स्टार्टअप बिजनेस (Startup Business) समय की मांग बन चुके हैं और भारत में स्टार्टअप बिजनेस आइडियाज़ पर आंत्रप्रेन्योर बड़ी गंभीरता के साथ काम कर रहे हैं. इकॉनोमी की ग्रोथ में स्टार्टअप बिजनेस अहम रोल अदा करते हैं. इसी वजह से भारत में एमएसएमई स्टार्टअप (MSME Startup in India) को बहुत सी महत्वपूर्ण स्कीमों का सहारा दिया जा रहा है.
स्टार्टअप बिजनेस में बिजनेस प्लानिंग के साथ ही व्यवसाय के लिए जुटायी जाने वाली फंडिंग भी जरूरी होती है, जिसे सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ एमएसएमई स्कीमों (MSME Scheme For Startup Business) के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. चलिए उन स्कीमों के बारे में जिक्र करते हैं, जिनका लाभ कोई भी आंत्रप्रेन्योर अपने स्टार्टअप बिजनेस को शुरू करने के लिए उठा सकता है.
1. क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट स्कीम (Credit Guarantee Fund Trust for Micro & Small Enterprise)
अपने स्टार्टअप बिजनेस की शुरुआत के सपने देखने वाले आंत्रप्रेन्योर के लिए यह स्कीम किसी वरदान से कम नहीं है. एमएसएमई स्टार्टअप बिजनेस स्कीमों की लिस्ट में यह भी बेहतरीन स्कीम में से एक है. इस स्कीम को एमएसएमई मंत्रालय के द्वारा शुरू किया गया है और उसी के द्वारा इसे संचालित किया जाता है. इस स्कीम के माध्यम से आंत्रप्रेन्योर 1 करोड़ तक की फंडिंग पा सकता है. अब जब आंत्रप्रेन्योर को इतनी बड़ी मात्रा में फंड मिलता है तो वह बड़ी ही आसानी से अपने एमएसएमई स्टार्टअप आइडियाज़ (MSME Startup Ideas) पर काम कर सकता है.
2. मुद्रा योजना (Mudra Scheme)
स्टार्टअप का विचार करने वाले युवा आंत्रप्रेन्योर के लिए सरकार की यह एमएसएमई स्कीम भी अच्छा अवसर उपलब्ध कराती है. इस योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है. जिनका नाम, किशोर, तरुण और शिशु है. शिशु कैटेगिरी में 50 हजार तक की मदद व्यापारी अपने व्यापार को शुरू करने के लिए पा सकता है. किशोर कैटेगिरी में 5 लाख की फंडिंग आंत्रप्रेन्योर मदद के रूप में पा सकता है और तरुण कैटेगिरी में 10 लाख तक की रकम कारोबारी प्राप्त कर सकता है. इस योजना को भी एमएसएमई स्टार्टअप बिजनेस के दृष्टिकोण से बेहतरीन योजना माना जाता है. बस आपके पास अच्छा बिजनेस प्लान जरूर होना चाहिए.
3. स्टैंडअप इंडिया स्कीम (Stand-up India Scheme)
स्टैंडअप इंडिया स्कीम, स्टार्टअप इंडिया स्कीमों से थोड़ी अलग स्कीम है. यह देश के ऐसे लोगों को व्यवसायिक तौर पर बढ़ावा देने का काम करती है, जो माईनोरिटी यानि की पिछड़े तबके से आते हैं. जैसे की एससी (SC), एसटी (ST) या फिर महिलाओं को विकसित और व्यापारिक जगत में उन्हें आगे बढ़ाने के लिए यह योजना मदद करती है. इसलिए यह स्कीम बाकी की स्कीमों से अलग है. स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत मिलने वाली लोन की राशि 10 लाख से एक करोड़ की हो सकती है. लोन पर दी जाने वाली ब्याज दर 3 प्रतिशत है और कुछ मामलों में छूट का प्रावधान भी है. अगर स्टार्टअप की शुरुआत पहली बार की जाती है तो बिजनेस की शुरुआत में आने वाली 75% लागत इस योजना के अंतर्गत आती है.
4. बैंक क्रेडिट सुविधा योजना (Bank Credit Suvidha Yojana)
स्टार्टअप बिजनेस को इस योजना का भी बेहतरीन लाभ मिलता है. इस योजना के अंतर्गत एमएसएमई स्टार्टअप की लोन की जरूरतों को पूरा किया जाता ताकि वह अपने व्यवसायिक लक्ष्यों को पूरा कर सके और सफलता पा सके. इस योजना का संचालन राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम द्वारा किया जाता है और किसी भी राष्ट्रीय और निजी क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से इस योजना से जुड़ा जा सकता है. आंत्रप्रेन्योर के बीच इस योजना का भी अच्छा खासा रूझान है.
5. कोलेट्रल फ्री लोन योजना (Collateral-free Loan)
छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप बिजनेस के लिए यह योजना भी बेहतरीन योजनाओं में से एक हैं जो व्यापार को गति देने और उसे आगे बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करती है. इस योजना के तहत मिलने वाले लोन के लिए आपको किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी या गारंटी की आवश्यकता नहीं होती है. कोलेट्रल योजना की इस खास बात के लिए ही इस योजना को कवच योजना के नाम से भी जाना जाता है. इसमें व्यापारी या व्यक्ति को 45 लाख तक की लोन राशि दी जाती है. ब्याज दरें मार्केट रेट के आधार पर या बैंक की ब्याज दरों के अनुसार होती हैं. साथ ही इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले लोन को चार साल तक की समय सीमा में चुकाया जा सकता है.
एमएसएमई स्टार्टअप बिजनेस का भारत में काफी अच्छा भविष्य है क्योंकि व्यापारियों को सरकार द्वारा संचालित कई एमएसएमई स्कीमों का लाभ दिया जा रहा है. इसीलिए एमएसएमई सेक्टर या स्टार्टअप बिजनेस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कोई भी व्यापारी अपने स्टार्टअप बिजनेस की शुरुआत इन स्कीमों के माध्यम से कर सकता है.
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