कहते हैं सफलता  का असली स्वाद वही जानता है जिसने संघर्ष का कड़वापन चखा हो। अक्सर माना जाता है कि छोटे गांव के बच्चे बड़े सपने नहीं देखते। लेकिन सपने तो उन्हीं के सच होते हैं जो उन्हें देखना नहीं छोड़ते। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं आईएएस ऑफिसर हिमांशु गुप्ता। जिन्होंने जीवन की कठिनाईयों से लड़ते हुए आईएएस बनने का प्रेरक सफर तय किया है। हिमांशु के जीवन का सफर बाकी लोगों की तरह आसान नहीं था। पिता मजदूर थे। घर चलाने और परिवार की मदद करने के लिए हिमांशु को ठेले पर चाय तक बेचनी पड़ी। यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए जहां लोग मंहगे कोचिंग का सहारा लेते हैं वहीं हिमांशु ने गांव में रहकर बिना किसी कोचिंग की मदद से एक बार नहीं बल्कि तीन बार यूपीएससी परीक्षा को क्रैक किया है। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को कई लोग अपनी कामयाबी की राह में रोड़ा मानते हैं। लेकिन हिमांशु गुप्ता ने कभी हार नहीं मानी और सफलता की कहानी लिखी। आइए जानते हैं उनके जीवन के  प्रेरक सफर के बारे में ।

  • बचपन से ही किया संघर्ष

14 अप्रैल 1994 को उत्तराखंड के सितारगंज के एक समान्य परिवार में जन्में हिमांशु गुप्ता बचपन से पढ़ाई में काफी अच्छे थे। लेकिन उनका बचपन आम बच्चों से काफी अलग था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उन्होंने अपना बचपन बेहद गरीबी में बिताया । हिमांशु के पिता पहले दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे, लेकिन इससे मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता था। उनके पिता ने बाद में चाय का ठेला लगाना शुरू किया और हिमांशु भी स्कूल के बाद इस काम में अपने पिता की मदद करते थे। वो पढ़ाई के साथ-साथ घर चलाने के लिए पिता की मदद किया करते थे।

  • ऐसे चुना आईएएस बनने का रास्ता

12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिमांशु गुप्ता ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया। ये वो समय था जब वह पहली बार किसी शहर में गए थे। पैसों की तंगी को दूर करने के लिए वो दिल्ली में ही ट्यूशन पढ़ाने लगे। उन्होंने कई पेड ब्लॉग्स लिखे और कई स्कॉलरशिप हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद हिमांशु ने डीयू से पर्यावरण विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए दाखिला लिया और कॉलेज में टॉप किया। इसके बाद हिमांशु के पास विदेश जाकर पीएचडी करने का मौका था, लेकिन उन्होंने देश में रहने का और देश सेवा करने का फैसला किया। इसके लिए उन्हें यूपीएससी सबसे सही रास्ता दिखा। उन्होंने इसे ही अपना लक्ष्य बना लिया।

  • ऐसे बने आईएएस ऑफिसर

हिमांशु गुप्ता ने कड़ी मेहनत की और साल 2018 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और पहली ही बार में वो पास हो गए। लेकिन उनका चयन भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के लिए हुआ लेकिन उनका लक्ष्य IAS बनना था इसलिए उन्होंने तैयारी जारी रखी और साल 2019 में दोबारा एग्जाम दिया। दूसरे प्रयास में हिमांशु का चयन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए हुआ। उन्होंने IPS की ट्रेनिंग लेने के बाद साल 2020 में अपना तीसरा प्रयास दिया और इस बार उन्होंने अपने लक्ष्य को पा लिया। उनका सेलेक्शन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए हो गया।

विदेश जाने की बजाय UPSC को चुनकर अपना लक्ष्य बनाने वाले हिमांशु गुप्ता आज लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने संघर्ष के बाद भी अपने लक्ष्य से निगाह नहीं हटाई और आईएएस ऑफिसर बनकर सफलता की नई कहानी लिख दी। आप भी हिमांशु गुप्ता की इस कहानी से प्रेरणा ले सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके हमें बता सकते हैं।