आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी,"कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।" इसी कहावत को सच कर दिखाया है महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली प्रतीक्षा टोंडवलकर ने। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर सफलता की नई कहानी लिखी है। कभी बैंक में साफ-सफाई का काम करने वाली प्रतीक्षा को देखकर किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो बैंक में असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनेंगी। लेकिन प्रतीक्षा ने वो कर दिखाया जो किसी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। प्रतीक्षा की शादी महज 17 साल की उम्र में हुई थी, 20 साल की उम्र में उन्होंने अपने पति खो दिया था। जिसके बाद काम की तलाश में उन्हें काफी परेशानी हुई क्योंकि उसके पास उचित योग्यता नहीं थी। इसलिए उन्हें बैंक में सफाईकर्मी का काम करना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपने काम से कभी शर्म नहीं की। बल्कि अपने परिवार का खर्च चलाने के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने आज सहायक महाप्रबंधक यानी असिस्टेंट जनरल का पद प्राप्त किया है। लेकिन प्रतीक्षा के लिए यह सफर आसान नहीं था बल्कि काफी चुनौतीपूर्ण था। आइए जानते हैं प्रतीक्षा की सफलता की कहानी।

  • बचपन से ही किया संघर्ष

साल 1964 में महाराष्ट्र के पुणे के एक निम्न वर्गीय परिवार में जन्मीं प्रतीक्षा टोंडवलकर का जीवन बचपन से ही संघर्षपूर्ण रहा। परिवार ने महज 17 साल की उम्र में उनकी शादी करा दी। शादी के  3 साल बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई। और घर-परिवार की जिम्मेदारी प्रतीक्षा के कंधों पर ही आ गई। गरीबी के कारण उनकी पढ़ाई- लिखाई सही से नहीं हुई थी। इसलिए उन्हें जॉब ढूंढने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।  जिसके बाद उन्हें एसबीआई में एक स्वीपर के रूप में काम करने का अवसर मिला। परिवार का घर खर्च चलाने  के लिए उन्होंने बैंक में सफाई कर्मी के तौर पर काम करना शुरू कर दिया।

  • नौकरी के साथ पढ़ाई की पूरी

बैंक में सफाईकर्मी का काम करने वाली प्रतीक्षा ने सपनों को देखना सीख लिया था। वो जीवन में कुछ अलग करने के सपने देखने लगी। इसलिए उन्होंने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। अपने पैसों की मदद से प्रतीक्षा ने मुंबई के विक्रोली के नाइट कॉलेज में दाखिला लिया। पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने सहकर्मियों का समर्थन मिला और 1995 में उन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। धीरे-धीरे वो अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने लगीं।

  • ऐसे बनीं असिस्टेंट जनरल मैनेजर

अपनी डिग्री को पूरा करने के बाद उन्होंने बैंक परीक्षा की तैयारी की। उनके लगन को देखते हुए बैंक के कर्मचारियों ने उन्हें बैंक क्लर्क के पद पर प्रमोट किया। धीरे-धीरे अपने लगन और प्रतीभा की बदौलत प्रतीक्षा स्केल-4 स्टाफ, फिर सीजीएम और अब एजीएम बन गई हैं। प्रतीक्षा के दृढ़ संकल्प और समर्पण को देखकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने उन्हें कई बार बेहतरीन प्रतिभा वाली कर्मचारी के खिताब से भी सम्मानित किया। इसके बाद प्रतीक्षा ने साल 2021 में नेचुरोपैथी प्रोग्राम में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल कर दूसरे लोगों की मदद करने का फैसला किया है।

प्रतीक्षा टोंडवलकर  ने आज बैंकिंग पेशे में अपनी एक खास पहचान बनाई हैं। उन्होंने कभी अपने हालात का बहाना नहीं बनाया। बल्कि विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई हैं। उन्होंने उन महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की हैं जो आमतौर पर सामाजिक दमन का शिकार होती हैं। उन्होंने  अपने परिवार की देखभाल करते हुए अपने सपनों को नहीं छोड़ा और आज उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की अनूठी कहानी लिखी है। यही वजह है कि प्रतीक्षा की हर तरफ आज तारीफ हो रही है। वो सही मायने में बहुत से लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।

लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आप अगर प्रतिक्षा की तरह अपने होसलों को बुलंद रखना चाहते हैं तो आपको Motivational Speaker डॉ विवेक बिंद्रा जी से संपर्क करना चाहिए। जिससे आप अपने जीवन में मोटिवेशन के साथ कुछ भी हासिल कर सकते हैं।