नई दिल्ली: स्टार्टअप्स को कोविड-19 से हुए नुकसान से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने आम बजट में कई सराहनीय घोषणाएं की है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव डॉ गुरुप्रसाद महापात्रा ने बताया कि 2021-22 के बजट में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाए गए हैं. Startup Tips: इन 4 वजहों से एक साल में ही फेल हो जाते है अधिकांश नए स्टार्टअप्स, जानिए उपाय

बजट पर आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि वन पर्सन कंपनियों (ओपीसी) यानी एक व्यक्ति वाली कंपनी को प्रोत्साहित करने वाले कदमों को शामिल करने से देश में स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स को सीधा फायदा मिलेगा. ओपीसी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कंपनी गठन कानून में संशोधन किया जा रहा है. इसके तहत ओपीसी के लिए चुकता पूंजी और टर्नओवर की बाध्यता हटा दी गई है. इसके अलावा ओपीसी कंपनियों को किसी भी समय दूसरी तरह की कंपनियों में परिवर्तित करने की भी छूट मिलेगी.

इसके अलावा एक भारतीय नागरिक के लिए अब ओपीसी कंपनी के गठन के लिए देश में निवास की अनिवार्यता 182 दिनों से घटाकर 120 दिन कर दी गई है. इसके अलावा अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को भी भारत में ओपीसी खोलने की अनुमति दी गई है.

उन्होंने कहा कि नए संशोधन एक अप्रैल 2021 से प्रभावी होंगे. अभी तक एनआरआई को ओपीसी खोलने की अनुमति नहीं थी. अब कोई भी व्यक्ति, जो एक भारतीय नागरिक है, चाहे वह भारत में निवासी हो या अनिवासी हो उसे ओपीसी बनाने की अनुमति होगी. भारत में निवासी माने जाने वाले अनिवासी भारतीयों के लिए निवास की अनिवार्यता को भी 182 दिनों से घटाकर 120 दिन कर दिया गया है. इससे विदेश में रहने वाले कई भारतीयों को भारत में कारोबार स्थापित करने में मदद मिलेगी.

डीपीआईआईटी सचिव ने कहा कि ओपीसी कंपनी को पब्लिक या प्राइवेट कंपनी में परिवर्तित के लिए अभी तक 2 साल काम करने का  प्रावधान था. जिसे अब खत्म कर दिया गया है. अब कोई भी ओपीसी कंपनी कभी भी अपने को पब्लिक या प्राइवेट कंपनी में परिवर्तित कर सकेगी. यह कदम स्टार्टअप के लिए व्यापार करना आसान करेगा और उनके बिजनेस बढ़ाने में काफी मदद करेगा. इसी तरह, चुकता पूंजी और टर्नओवर की सीमा को खत्म कर दिया गया है. वर्तमान में ओपीसी के लिए पचास लाख रुपये की चुकता पूंजी और दो करोड़ रुपये के औसत वार्षिक टर्नओवर का प्रावधान है.

स्टार्टअप्स के लिए कर लाभों के बारे में बोलते हुए, उन्होंने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 80-आईएसी के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार कोई भी स्टार्टअप अपने काम करने के दस वर्षों में से तीन साल के लिए मुनाफे और लाभ पर आयकर छूट ले सकता है. इसके तहत स्टार्टअप का एक अप्रैल, 2016 से एक अप्रैल 2021 के बीच गठन होना चाहिए. बजट में इस सुविधा को 31 मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

इसी तरह धारा-54जीबी के तहत लंबी अवधि वाली संपत्तियों पर मिलने कैपिटल गेन पर, कर छूट को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया है. अभी यह सुविधा 31 मार्च 2021 तक ही उपलब्ध थी. यह प्रावधान भारत के स्टार्टअप और देश में स्टार्टअप के विकास में मदद करेंगे  बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष स्टार्टअप का गठन कर रहे हैं. मेट्रो शहरों के अलावा, स्टार्टअप भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में उभर रहे हैं. उपरोक्त घोषणाओं से उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा.

स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम के बारे में उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना को बनाने पर सरकार विचार कर रही है. इस का उद्देश्य कर्ज संबंधी जरूरतों के लिए एक तय सीमा तक कर्ज की गारंटी प्रदान करना है. योग्य स्टार्टअप को क्रेडिट गारंटी देने के लिए मेंबर लेंडिंग इंस्टीट्यूशन को भी शामिल कर लिया गया है. स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना 2000 करोड़ रुपये के कोष के साथ की जाएगी. इसका लाभ  डीआईपीपी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ले सकेंगे. जिन्हें बैंकों, एनबीएफसी और एआईएफ से 10 करोड़ रुपये तक के कर्ज की गारंटी मिलेगी.

क्रेडिट गारंटी फंड योजना का प्रबंधन नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा किया जाएगा. जो कि क्रेडिट गारंटी फंड के ट्रस्टी  के रूप में काम करेगा. इसके जरिए करीब 3000 स्टार्टअप को 15000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी दी जाएगी. जिसके तहत औसतन प्रति स्टार्टअप को 5 करोड़ रुपये की कर्ज गारंटी मिलेगी.

सचिव ने कहा कि क्रेडिट गारंटी फंड योजना के तहत कर्ज पर दी जाने वाली गारंटी से उम्मीद है कि वित्तीय संस्थाएं स्टार्टअप को कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित होगी. इसके जरिए स्टार्टअप के लिए पूंजी की उपलब्धता में बढ़ोतरी होगी. देश में इन्नोवेशन, आंत्रेप्रेन्योरशिप को बढ़ावा मिलेगा.