फिल्म थ्री-इडियट्स का एक प्रसिद्ध डायलॉग ‘सफलता के पीछे मत भागो, काबिल बनों, सफलता जरुर मिलेगी’ और इस बात को सच कर दिखाया है श्रीधर वेम्बू ने। जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर आज वो मुकाम  हासिल किया है जिसकी वजह से वो पैसे के पीछे नहीं भागते बल्कि पैसा उनके पीछे भागता है। दुनिया में हमेशा दो तरह के लोग होते हैं, एक- जो अच्छे अंकों के पीछे भागते हैं और अच्छी नौकरी करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं और दूसरे वो, जो ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए दोड़ते हैं। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट (Software Development) कंपनी जोहो कॉर्प (Zoho Corp)के फाउंडर  श्रीधर वेम्बू  उन्ही में से एक हैं। जिन्होंने अमेरिका में अपनी कंपनी चलाने के बाद भी तमिलनाडु के एक गांव में स्कूल खोला।

चेन्नई में जन्में श्रीधर वेम्बू का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने तमिल भाषा में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। वो पढ़ाई में शुरु से ही तेज थे जिसकी वजह से IIT मद्रास में उनका दाखिला हो गया और उन्होंने वहां से ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की। वैसे तो वो इलेक्ट्रॉनिक फील्ड में करियर बनाना चाहते थे लेकिन उन्होने कंप्यूटर साइंस में करियर बनाया। उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश का रुख किया। जिसके चलते वर्ष 1989 में श्रीधर वेम्बू ने Princeton University  से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की। Ph.D करने के दौरान उन्होंने पॉलिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स पर काफी ज्यादा ध्यान दिया, तब उन्हें एहसास हुआ कि भारत में अभी भी सोशलिज्म सबसे बड़ी समस्या है और इसे सही करने की जरुरत है। श्रीधर वेम्बू  ने पीएचडी करने के बाद सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की लगभग 2 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया।

पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने भाई के साथ श्रीधर भारत लोट आए और उन्होंने अपने एंटरप्रेनरशिप (Entrepreneurship) की शुरुआत एक सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट से की। कड़ी मेहनत के बाद यहां उनके 100 से अधिक ग्राहक बन गए। लेकिन वर्ष 2000 में Y2K  वायरस की वजह से टेक्नोलॉजी में भारी बदलाव आ गया। जिसके बाद उन्होंने कुछ नया करने का सोचा। अपनी इसी सोच को साकार करते हुए उन्होने अपने नए ऑफिस सुईट जोहो(Zoho)  को लांच किया। इसमें उस समय तक सेल्सफोर्स की कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और गूगल डॉक्स (Google Docs) का ही बोलबाला था। लेकिन श्रीधर ने हार नहीं मानी और इस इंडस्ट्री को एक नई पहचान दी। उन्होनें अपने पहले ही साल में इससे 500 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू प्राप्त किया।

जोहो सुईट (Zoho's suite) से हर महीने मात्र 10 डॉलर के खर्च में ही कंपनियां अपने कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट को अच्छे से मैनेज कर सकती है। जिसकी सफलता यह बताती है कि आज इसका उपयोग 18 मिलियन से भी ज्यादा लोग करते हैं। अपनी सफलता की कहानी (Success Story) बताते हुए श्रीधर वेम्बू कहते है कि यदि आप ने कोई सपना देखा है तो उसको चलने के लिए खुद ही मेहनत करके सब मैनेज करने की जरुरत होती है। वो कहते हैं कि अपनी सर्विस में इतना दम पैदा कर दो की कस्टमर को विवश होकर आपके पास आना ही पड़े।

श्रीधर ने डिग्री पर भरोसा करने बजाय लोगों की काबिलियत पर भरोसा किया। उन्होंने काबिल लोगों को प्राथमिकता दी। वेंबु का मानना है कि हमें नंबरों से ज्यादा अपनी नॉलेज के पीछे भागना चाहिए। श्रीधर हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहने में यकीन करते हैं। आज श्रीधर वेंबू अमेरिका में अपनी कंपनी शुरु करने के बाद भी भारत लौटकर अपने गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने में लगे हैं। वो बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं,ताकि वो अपने जीवन में कुछ अच्छा कर सकें। उनका सपना गांव में स्कूलों में पढ़ाई के लिए स्टार्टअप (Startup) खोलने का है ताकि लोग काबिल बनें।

 

श्रीधर वेम्बू की कहानी सभी के लिए एक प्रेरणा (Motivation) है कि हमें आत्म-निर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल (Vocal For Local) को अपनाते हुए जीवन में सफलता प्राप्त करनी चाहिए। यदि हम खुद पर भरोसा रखेगें और सफलता पाने की जगह काबिल होने पर बल देगें तो सफलता हमें जरुर मिलेगी। यदि आप भी अपना नया बिज़नेस शुरु करने की सोच रहे हैं, या अपने बिज़नेस को और ज्यादा सफल बनाना चाहते हैं तो आप हमारी लाईफ टाईम मेंबरशिप कों ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको करियर और बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट https://www.badabusiness.com/life-time-membership?ref_code=ArticlesLeads पर Visit करें।