को पहचानना, मार्केट रिसर्च आदि कई चीज़ें शामिल होती है। जानिये एक सफल ब्रांडिंग के चरण –

  1. टार्गेटेड ऑडियंस को निर्धारित करना :

    इसमें सबसे पहले आपको अपनी टार्गेटेड ऑडियंस को पहचानना होगा। आपको मार्केट की रिसर्च करके अपने प्रोडक्ट या सर्विस के अनुसार अपने कस्टमर्स की पहचान करनी होगी। इसके साथ ही आपको कस्टमर्स की डेमोग्राफी, इंटरेस्ट और बिहेवियर का भी ध्यान रखना होगा। इन सब के साथ ही आपका कस्टमर आपके प्रोडक्ट से क्या चाहता है, उसके आधार पर ही आपको अपनी कैंपेन बनाने होगी।

  2. ब्रांड का मिशन तय करें :

    इसके साथ ही आपको अपनी टार्गेटेड ऑडियंस के हिसाब से विज़न और वैल्यूज़, ब्रांड लोगो, डिज़ाइन सभी में आपके ब्रांड का मिशन झलकना चाहिए और कस्टमर्स को यह समझ आ जाना चाहिए कि आपने अपना बिज़नेस क्यों शुरू किया है और आपका लक्ष्य क्या है।

  3. अपने प्रतियोगियों की रिसर्च करना :

    आपको अपने मार्केट को समझकर इसके बड़े प्लेयर्स मतलब अपने कॉम्पिटिटर्स को स्टडी करना होगा। इसमें आपको देखना होगा कि आपके कॉम्पिटिटर्स किन तरीकों से मार्केटिंग कर रहे हैं, वो कस्टमर्स को क्या ऑफर दे रहे हैं। इसके बाद आपको यह तय करना होगा कि आप इनसे कैसे डिफरेंट हो सकते हैं।

  4. ब्रांड की गाइडलाइन तय करना :

    इसके बाद आपको अपने ब्रांड की गाइडलाइन तय करनी होगी। यह गाइडलाइन आपके ब्रांड के लोगो, वेबसाइट, डिज़ाइन, वीडियोस सभी में यह दिखाई देनी चाहिए।

  5. मार्केटिंग करना :

    अब समय आता है अपने ब्रांड की मार्केटिंग करना। इसके लिए एक अच्छी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाइये और ईमेल, वेब, सोशल मीडिया, एफिलिएट मार्केटिंग का इस्तेमाल कीजिये।

इन सभी तरीकों को अपनाकर आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस की अच्छे से ब्रांडिंग कर सकते हैं और कस्टमर्स के सामने एक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत हो सकते हैं।


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