नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) भारत सरकार की सूक्ष्म और लघु उद्यमियों को वहन योग्य शर्तों पर ऋण देने की प्रमुख योजना है. माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रिफाईनेंस एजेंसी (मुद्रा) बैंक की घोषणा 2015 के बजट में की गई है जिसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का कोष निर्धारित किया गया है और इसमें 3,000 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी राशि की घोषणा की गई है. मु्द्रा बैंक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिए सूक्ष्‍म वित्‍त संस्‍थानों का पुनर्वित्‍तीयन करेगा.

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना एमएसएमई से संबंधित कई उपायों में से एक उपाय को लागू करने के लिए है, जिनकी घोषणा ‘आत्‍मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत की गई है. इसका उदेश्य युवाओं, शिक्षित अथवा कौशल प्राप्‍त श्रमिकों का आत्‍मविश्‍वास बढाकर उद्यमी बनने की दिशा में मोड़ना है. साथ ही लघु उद्यमियों को गतिविधियों का विस्‍तार करने का मौका प्रदान करना है. कर्ज देते समय अनुसूचित जाति/जनजाति उद्ममों को प्राथमिकता दी जाती है.

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत तीन तरह के ऋण दिए जाते है- पहला शिशु ऋण- 50,000 तक का लोन, दूसरा किशोर ऋण- 50,000 से 5,00,000 तक का लोन और तीसरा तरुण ऋण- 5,00,000 से 10,00,000 तक का लोन दिया जाता है. हालांकि इस पर ब्याज दर फिक्स नहीं हैं. विभिन्न बैंक मुद्रा लोन के लिए अलग ब्याज दर वसूलते हैं. आम तौर पर न्यूनतम ब्याज दर 12 फीसदी होता है.

कोरोना वायरस से उत्पन्न आर्थिक हालात को देखते हुए जून महीने में पीएमएमवाई के तहत सभी शिशु ऋण खातों पर 12 माह की अवधि के लिए 2% की ब्याज सब्सिडी देने की योजना को मंजूरी दी गई. पीएमएमवाई के तहत आय सृजन गतिविधियों के लिए दिए जाने वाले 50,000 रुपये तक के ऋणों को ‘शिशु ऋण’ कहा जाता है. पीएमएमवाई ऋण दरअसल सदस्य उधारदाता संस्थानों जैसे कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और मुद्रा लिमिटेड में पंजीकृत माइक्रो फाइनेंस संस्थानों द्वारा दिए जाते हैं.